Assembly Elections 2022: राष्ट्रपति चुनाव सहित राज्यसभा सीटों पर भी असर डालेंगे चुनावी नतीजे, जानिए कितना अहम है पांच राज्यों का चुनाव

Assembly Elections 2022: उत्तर प्रदेश में विधानसभा (UP Election 2022 ) की 403 सीटें हैं और इन सीटों के चुनाव नतीजे राष्ट्रपति चुनाव पर बड़ा असर डालने वाले साबित होंगे। भाजपा का पांच राज्यों में पिछले चुनाव जैसा प्रदर्शन रहा तो उसके लिए राष्ट्रपति चुनाव आसान हो जाएगा।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shashi kant gautam
Published on: 9 Jan 2022 2:39 PM GMT (Updated on: 15 Jan 2022 12:30 PM GMT)
Assembly Elections 2022: राष्ट्रपति चुनाव सहित राज्यसभा सीटों पर भी असर डालेंगे चुनावी नतीजे, जानिए कितना अहम है पांच राज्यों का चुनाव
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Assembly Elections 2022: चुनाव आयोग (Election commission) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) की तारीखों का ऐलान कर दिया है। उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में विधानसभा चुनाव होगा जबकि मणिपुर (Manipur) में मतदान के दो चरण होंगे। बाकी तीन राज्यों पंजाब (Punjab), उत्तराखंड (Uhttarakhand) और गोवा (Goa) में 14 फरवरी को एक चरण में ही मतदान का काम पूरा हो जाएगा।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे विभिन्न सियासी दलों के लिए तो महत्वपूर्ण हैं ही मगर इसके साथ ही इस साल जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) पर भी इन नतीजों का बड़ा असर दिखाई देगा। तीन चुनावी राज्यों में राज्यसभा की 19 सीटें भी जल्द खाली होने वाली हैं और इन सीटों पर भी विधानसभा चुनाव के नतीजे बड़ा असर डालेंगे।

राष्ट्रपति चुनाव पर असर

उत्तर प्रदेश में विधानसभा (UP Election 2022 ) की 403 सीटें हैं और इन सीटों के चुनाव नतीजे राष्ट्रपति चुनाव पर बड़ा असर डालने वाले साबित होंगे। चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भाजपा पांच राज्यों में पिछले चुनाव जैसा प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रही तो उसे राष्ट्रपति चुनाव में किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।

पार्टी अपनी पसंद के उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनवाने में कामयाब हो जाएगी। उत्तर प्रदेश के पिछले चुनाव में भाजपा की अगुवाई में एनडीए ने 325 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था। हालांकि इस बार पिछले चुनाव जैसी स्थिति नहीं दिख रही है और पार्टी को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

Photo - Social Media

पांच राज्यों के चुनावी नतीजे यदि भाजपा के मन मुताबिक नहीं रहे तो राष्ट्रपति चुनाव में संघर्ष देखने को मिल सकता है। उल्लेखनीय है कि सांसद और विधायक मिलकर इलेक्टोरल कॉलेज बनाते हैं जो राष्ट्रपति चुनाव के मतदान में हिस्सा लेता है। इस नजरिए से राष्ट्रपति चुनाव में इन पांच राज्यों के चुनावी नतीजों का बड़ा असर देखने को मिलेगा।

पांच राज्यों की 19 सीटों पर होगा चुनाव

मुख्य चुनाव आयुक्त व सुशील चंद्रा (Chief Election Commissioner and Sushil Chandra) ने शनिवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया था कि पांच राज्यों के चुनाव में कुल 690 विधानसभा सीटों का फैसला होगा। इस साल जुलाई में राज्यसभा की 73 सीटों पर चुनाव होना है। इनमें से 19 राज्यसभा सीटें ऐसी हैं जो इन 5 राज्यों से जुड़ी हुई है। इन पांच राज्यों के चुनावी नतीजों से ही इन सीटों पर जीतने वाले उम्मीदवार तय होंगे। राज्यसभा में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए भाजपा के लिए इन सीटों पर जीत हासिल करना जरूरी है।

इस कारण भाजपा पर विधानसभा चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन करने का भारी दबाव होगा। भाजपा पिछले कई महीनों से चुनावी मोड में नजर आ रही है। पार्टी के बड़े नेताओं ने विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। खासकर उत्तर प्रदेश में पार्टी ने विशेष ताकत लगा रखी है। चुनावी रैलियों पर रोक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा उत्तर प्रदेश में कई राउंड चुनाव प्रचार कर चुके हैं।

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वर्चुअल प्रचार (virtual promotion) में भाजपा सबसे आगे

चुनाव आयोग की तरफ से 15 जनवरी तक चुनावी रैलियों, पदयात्राओं और रोड शो पर रोक लगा दी गई है। देश में कोरोना के जबर्दस्त संक्रमण को देखते हुए 15 जनवरी के बाद भी इस रोक के जारी रहने की संभावना जताई जा रही है। इस कारण सभी राजनीतिक दलों को मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए वर्चुअल ढंग से ही प्रचार करना होगा। इस मामले में भाजपा दूसरे राजनीतिक दलों से आगे निकलती दिख रही है। पार्टी का आईटी सेल भी दूसरे दलों के मुकाबले ज्यादा मजबूत है। माना जा रहा है कि चुनाव नतीजों पर इसका भी असर दिखाई पड़ेगा।

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