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AFSPA Act In Hindi: 1958 से चला आ रहा है आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट, जानें क्या है कानून की विशेषताएं

Armed Forces Special Powers Act Kya Hai: भारतीय संसद ने ‘अफस्पा’ (AFSPA) 1958 में लागू किया था। यह कानून खासकर ‘डिस्टर्ब’ क्षेत्रों में लागू किया जाता है और इससे सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार मिल जाते हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shreya
Published on: 6 Dec 2021 5:40 PM IST
AFSPA Act In Hindi: 1958 से चला आ रहा है आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट, जानें क्या है कानून की विशेषताएं
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भारतीय सुरक्षा बल (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Armed Forces Special Powers Act Kya Hai: नागालैंड (Nagaland) में सुरक्षा बालों (Security Forces) के हाथों 14 निर्दोष नागरिकों के मारे जाने की घटना के बाद से एक बार फिर सुरक्षा बलों को विशेष असीमित अधिकार देने का जबर्दस्त विरोध शुरू हो गया है। जानते हैं कि सुरक्षाबलों को विशेष अधिकार देने वाला ये कानून है क्या?

भारतीय संसद ने 'अफस्पा' (AFSPA) यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (Armed Forces Special Powers Act) 1958 में लागू किया था। यह कानून खासकर 'डिस्टर्ब' क्षेत्रों में लागू किया जाता है और इससे सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार मिल जाते हैं।

कानून की विशेषताएं

- राज्य या केंद्र सरकार के पास किसी भी भारतीय क्षेत्र को "डिस्टर्ब" घोषित करने का अधिकार है।

- अफस्पा अधिनियम की धारा (3) के तहत राज्य या संघीय राज्य के राज्यपाल को गजट की आधिकारिक सूचना जारी करने के लिए अधिकार है, जिसके बाद उसे सशस्त्र बलों को भेजने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।

- विशेष न्यायालय अधिनियम 1976 के अनुसार, एक बार "डिस्टर्ब" क्षेत्र घोषित होने के बाद कम से कम 3 महीने तक वहां पर स्पेशल फोर्स की तैनाती रहती है।

- अफस्पा के अनुसार, जो क्षेत्र "डिस्टर्ब" घोषित कर दिए जाते हैं वहां चेतावनी के बाद, यदि कोई व्यक्ति कानून तोड़ता है और अशांति फैलाता है, तो सशस्त्र बल के विशेष अधिकारी द्वारा आरोपी की मृत्यु हो जाने तक अपने बल का प्रयोग किया जा सकता है।

- इस कानून के तहत सुरक्षा बालों का अधिकारी किसी आश्रय स्थल या ढांचे को तबाह कर सकता है जहां से हथियार बंद हमले का अंदेशा हो।

- सशस्त्र बल किसी भी असंदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं। गिरफ्तारी के दौरान उनके द्वारा किसी भी तरह की शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है।

- किसी व्यक्ति, सम्पत्ति, हथियार या गोला-बारूद को बरामद करने के लिए बिना वारंट के घर के अंदर जा कर तलाशी ली जा सकती है और इसके लिए जरूरी बल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

- किसी वाहन को रोक कर उसकी तलाशी ली जा सकती है।

- सेना के पास इस अधिनियम के तहत अभियोजन पक्ष, अनुकूल या अन्य कानूनी कार्यवाही के तहत अच्छे विश्वास में काम करने वाले लोगों की रक्षा करने की शक्ति है। इसमें केवल केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर सकती है।

त्रिपुरा में हटाया गया अफस्पा

मई 2015 में, त्रिपुरा में कानून व्यवस्था की स्थिति की संपूर्ण समीक्षा के बाद, 18 सालों के बाद अंत में अफस्पा को इस राज्य से हटा दिया गया था। लेकिन असम, मणिपुर (नगरपालिका क्षेत्र इंफाल को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चंगलांग और लोंगडींग जिले और असम की सीमा के 20 किलोमीटर की बेल्ट तक, मेघालय (असम की सीमा से 20 किलोमीटर की बेल्ट तक सीमित), जम्मू कश्मीर में ये कानून लागू है।

संयुक्त राष्ट्र की राय

31 मार्च, 2012 को संयुक्त राष्ट्र ने भारत से कहा था कि भारतीय लोकतंत्र में अफस्पा का कोई स्थान नहीं है इसलिए इसको रद्द कर दिया जाए। ह्यूमन राइट्स वॉच (Human Rights Watch) ने भी इस अधिनियम की आलोचना की है।

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