Ambedkar Famous Books: जानिये अम्बेडकर की मशहूर किताबों के बारे में

Ambedkar Famous Books: डॉ. अम्बेडकर हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, फ्रेंच, पाली, जर्मन, मराठी, पर्शियन और गुजराती जैसी 9 भाषाओँ के ज्ञाता थे। जानिए अम्बेडकर की ख़ास पुस्तकों के बारे में...

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Chitra Singh
Published on: 6 Dec 2021 5:32 AM GMT
Ambedkar Famous Books
X

अम्बेडकर की मशहूर किताबें (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Ambedkar Famous Books: डॉ. भीमराव अम्बेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) ने दलित चेतना (dalit chetna hindi) समेत तमाम विषयों पर महत्वपूर्ण साहित्यिक योगदान दिया है। उन्होंने कई पुस्तकें (ambedkar books in hindi) लिखी हैं और उनकी निजी लाइब्रेरी में 50 हजार से भी ज्यादा पुस्तकें (ambedkar ki pustak) थीं। माना जाता है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी निजी लाइब्रेरी (duniya ki sabse badi private library) थी। डॉ. अम्बेडकर हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, फ्रेंच, पाली, जर्मन, मराठी, पर्शियन और गुजराती जैसी 9 भाषाओँ के ज्ञाता थे। वे कुल 64 विषयों के ज्ञाता थे। उन्होंने करीब 21 साल तक सभी धर्मों का गहन अध्ययन किया था। जानिए अम्बेडकर की ख़ास पुस्तकों (ambedkar famous books) के बारे में।

भारत में जातियां (Bharat me Jatiya) - उनका मशीनीकरण, उत्पत्ति और विकास। अंबेडकर की यह किताब मई, 1917 में प्रकाशित की गई थी। उसी साल कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने अंबेडकर को डॉक्टरेट की डिग्री दी थी। इस पुस्तक का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया।

भगवान बुद्ध और उनका धम्म (Bhagwan buddha aur unka dhamma)- अंबेडकर ने अपने जीवन के आखिरी दिनों में इस किताब को पूरा किया था। उनकी यह किताब साल 1957 में उनके निधन के बाद प्रकाशित की गई थी। यह किताब बौद्ध धर्म पर की गई उनकी समीक्षा और विश्लेषण के लिए जानी जाती है।

शूद्र कौन थे? (Shudra kaun the book pdf) - डॉ. अंबेडकर की ये ऐतिहासक पुस्तक 1946 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अंबेडकर ने शूद्र वर्ण की उत्पत्ति की चर्चा की है। अंबेडकर ने इस किताब को ज्योतिराव फुले को समर्पित किया है।

बुद्ध या कार्ल मार्क्स (Buddha or Karl Marx pdf) - अंबेडकर की यह सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक है। इस किताब में उन्होंने मार्क्सवाद के मूल सिद्धांतों की व्याख्या की है। उन्होंने इस किताब में इस सवाल का भी उल्लेख किया है कि यह कुछ साफ नहीं है कि मार्क्सवादियों के बीच तानाशाही कब तक चलेगी। इस किताब में अंबेडकर ने समाज में फैली छूआछूत और भेदभाव को मिटाने के लिए बुद्ध धर्म अपनाने पर जोर दिया और इसकी व्याख्या की है।

जातियों का विनाश / संहार - डॉ अंबेडकर की यह पुस्तक भारतीय राजनीति पर लिखी गई सबसे महत्वपूर्ण पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक को अंबेडकर ने साल 1936 में लिखा था और इसमें उन्होंने हिन्दू धर्म और इसकी जाति-व्यवस्था की कठोर निंदा की है।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर (फोटो- सोशल मीडिया)

पाकिस्तान या भारत का विभाजन (Pakistan ya Bharat ka Vibhajan pdf) – ये पुस्तक 1945 में मूल रूप से प्रकाशित हुई थी। यह किताब पाकिस्तान, हिन्दू - मुस्लिम आदि तमाम मुद्दों पर आधारित है।

रुपये की समस्या: इसका मूल और इसका समाधान (rupaye ki samasya)- अंबेडकर की ये किताब अर्थशास्त्र पर लिखी उनकी सर्वश्रेष्ठ किताबों में से एक है। उनकी यह किताब ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में चलाए जाने वाली मुद्रा पर सवाल खड़े करती है।

डा. अम्बेडकर द्वारा निकाली गयी पत्र-पत्रिकाएं

मूकनायक (Mooknayak) : अम्बेडकर ने इस मराठी पाक्षिक पत्र का प्रकाशन 31 जनवरी, 1920 को शुरू किया। इसके संपादक पाण्डुराम नन्दराम भटकर थे। अम्बेडकर इस पत्र के अधिकृत संपादक नहीं थे। मूक नायक पत्रिका सभी प्रकार से दलितों की ही आवाज थी। इस पत्र ने दलितों में एक नयी चेतना का संचार किया गया तथा उन्हें अपने अधिकारों के लिए जागरूक किया। यह पत्र आर्थिक अभावों की वजह से बहुत दिन तक नहीं चल सका।

बहिष्कृत भारत (Bahishkrit Bharat in hindi) : 'मूक-नायक' बन्द हो जाने के बाद डा. अम्बेडकर ने 3 अप्रैल 1927 को अपना दूसरा मराठी पाक्षिक अखबार 'बहिष्कृत भारत' शुरू किया। यह पत्र मुम्बई (तब बॉम्बे) से प्रकाशित होता था और इसका संपादन डा. अम्बेडकर खुद ही करते थे। इसके माध्यम से वे अस्पृश्य समाज की समस्याओं और शिकायतों को सामने लाने और अपने आलोचकों को जवाब भी देने का काम करते थे। इस पत्र के एक सम्पादकीय में उन्होंने लिखा कि - यदि तिलक अछूतों के बीच पैदा होते तो यह नारा नहीं लगाते कि 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है' बल्कि वह यह कहते कि 'छुआछूत का उन्मूलन मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है।'

बहिष्कृत भारत-मूकनायक (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

समता : इस पत्रिका का प्रकाशन 29 जून, 1928 को शुरू हुआ था। यह डा. अम्बेडकर द्वारा समाज सुधार के लिए स्थापित संस्था 'समता संघ' का मुख पत्र था। इसके संपादक थे देवराव विष्णु नाइक। यह पत्र भी कुछ ही दिन चल सका।

जनता : इसका प्रवेशांक 24 नवम्बर, 1930 को आया था। यह फरवरी 1956 तक कुल 26 साल तक चलता रहा। इस पत्रिका के जरिये डा. अम्बेडकर ने दलित समस्याओं को उठाने और दलित शोषित लोगों को जाग्रत करने का काम किया।

प्रबुद्ध भारत (prabuddha bharata) : 14 अक्टूबर, 1956 को बाबा साहेब डा. अम्बेडकर ने लाखों लोगों के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था। इसके क्रम में उन्होंने 'जनता' पत्र का नाम बदलकर 'प्रबुद्ध भारत' कर दिया।

डा. अम्बेडकर के सभी पत्र मराठी भाषा में ही प्रकाशित हुए क्योंकि बाबा साहेब का कार्य क्षेत्र महाराष्ट्र ही था और मराठी वहां की जन भाषा थी।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण किताबें

  • भारत का राष्ट्रीय अंश
  • वेटिंग फॉर ए वीजा
  • हिन्दू धर्म के दर्शन
  • प्राचीन भारत में क्रांति
  • भारत में बौद्ध धर्म का पतन
  • संघ बनाम स्वतंत्रता
  • जाति विच्छेद
  • गांधी एवं अछूतों की विमुक्ति
  • भारत में लघु कृषि और उनके उपचार
  • द अनटचेबलस: ए थीसिस ऑन द ओरिजन ऑफ अनटचेबिलिटी
  • रनाडे, गांधी और जिन्ना
  • द कॉन्सटीट्यूशन ऑफ इंडिया
  • एडमिनिस्ट्रेशन एंड फाइनेंस ऑफ द ईस्ट इंडिया कंपनी
  • पाकिस्तान पर विचार
  • ब्रिटिश भारत में साम्राज्यवादी वित्त का विकेन्द्रीकरण
  • ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का अभ्युदय
Chitra Singh

Chitra Singh

Next Story