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Ayushman Bharat Digital Mission: हर नागरिक का बनेगा यूनीक हेल्थ कार्ड

भारत में आज से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत

Neel Mani Lal
Published on: 27 Sept 2021 2:32 PM IST
Narendra Modi
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पीएम नरेंद्र मोदी (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (Ayushman Bharat Digital Mission) की शुरुआत की है, जिसके तहत भारत के सभी नागरिकों को आधार कार्ड की तरह एक यूनिक डिजिटल हेल्थ कार्ड (unique digital health card) मिलेगा। पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने इसका एलान किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस मिशन की शुरुआत की है।

चार मुख्य स्तम्भ

इस हेल्थ मिशन के चार मुख्य स्तंभ हैं। इनमें नागरिकों की यूनिक डिजिटल हेल्थ आईडी (unique digital health card) बनाना, स्वास्थ्य कर्मियों और स्वास्थ्य केंद्रों की रजिस्ट्री और इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड तैयार करना शामिल है। इसका पहला लक्ष्य स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए एक डिजिटल व्यवस्था तैयार करना है। आगे चलकर फार्मेसी और टेलीमेडिसीन को भी इसमें जोड़ा जा सकता है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे अंडमान-निकोबार, चंडीगढ़, दादर और नगर हवेली, दमन और दीव, लद्दाख, पुडुचेरी और लक्षद्वीप में शुरू किया गया था। अब ये पूरे देश में लांच किया गया है।

यूनीक डिजिटल हेल्थ कार्ड

- हर नागरिक की यूनिक डिजिटल हेल्थ आईडी बनाई जाएगी। यह आधार की तरह दिखने वाला एक कार्ड होगा, जिसके लिए आधार या मोबाइल नंबर के जरिये रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।

- हर नागरिक का इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा, जिसकी मदद से डॉक्टर यूनिक हेल्थ आईडी डालकर उस व्यक्ति की पूरी मेडिकल हिस्ट्री चेक कर सकेंगे। फिर मरीजों को डॉक्टरों के पास पर्चियां और फाइल लेकर नहीं जाना होगा।

- यूनीक डिजिटल हेल्थ कार्ड बनवाने के लिए इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। यहां 'क्रिएट हेल्थ आईडी' पर कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सबसे पहले आधार कार्ड या मोबाइल नंबर डालकर सत्यापन करना होगा। इसके बाद एक फोटो, जन्मतिथि और एड्रेस समेत कुछ जानकारियां भरनी होंगी। ये सारी जानकारियां जमा करने के बाद आपका हेल्थ आईडी कार्ड बनकर आ जाएगा।

डिजिटल हेल्थ मिशन

केंद्र सरकार का कहना है कि किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में मरीज की पहचान के लिए यूनिक आईडी एक मानक प्रक्रिया है। इसके जरिये मरीज की पहचान और उसका सत्यापन हो सकेगा। साथ ही एक क्लिक पर उसकी सारी जानकारी सामने आ जाएगी। देश के आकार और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मौजूदा सुविधाओं को देखते हुए फिलहाल इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा। लेकिन सरकार अधिक से अधिक लोगों को इसके दायरे में लाने का प्रयास कर रही है।

कई जानकारियाँ मिलेंगी

एक डेटाबेस बन जाने से लोगों के बीच बीमारियों के पैटर्न के बारे में जानकारियां मिलेंगी। सरकार को विशिष्ठ निर्णय लेने या नीति बनाने में आसानी होगी। लोगों का डेटाबेस होने से हेल्थ सम्बन्धी हिस्ट्री देख कर सही इलाज किया जा सकेगा। इससे समय की बचत होगी।



Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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