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रियल लाइफ हीरो मंजूर अहमद, खुद को आस्थमा, फिर भी कोरोना पेशेंट की ऐसे बचा रहे जान
इस विकट परिस्थिति में जहां लोगों को घरों में रहकर बीमारी से बचने को कहा जा रहा, ऐसे मंजूर अहमद का जज्बा काबिले तारीफ है।
कश्मीर: कोरोना महामारी ( Coronavirus) की दूसरी लहर ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। रोज अनगिनत लोगों की मौत इस महामारी से हो रही है। कुछ संक्रमण से लड़ रहे हैं तो संक्रमण से मुक्त होने के बाद लोगों की मदद कर रहे हैं, जो जरूरतमंद हैं। उनके लिए कोरोना वारियर्स भोजन पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। कोरोना मरीजों की संख्या लाखों तक पहुंच चुकी है। वहीं इस दौर में कुछ लोग हैं, जो दूसरों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने के लिए तैयार हैं।
ऐसे ही एक कोरोना वारियर ( Corona Warriors) हैं मंजूर अहमद। कश्मीर (Kashmir) के बडगाम के रहने वाले 48 साल को मंजूर, खुद अस्थमा के मरीज हैं, और पिछले 3 साल से ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। लेकिन ऐसी हालत में भी वह एक छोटे से ट्रक में जरूरतमंद कोविड पेशंट्स तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाने का काम कर रहे हैं। वह कहते हैं, 'मैं एक अक्सीजन सिलेंडर ( Oxygen Cylinder) की अहमियत और उसके न मिलने की पीड़ा को बहुत अच्छे से समझता हूं।
मानवता के लिए जरूरी
मंजूर ने एक इंटरव्यू में कहा है कि, 'इंसानियत के नाते, अगर मैं किसी तक ऑक्सीजन पहुंचाने और उसकी जिंदगी बचाने में कामयाब रहता हूं, या उसे थोड़ी सी भी राहत देता हूं तो मैं खुद के लिए बेहतर महसूस करूंगा। मैं खुद दमे का मरीज हूं, और जानता हूं कि जब सैचुरेशन लेवल कम होता है तो एक मरीज के लिए ऑक्सीजन का क्या मतलब होता है। यही छोटा सा काम है जो मैं लोगों के लिए करना चाहता हूं।'
जिम्मेदारियों से नहीं मान सकते हार
इस महामारी के चलते वो घर में बैठकर नहीं रह सकते। उनपर परिवार की जिम्मेदारी है और अपने परिवार के लिए कमाना है। खुद उनकी दवाइयां भी महंगी हैं। जिसपर हर माह 6 से 7 हजार रुपये खर्च होते हैं।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर लोगों की हिम्मत तोड़ रही है! ऑक्सीजन, दवाइयों और अस्पतालों में बेड की कमी ने कईयों से जीने की उम्मीद छीन ली। इस विकट परिस्थिति में जहां लोगों को घरों में रहकर बीमारी से बचने की हिदायत दी जा रही है ऐसे मंजूर अहमद का जज्बा काबिले तारीफ है। क्योंकि इस स्थिति में भी वो दूसरों के लिए उम्मीद बनकर उभरे हैं। वह ना सिर्फ लोगों के घरों तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचा रहे हैं, बल्कि उन्हें खाली सिलेंडर को दोबारा भरने की सुविधा भी देते हैं। वह कहते हैं कि उनका भी एक परिवार है जिसका उन्हें पेट भरना होता है। इसलिए वो जिंदगी में इतनी जल्दी हार नहीं मान सकते।और मैं चाहता हूं कि लोग उम्मीद न खोएं। उन्हें मजबूत रहें।