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मंदिर-मस्जिद लाउडस्पीकर विवाद: अब भाजपा नेता का बड़ा ऐलान, जाने क्यों उलझ रहा अजान-हनुमान चालीसा मैटर
Azzan Controversy: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के अल्टीमेटम के बाद अजान विवाद ने जोर पकड़ा है। इस बीच महाराष्ट्र बीजेपी के नेता मोहित कंबोज ने बड़ा ऐलान किया है।
Azzan Controversy: देश में अजान को लेकर एकबार फिर विवाद (Azzan Controversy) छिड़ गया है। मस्जिदों से लाउडस्पीकर के जरिए दिए जाने वाले अजान को लेकर तमाम हिंदू संगठन और भाजपा नेताओं ने मोर्चा खोल रखा है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के अल्टीमेटम के बाद इस विवाद ने जोर पकड़ा है। इस बीच महाराष्ट्र बीजेपी के नेता मोहित कंबोज (Maharashtra BJP leader Mohit Kamboj) ने बड़ा ऐलान किया है। कंबोज ने कहा कि वे पूरे देश के मंदिरों में मुफ्त में लाउडस्पीकर लगवाएंगे ताकि रोज देवी –देवताओं के कीर्तन –भजन के साथ – साथ हनुमान चालीसा का पाठ हो।
भारत में अजान विवाद कोई नया विवाद नहीं है। इससे पहले भी मस्जिदों में लाउडस्पीकर के प्रयोग को लेकर सवाल खड़ा हो चुका है। तो आइए एक नजर उन विवादों और इस्लाम में अजान के लिए लाउडस्पीकर की आवश्यकता पर जानकारों की राय पर नजर डालते हैं।
अजान पर विवाद
मनसे प्रमुख राज ठाकरे (MNS chief Raj Thackeray) द्वारा ठाणे की एक रैली में मस्जिदों में लाउडस्पीकर का प्रयोग अजान के लिए जाने पर सवाल खड़े करते हुए कहा गया कि जल्द से जल्द मस्जिदों से लाउडस्पीकरों को हटा लिया जाना चाहिए वरना मनसे के लोग मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। इसके लिए उन्होंने तीन मई तक का अल्टीमेटम दिया है। उनके इस बयान के बाद देश में एकबार फिर अजान को लेकर बवाल नए सिरे से खड़ा हो गया है। मुंबई से निकलकर ये विवाद अब कर्नाटक, बिहार और यूपी समेत अन्य राज्यों तक पहुंच चुका है।
अजान को लेकर पहली बार बहस 2017 में तब छिड़ी थी जब जाने माने सिंगर सोनू निगम (Singer Sonu Nigam) ने ट्वीट कर कहा था, मैं मुसलमान नहीं हूं, पर मुझे सुबह में अज़ान की वजह से जाग जाना पड़ता है। भारत में धार्मिकता को इस तरह थोपना कब बंद होगा?'उनके इस ट्वीट पर बॉलीवुड खुद दो गुटों में बंट गया था। दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर समेत अन्य कलाकारों ने इसके लिए उनकी आलोचना की थी, जबकि कुछ बॉलीवुड कलाकर उनके समर्थन में भी आए थे। इसके बाद ये मुद्दा एकबार फिर सुर्खियों में तब आय़ा जब इलाहाबदा विश्वविद्यालय की कुलपति संगीता श्रीवास्तव ने जिला मजिस्ट्रेट के यहां शिकायत दर्ज कराई थी कि अल सुबह अजान से उनकी नींद में खलल पड़ता है और इससे उनका कामकाज प्रभावित हो जाता है।
क्या कहते हैं इस्लाम धर्म के जानकार
इस्लाम में अजान कैसे देनी चाहिए इसका इतिहास बड़ा पेचीदा है। दरअसल, अजान दिन में पांच बार नमाज पढ़ने के खातिर मुसलमानों को एकत्रित करने के लिए मस्जिद से दी जाती है। इस्लाम धर्म के जानकारों के मुताबिक, पैगंबर मुहम्मद ने यह प्रथा मदीना में बसने के बाद और वहां मस्जिद बनवाने के बाद शुरू की थी। पांच वक्त की नमाज के लिए लोगों को मस्जिद में बुलाने के तरीके पर उन्होंने अपने साथियों से सलाह–मशविरा किया।
इस दौरान किसी ने घंटी बजाने, किसी ने भोंपू बजाने तो किसी ने आग जलाने का सुझाव दिया। मगर पैगंबर ने मनुष्य के पक्ष में फैसला लिया और इसके लिए एक अश्वेत गुलाम, बिलाल को चुना, जिसे आज़ाद किया जा चुका था। इंसान की आवाज बिलाल की आवाज की ही तरह उतनी दूर नहीं जाएगी जितनी दूर घंटी या भोंपू जैसे यंत्रों की आवाज जाएगी। फिर भी पैगंबर ने यंत्र की तेज आवाज के बजाय मनुष्य की कम ऊंची आवाज को चुना। जाहिर है इसमें उनके अनुयायियों के लिए एक सबक छिपा हुआ है। जिसे पढ़ने की आज जरूरत है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला (Allahabad High Court verdict)
साल 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी की तरफ से दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए मस्जिद से अजान को लेकर एक अहम फैसला सुनाया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा था अजान इस्लाम का अहम अभिन्न हिस्सा है लेकिन लाउडस्पीकर इस्लाम का हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को इसका पालन करवाने का निर्देश भी दिया था। इस दौरान अदालत ने कहा था कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार व्य़क्ति के जीवन का मूल अधिकार है।