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रामदेव, पतंजलि बनाम आईएमए और भाजपा, गैर भाजपा सरकारें
बाबा रामदेव के ऐलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर हमला करने के बाद वह एक ओर जहां एलोपैथी चिकित्सकों के एक बड़े वर्ग के निशाने पर आ गए हैं।
नई दिल्ली: बाबा रामदेव के ऐलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर हमला करने के बाद वह एक ओर जहां एलोपैथी चिकित्सकों के एक बड़े वर्ग के निशाने पर आ गए हैं, उनके पतंजलि उत्पाद भी इस लड़ाई का हिस्सा बनते जा रहे हैं, वहीं भाजपा सरकारों और गैर भाजपा सरकारों का इस मामले पर अलग अलग दृष्टिकोण मामले को एक नया मोड़ देता दिखाई दे रहा है।
2014 के लोकसभा चुनाव में रामदेव जहां नरेंद्र मोदी के मुखर समर्थक थे, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बाबा रामदेव ने कहा था कि कोई पार्टी आ जाए हमे इससे फर्क नहीं पड़ता। जो भी पार्टी राष्ट्र हित और जनहित में काम करे, वही नई सरकार बनाए।
उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने भी कहा था कि वह तटस्थ हैं और उस सरकार का समर्थन करेंगे जो किसानों, आयुर्वेद और स्वास्थ्य के लिए काम करने का वादा करेगी।
2018 में बालकृष्ण देश के 15वें सबसे अमीर आदमी थे और उनकी कुल संपत्ति लगभग 5 बिलियन डालर आंकी गई थी।
एक लाख कोरोनिल किट का नि:शुल्क वितरण
ताजा मामले में एलोपैथी पर योग गुरु की टिप्पणियों को लेकर जारी आईएमए बनाम रामदेव लड़ाई में बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल हालांकि डॉक्टरों के साथ खड़े हुए। एक फेसबुक पोस्ट में, भाजपा नेता ने कहा कि रामदेव योगी नहीं हैं क्योंकि "योगी वह होता है जिसका अपनी सभी इंद्रियों और मस्तिष्क पर नियंत्रण होता है।''
लेकिन इस विवाद के दौरान भी भाजपा की हरियाणा सरकार बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि पर मेहरबान हो गई है। हरियाणा में कोरोना मरीजों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए पतंजलि की एक लाख कोरोनिल किट का नि:शुल्क वितरण का फैसला किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के ट्वीट के मुताबिक कोरोनिल का आधा खर्च पतंजलि और आधा हरियाणा सरकार कोविड राहत कोष से वहन करेगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कोरोनिल से कोरोना मरीजों के ठीक होने का दावा किया जाता है। इसलिए सरकार हरियाणा के लोगों के स्वास्थ्य एवं उपचार के प्रति कृतसंकल्प है।
इस कदम से बाबा रामदेव के बाद हरियाणा सरकार भी आईएमए के निशाने पर आ गई है। आईएमए ने हरियाणा सरकार द्वारा एक लाख कोरोनिल किट खरीदने और उसके निशुल्क वितरण पर सवाल उठाते हुए इसे जानलेवा बताया है।
आईएमए का कहना है कि यह एक अवैज्ञानिक प्रोडक्ट है और इसे डब्ल्यूएचओ से मान्यता मिलने का दावा पहले ही झूठा साबित हो चुका है। ऐसे में हरियाणा में कोविड इलाज के रूप में इसका वितरण करना खतरनाक साबित हो सकता है और यह जनता के पैसे की बर्बादी भी है।
कोरोनिल की बिक्री पर रोक
आईएमए हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. करन पूनिया का कहना है कि इंडिया के ड्रग कंट्रोलर जनरल एवं आयुष विभाग ने भी कोरोनिल को अभी तक अप्रूवल नहीं दिया है। उन्होंने सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार की सलाह दी है।
इससे पहले दिसंबर 2020 में ये खबरें आई थीं कि रामदेव बाबा के पतंजलि की इम्यूनिटी बूस्टर कही जानेवाली दवा कोरोनिल (Coronil) लंदन की दुकानों में खूब बिक रही है। इसके साथ यह भी कहा गया था कि यूनाइटेड किंगडम की मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) ने पतंजलि की कोरोनिल को अप्रूव नहीं किया है। एमएचआरए ने भी कहा था कि 'ब्रिटेन के जो दुकानदार किसी भी अनधिकृत औषधीय उत्पाद को बेच रहे हैं उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
गौरतलब है कि फरवरी 2021 में आईएमए के सवाल उठाने पर महाराष्ट्र में कोरोनिल की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। राज्य के गृहमंत्री ने कहा था कि किसी सक्षम संस्थान जैसे डब्ल्यूएचओ या आईएमए से उचित प्रमाण मिले बिना राज्य में कोरोनिल की बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी।
गौरतलब यह भी है कि जब राजस्थान के चिकित्सा विभाग ने पतंजलि आयुर्वेद द्वारा बनाई गई दवा के 'क्लीनिकल ट्रायल' करने को लेकर निम्स अस्पताल को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था।
उसके बाद जुलाई में कोरोनिल दवा के निर्माण पर जारी नोटिस के जवाब में पतंजलि ने कहा था कि कंपनी ने इस प्रक्रिया में किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया। तब आचार्य बालकृष्ण ने यह कहा था कि पतंजलि ने कभी नहीं कहा कि कंपनी की कोरोनिल दवा से कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है।
भाजपा और सरकार पतंजलि उत्पादों पर मेहरबान है। इस बात का प्रमाण है केंद्रीय शिक्षामंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का उत्तराखंड में कोरोनिल किट बंटवाना। हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, 'हरिद्वार के 2500 कोविड मरीजों को उनके सामान्य रूप से चल रहे इलाज के साथ कोरोनिल भी दिया जाए।' जबकि कोरोना के इलाज की गाइडलाइन में आईसीएमआर ने कोरोनिल का कोई जिक्र नहीं किया है। अब सवाल यह है कि जब सरकार की तरफ से इस दवा को मान्यता नहीं की गई तो भाजपा सरकार और उसके मंत्री इसे बंटवा क्यों रहे हैं?