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Assam Mizoram Border Dispute History: कब-कब हुआ असम मिजोरम सीमा विवाद, क्या है इतिहास, तनाव की वजह
Assam Mizoram Border Dispute History : भारत के दो राज्यों के बीच के सीमा विवाद में पहली बार दोनों मुख्यमंत्री एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है।
Assam Mizoram Border Dispute History : असम और मिजोरम में झड़प अक्सर सीमा से सटे तीन-तीन जिलों के बीच होती आयी है। इस संवेदनशील मुद्दे को देखते हुए सैन्य बल की अतिरिक्त टीम तैनात कर दी गयी है। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब राज्य की सीमा को लेकर हिंसक झड़प का आरोप दो राज्यों असम व मिजोरम के मुख्यमंत्री एक-दूसरे पर लगा रहे हैं।
Newstrack.com आपको बता रहा है असम मिजोरम में कब कब हुआ विवाद (Assam Mizoram Me Vivaad Kab Kab Hua), अमस मिजोरम के बीच विवाद की वजह (Assam Mizoram Dispute Reason)
सीमा विवाद के बारें में जाने सब कुछ (Border Dispute Wiki)
अगस्त 2020-
असम राइफल्स की ओर से यह आरोप लगाया गया कि उनके अधिकारियों और सेनाओं को मिजोरम की सीमा में दाखिल नही होने दिया गया।जबकि गृह मंत्रालय के जारी किए गए कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुसार अंतरराज्यीय सीमा में सैन्य प्रवेश करने से इनकार नही किया जा सकता है ।
09 अक्टूबर 2020-
असम के करीमगंज जिले के कुछ अधिकारियों द्वारा मिजोरम में मामित जिले के थिंगलुन गांव के पास कुछ झोपड़ियों को नष्ट कर दिया गया ।इसके कुछ दिनों के बाद ही असम के कछार जिले के लेलापुर निवासी और मिज़ोरम के कोलसिब जिले के लोगो के बीच झड़प देखने को मिली।जिसमे मिजोरम ले लोगो द्वारा पुलिस अधिकारियों पर पत्थरों पर हमलें की खबर सामने आयी थी। दोनों राज्यों की तरफ से बयान जारी करते हुए कहा गया कि जिन सीमाओं पर हमले हुए है वह उनकी सीमा क्षेत्र में आते हैं।
17 अक्टूबर 2020-
मिजोरम के कोलसिब में वैरेंगटे के निवासियों ने 17 अक्टूबर को करीब 18 झोपड़ियों में आग लगा दी ।इस संघर्ष में मीजीराम के 7 लोग व असम के कुछ लोग घायल हुए थे।
22 अक्टूबर 2020-
बंगाली भाषा के एक स्कूल में विस्फोट हुआ जिसमे देसी बम का इस्तमाल किया गया था।पुलिस ने असामाजिक तत्वों को इस हमले का जिम्मेदार माना था जिसके बाद सीमा विवाद गहराया था।
नवंबर 2020-
असम के कछार जिले एक प्राइमरी स्कूल में बम धमाका होता है जो 12 दिन असम बन्द के आहूत के समय हुआ ।उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल द्वारा मीटिंग बुलाई गई जिसमें भाईचारा स्थापित करने पर जोर दिया गया ।केन्दीय गृह मंत्री अमित शाह को उस समय भी दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री द्वारा चिट्ठी भेजी गई लेकिन नतीजा आज तक कुछ न निकल सका।
फरवरी 2021-
असम के रामनाथपुरा थाना क्षेत्र के कचुरथोल में हिंसक ओर आगजनी की घटनायें हुई ,जिसके बाद कोलसिब जिले की सीमा से लगे हैलाकांडी में अधिकारियों को धारा 144 लागू करनी पड़ी थी।वहीं फरवरी में ही मिजोरम से राज्यसभा सांसद के वनलालवेना को असम के करीमगंज जिलेके आयोजित कल्चरल मीट प्रोग्राम में सुरक्षा बलों द्वारा असम सीमा के अंदर घुसने नही दिया गया था।फरवरी 3 को मिज़ोरम की सीमा से सटे जिले के हिलाकुंडी में एक शक्तिशाली बम की सहायता से स्कूल बिल्डिंग को उड़ा दिया गया था।
जुलाई 2021-
असम के कछार जिले में 10 और 11 जुलाई की रात्रि में दो आईईडी बलास्ट हुए ।पहले इसे एक हैंड ग्रेनेड माना गया लेकिन जांच में यह आईईडी ह8 साबित हुआ।जिनके बाद केंद्र सुरक्षा बलों को लगाया गया।जिसकी वजह मिजोरम के लोगो द्वारा असम की सीमा में 10 किलोमीटर अंदर तक घुसपैठ बताई गई।हालांकि दोनों राज्यों के प्रमुख ने इसके लिए वार्ता स्स्थापित की ओर सीमा विवाद सुलझाने की चर्चा की ।17 जुलाई को असम के मुख्यमंत्री ने मीडिया को कहा कि मिज़ोरम के लोगो द्वारा बराक वैली में अतिक्रमण हुआ जिसके जवाब में मिजोरम प्रमुख ने कहा है जिस जगह का विवाद है वे वहाँ पिछ्ले 100 सैलून से रह रहे हैं जिसे सैटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से साबित भी किया जा सकता है।
आईईडी और आतंकवादी समूह का संबंध
असम में पिछले कुछ सालों में हुए बम धमाकों में यह तो कहा जा सकता है कि सीमा विवाद सिर्फ़ सीमा तक सीमित नही रह गया।इसमे हुए विस्फोटों की तीव्रता बताती है कि कही न कही कुछ विद्रोही समूह इसमे सामान्य रूप से सक्रिय हैं।क्योंकि आईईडी का इस्तेमाल या तो हमारी सेना करती है या कोई आतंकवादी या फिर कोई विद्रोही समूह।असम के इतिहास से पता चलता है कि उल्फा जैसे आतंकवादी समूह का असम की खिलाफत में बड़ा हाथ था तो वहीं बीएनएलएफ मिज़ोरम में बड़ी भूमिका में था हालांकि अभी तो इन दोनों ही समूह को भारत सरकार द्वारा बंद किया जा चुका है ।पर अभी भी असम में 11 ओर मिजोरम में 2 आतंकवादी समूह सक्रिय है।पर इस सामान्य दिखने वाले विस्फोटक की घटनायें गहन जांच का विषय हैं।
सीमा में होते विवाद की वजह (Seema Vivad Ki Vajah)
प्रवासन - राज्य सरकार सोचती हैं कि उनके राज्य के संसाधनो का उपयोग दूसरे राज्य के लीगों द्वारा किया जा रहा है ।और ऐसा तब होता है जब राज्यों के पास संसाधनों की कमी होती है जिस वजह से लोगो को एक जगह से दूसरी जगह पलायन करना पड़ता है।
जातीय पहचान- सीमा विवाद में मुख्य कारण वहाँ की जनजाति की उपस्थिति होती है जो एक अलग पहचान रखती है ।दूसरे राज्यों के दखल देने से उनके अस्तित्व का खतरा होता है।
ऐतिहासिक साक्ष्य-संघर्षों के एक महत्वपूर्ण कारण इतिहास से निकाला जाता है और विवाद की समय उसे खंगालने की कोशिश की जाती है।
कानूनी देरी- अभी तक के मामलों में एक दृढ़ कदम उठा न पाने के कारण आर्थिक साधन समाप्त हो जाते हैं और स्थिरता उत्पन्न होती है।
क्या कदम स्वीकार योग्य हो सकते हैं-
सीमाओं का उचित सीमांकन की जा सकने वाली केंद्र के नेतृत्व वाली पहल की आवश्यकता है।
लोगो से लोगो का अधिकाधिक साझापन जिसमे सभी समुदाय एक दूसरे की भावनाओं की रक्षा करें।
सर्वोच्च न्यायालय इसमे महती भूमिका निभा सकता है जिससे इसके क्रियान्वयन की प्रकिया में तेजी लाई जा सके।
इस सभी उत्तरपूर्वी राज्यों और केंद्र में भी एन डी ए की सरकार होने से इसे बैठकर सुलझाया जा सकता है।
विपक्षी नेताओं के अमित शाह से सवाल-
सीमा विवाद को लेकर तृणमूल कांग्रेस ,राजद ,आल इंडिया कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि अमित शाह लोगो के बीच भरोसा लाने में असफल रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस ने ट्विटर के माध्यम से कहा है कि बीजेपी शासित राज्यों में भी ऐसी घटनायें होना लोकतंत्र की हत्या है।
राजद के नेता मनोज झा ने कहा है कि ये कौन से नए भारत का सृजन हो रहा है।
असम-मिजोरम के सीएम एक दूसरे पर लगा रहे आरोप
पिछले कुछ साल में जितनी भी घटनायें हुई है उस समय केंद्र में उनकी सरकार हो या ना हो पर हल आज तक ढूंढा नही जा सका है। पिछले दो साल की घटनायें हमने देखी पर केंद्र में भी सरकार होने के बाद भी अमित शाह कुछ नही कर सके ।हर बार दोनो राज्यों के मुख्यमंत्री द्वारा मीटिंग बुलाई गई ,बैठक हुई आश्वासन दिया गया पर नतीजा कुछ नही निकला। मकसद नतीजा न निकलने का भी हो सकता है।
इसी बीच असम के मुख्यमंत्री ने कहा है कि पिछले कुछ महीने में उन्होंने कई बार जानवरों की तस्करी ,ड्रग ,घुसपैठ जैसी घटनाओ को जो मिजोरम की तरफ से की गई उन्हें एओक है ।जहां असम और मिजोरम सिमा में केंद्रीय सुरक्षा बलों की संख्या में वृद्धि कर दी गयी है वहीं गृह मंत्रालय ने वरिष्ठ अधिकारियों की मीटिंग बुलाई है।बहरहाल आज असम के मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।खैर आने वाले समय मे ही दोनों राज्यों की बारे में आगे कुछ पता चल सकेगा।