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अरविंद केजरीवाल को भी याद आए भगवान राम , सात साल से राजनीति में सक्रिय पर अयोध्या से रहे दूर

देश के किसी भी मुख्यमंत्री का अयोध्या जाकर भगवान राम का दर्शन करना राजनीतिक विमर्श का मुददा नहीं है । लेकिन केजरीवाल का अयोध्या जाना राजनीतिक का हिस्सा है।

Rajendra Kumar
Written By Rajendra KumarPublished By Vidushi Mishra
Published on: 24 Oct 2021 12:55 PM GMT
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अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Arvind Kejriwal Ko Yaad Aaye Bhagwan Ram : अपने देश में चुनाव आते ही तमाम बड़े बड़े नेताओं को भगवान की याद आ जाती हैं। नेता समाजवादी विचार धारा के हों या वामपंथी, सबके सब चुनावों के दौरान मन्दिरों में शीश नवाते देखे जाने लगते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी ऐसे ही जमात के नेताओं में एक हैं। इन्हें भी सिर्फ चुनावों के दौरान ही भगवान की याद आती हैं।

गुजरात में चुनाव लड़ा तो सोमनाथ मंदिर में जाकर माथा टेका। दिल्ली में चुनाव के दौरान हनुमान जी के मंदिर गए। अब यूपी के विधानसभा चुनावों में उन्हें फिर से भगवान की याद आ गई है, वह भी भगवान राम की। इसलिए अब उन्होंने 26 अक्‍टूबर को अयोध्‍या जाने का फैसला किया है। वहां केजरीवाल भगवान राम के दर्शन करेंगे।

अयोध्या और भगवान राम से नाता जोड़कर राजनीति

देश के किसी भी मुख्यमंत्री का अयोध्या जाकर भगवान राम का दर्शन करना राजनीतिक विमर्श का मुददा नहीं है । लेकिन केजरीवाल का अयोध्या जाना राजनीतिक का हिस्सा है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल बीते सात साल से यूपी में सक्रिय हैं, परन्तु अब तक उन्होंने अयोध्या जाकर भगवान राममंदिर का दर्शन करने की जरूरत नहीं समझी थी। जबकि यूपी में राजनीति करने वाला हर दल अयोध्या और भगवान राम से नाता जोड़कर ही अपनी राजनीति को आगे बढ़ाता रहा है।

अरविंद केजरीवाल (फोटो- सोशल मीडिया)

यहीं वजह है कि प्रदेश में चुनावी सरगर्मी बढ़ते ही राम की नगरी में भी गतिविधियां बढ़ जाती हैं। नेताओं में अयोध्‍या जाने की होड़ दिखने लगती है क्योंकि तमाम पार्टियों की चुनावी रणनीति में अयोध्‍या सेंटर में है। यह जानते और समझते हुए ही अन्य राजनीतिक दलों की तरह ही आम आदमी पार्टी (आप) भी इस बार अयोध्या जाकर यूपी में अपने चुनाव प्रचार में ताकत झोंक रही है।

जिसके तहत कुछ दिन पहले पार्टी के दो दिग्‍गज नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह अयोध्‍या गए। इन नेताओं ने शहर से पार्टी ने 14 अक्‍टूबर को तिरंगा यात्रा शुरू की थी। इस दौरान दिल्‍ली के डिप्‍टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा था कि पार्टी उत्‍तर प्रदेश में भगवान राम के आदर्शों पर चलने वाली सरकार बनाएगी। प्रभु राम की कृपा से ही पार्टी को दिल्‍ली में सरकार चलाने का मौका मिला है।

हर कदम को तमाशे में बदलने में माहिर नेता

अब पार्टी खुद अरविंद केजरीवाल अयोध्या में भगवान राम का दर्शन करने जा रहे है। ऐसे में उनकी इस पहल को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञ अलग -अलग नजरिये से देख रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि अन्ना हजारे सरीखे तमाम लोगों को अपने हक में इस्तेमाल करने वाले अरविंद केजरीवाल अपने हर कदम को तमाशे में बदलने में माहिर नेता हैं।

अन्ना के विरोध की बाद भी आम आदमी पार्टी बनाने वाले केजरीवाल का अयोध्या जाना अकारण नहीं है। अयोध्या जाकर केजरीवाल जरुर कोई नया बखेड़ा खड़ा करेंगे। उनकी राजनीति मायावती से अगल होगी। इसके पहले बसपा मुखिया मायावती ने भी अपनी स्‍ट्रैटेजी को बदलते हुए अयोध्‍या से पार्टी के ब्राह्मण सम्मेलनों की शुरुआत की थी। मायावती के निर्देश पर बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने रामलला के दर्शन करने के साथ हनुमान गढ़ी और सरयू नदी के किनारे पूजा-अर्चना की थी।


ब्राह्मणों को बसपा से जोड़ने संबंधी पार्टी की पॉलिटिक्‍स में इसे बड़ा शिफ्ट कहा जा रहा है। यहीं नहीं, पहली बार ऐसा हुआ कि राम मंदिर निर्माण स्‍थल पर बसपा का कोई नेता ऑफिशियली गया। इसके बाद आईएएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी यूपी दौरे की शुरुआत अयोध्‍या से ही की थी।

बीजेपी के एजेंडे में हिंदुत्‍व हमेशा से मुखरता से

केजरीवाल यह भी जानते है कि पिछले कुछ दशकों में अयोध्‍या यूपी ही नहीं केंद्र के चुनावों में भी फोकस में रहा है। इस शहर से हिंदुओं की आस्‍था जुड़ी रही है। बीजेपी अयोध्‍या और हिंदुओं का मसला उठाने की चैंपियन रही है। उसे लगातार हर चुनाव में इसका फायदा भी मिला है। उसकी पॉलिटिक्‍स राम और हिंदुओं को साथ लेकर चलती है।

अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण भी केंद्र और राज्य सरकार की देखरेख में हो रहा है। कहा जा रहा है कि इसका आंकलन करके ही अरविंद केजरीवाल ने अयोध्या जाने को लेकर अपनी रणनीति तैयार की है। उन्हें यह भी मालूम है कि बीजेपी के एजेंडे में हिंदुत्‍व हमेशा से मुखरता से रहा है। बीते दो लोकसभा चुनाव में यह मुददा बीजेपी की जीत का फॉर्मूला बना।

बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए यह फायदेमंद साबित हुआ। दूसरी पार्टियों को भी शायद इस फॉर्मूले की मजबूती का एहसास हो गया है। यही कारण है कि वे भी इस मामले में भाजपा के पीछे-पीछे चल दी हैं। केजरीवाल भी यही कर रहे हैं।

अब अयोध्या में भगवान राम का दर्शन करने के बाद केजरीवाल क्या राजनीतिक एलान करेंगे? जल्दी ही उनकी योजना का खुलासा हो जाएगा। इतना तय है कि वह अयोध्या में भगवान राम का दर्शन करने के बाद कोई राजनीतिक तमाशा जरुर खड़ा करेंगे।

Vidushi Mishra

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