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फ्रांस सरकार का फैसला, पेगासस से कथित जासूसी की होगी जांच
फ्रांस ने पेगासस सॉफ्टवेयर से कथित जासूसी की जांच शुरू करने का आदेश दे दिया है...
पेगासस सॉफ्टवेयर से कथित जासूसी की रिपोर्ट सामने आने के बाद एक तरफ मोदी सरकार पल्ला झाड़ रही है, तो दूसरी तरफ फ्रांस की सरकार ने इस मामले में बड़ा फैसला लिया है। फ्रांस ने पेगासस सॉफ्टवेयर से कथित जासूसी की जांच शुरू करने का आदेश दे दिया है।
जांचकर्ता 10 तरह के आरोपों को लेकर जांच करेगी
फ्रांस के जांचकर्ता 10 तरह के आरोपों को लेकर जांच करेंगे। कहा जा रहा है कि मोरक्को की खुफिया एजेंसी ने फ्रांस के पत्रकारों की जासूसी करवाई थी। आरोप है कि मोरक्को की खुफिया एजेंसी ने जासूसी के लिए इजरायली स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया। इस मामले में खुफिया वेबसाइट मीडियापार्ट ने एक केस दर्ज करवाया था। हालांकि मोरक्को सरकार ने जासूसी की बात को सिरे से ख़ारिज कर दिया है।
300 मोबाइल नंबरों की जासूसी होने का दावा
इस्राइली कंपनी के इस सॉफ्टवेयर से भारत में भी 300 सत्यापित मोबाइल नंबरों की जासूसी होने का दावा किया गया है। इनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर समेत कई बड़े नेताओं, 40 पत्रकारों, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और अन्य लोगों के नंबर शामिल बताए जा रहे हैं।
आईफोन में इसका इस्तेमाल उजागर हुआ
2016 में पहली बार अरब देशों में काम कर रहे कार्यकर्ताओं के आईफोन में इसका इस्तेमाल उजागर हुआ। बचाव के लिए एपल ने तत्काल आईओएस अपडेट कर सुरक्षा खामियां दूर कीं। एक साल बाद एंड्रॉयड में भी पेगासस से जासूसी के मामले सामने आने लगे। 2019 में फेसबुक के सुरक्षा विशेषज्ञों ने पेगासस को एक बड़ा खतरा बताते हुए केस दायर किया। इसी दौरान व्हाट्सएप ने भारत में कई कार्यकर्ता और पत्रकारों के फोन में इसके उपयोग का खुलासा किया।
2015 तक करीब चार गुना बढ़ी कंपनी की कमाई
2013 में सालाना 4 करोड़ डॉलर कमाने वाली इस कंपनी की कमाई 2015 तक करीब चार गुना बढ़ 15.5 करोड़ डॉलर हो गई। सॉफ्टवेयर काफी महंगा माना जाता है, इसलिए सामान्य संगठन और संस्थान इसे खरीद नहीं पाते।