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Antibiotics Effects: बार बार एंटीबायोटिक लेना है जानलेवा, हो जाएं सतर्क
Antibiotics Effects: विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए बड़ी संख्या में एंटीबायोटिक्स दवाइयों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
Antibiotics Effects: अगर आप जरा से तबीयत खराब (sick) होने पर एंटीबायोटिक (Antibiotics) लेते हैं तो बहुत सावधान हो जाइये, ये आदत जन का ख़तरा बन सकती है। इसकी वजह ये है कि बार बार एंटीबायोटिक लेने (Repeated antibiotic use) से या लम्बे समय तक एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करने से उसका असर खत्म हो जाता है और जब एंटीबायोटिक बेअसर हो जाते हैं तो कोई संक्रमण जान ले सकता है। विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए बड़ी संख्या में एंटीबायोटिक्स दवाइयों का इस्तेमाल किया जा रहा है। दक्रत भी धड़ल्ले से एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट शुरू कर देते हैं और इसी वजह से बीमारियां पैदा करने वाले जीवाणु (बैक्टीरिया) इन दवाइयों के प्रतिरोधी हो रहे हैं। इससे बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हो रही है। मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार 2019 में दुनियाभर में एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवाणुओं के संक्रमण से 12 लाख 70 हजार लोगों की मौत हुई हैं।
ग्लोबल रिसर्च ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस रिपोर्ट में दुनिया के 204 देशों और क्षेत्रों में रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रभाव का व्यापक अनुमान लगाने के लिए सांख्यिकीय मॉडलिंग का उपयोग किया गया था। इसके तहत 23 रोगजनकों और 88 रोगजनक-दवा कॉम्बिनेशन से जुड़ी मौतों का आंकलन किया गया था। इसमें पाया गया कि एंटीबायोटिक के बेअसर हो जाने 2019 में 12.70 लाख लोगों की मौत हुई है, जो एचआईवी और मलेरिया से भी अधिक है।
ऐसे में धीरे-धीरे इन दवाइयों का बैक्टीरिया पर असर होना बंद हो जाता है और मरीज उपचार के बाद भी ठीक नहीं होता है। ऐसे में संक्रमण के अधिक दिनों तक रहने से उपचार के बाद भी मरीज की मौत हो जाती है।
204 देशों और क्षेत्रों को कवर करने वाले इस विश्लेषण में पाया गया कि एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस अब दुनिया भर में मौत का एक प्रमुख कारण बन गया है। लाखों मौतें अब सामान्य यानी पहले से उपचार योग्य संक्रमणों के कारण ही हो रही है। इनमें सांस की परेशानी और ब्लड सर्कुलेशन संक्रमण भी शामिल है। इसका कारण है कि अब इन बीमारियों को पैदा करने वाले बैक्टीरिया उन्हें खत्म करने वाली एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोधी बन गए हैं।
तत्काल कदम उठाना जरूरी
अध्ययन की रिपोर्ट में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने के सुझाव दिए गए हैं। इसके तहत मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल को नियंत्रित करना, संक्रमणों की निगरानी और नियंत्रण के लिए अधिक कार्रवाई करना और नए एंटीबायोटिक्स और उपचार विकसित करने के लिए अधिक धन उपलब्ध कराना शामिल है।
अध्ययन के अनुसार 2019 में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस के कारण सबसे अधिक चार लाख मौतें निमोनिया से हुईं और 15 लाख मौतों में भी एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस के जुड़े होने की संभावना है। एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस के चलते ब्लड सर्कुलेशन संक्रमण से 3.70 लाख मौतें हुई और 15 लाख अन्य मौतों से इसके जुड़े होने की आशंका है। इसी तरह से पेट के संक्रमण के कारण सीधे तौर पर 2.10 लाख मौतें हुई और आठ लाख मौतों में भी इसकी संभावना है। अध्ययन के अनुसार बच्चों में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस का जोखिम सबसे अधिक है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों में इस वजह से होने वाली मौतों का आंकड़ा प्रत्येक पांच में से एक मौत का है। अध्ययन के अनुसार, ई कोलाई, एस ऑरियस, के न्यूमोनिया, एस न्यूमोनिया, ए बॉमनी और पी एरुगिनोसा बैक्टीरिया के दवा के लिए प्रतिरोधी होने से सबसे अधिक 9.29 लाख मौतें हुई है। इसी तरह एंटीबायोटिक दवा मेथिसिलिन-एस ऑरियस के संयोजन से एक लाख मौतें हुई है।