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अगर आप खाते हैं सरसों का तेल तो रखें इसका ख्याल, नहीं तो ये बीमारी पड़ेगी भारी!
क्या आप जानते हैं बाजारों में मिलावटी खाद्य तेल आपकी सेहत को कैसे बिगाड़ते हैं और किस तरह की बीमारी होती है। आर्जीमोनयुक्त सरसों के तेल से डॉप्सी का खतरा रहता है
केंद्र सरकार ने सरसों तेल को लेकर बड़ा फैसला लिया है। जिससे जो मिलावट का खेल चल रहा था उस पर रोक लगेगी और उपभोक्ताओं को शुद्ध सरसों का तेल खाने को मिलेगा। अब तक देश में सरसों के तेल में ब्लेडिंग के नाम पर अन्य खाद्य तेल कुछ प्रतिशत तक मिलाने की अनुमति थी। सरकार ने लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया है। क्या आप जानते हैं बाजारों में मिलावटी खाद्य तेल आपकी सेहत को कैसे बिगाड़ते हैं और किस तरह की बीमारी होती है। आर्जीमोनयुक्त सरसों के तेल से डॉप्सी का खतरा रहता है और वर्ष 1995 में इस बीमारी से काफी लोग प्रभावित भी हुए थे।
आर्जीमोन और उसके खतरे
आर्जीमोन (भटकटैया) के बीज सरसों की तरह होते हैं। सरसों के तेल में आर्जीमोन की मिलावट से ड्राप्सी जैसी बीमारी का खतरा रहता है। आर्जीमोनयुक्त खाद्य तेल के सेवन से व्यक्ति के शरीर में सूजन आ जाती है। इसके साथ हृदय व फेफड़ों में पानी जमा हो जाता है, जो जानलेवा हो सकता है। फ्लोरिक एसिड व खाद्य तेल की बराबर मात्रा टेस्ट टयूब में लेकर थोड़ी देर हिलाने से रंग पीला या नारंगी हो जाए तो तेल में आर्जीमोन की मिलावट की पुष्टि होती है। ड्राप्सी के इलाज की हमारे देश में पर्याप्त व्यवस्था है। यह रोग गर्मी के दिनों में अधिक संभावित होता है।
कब होता है ड्रॉप्सी रोग?
डॉप्सी काफी खतरनाक बीमारी है। इससे मनुष्य को पेरालाइसेस होने का खतरा भी पैदा हो जाता है। ड्रॉप्सी रोग सरसों के तेल में अर्जीमोन तेल के मिलावट, सायनायड के मिलावट या उजला रंग करने वाली मिलावट के कारण होता है।
ड्रॉप्सी रोग के क्या हैं लक्षण?
मिलावटी सरसों का तेल प्रयोग करने से मनुष्य के जिगर, पित्ताशय, गुर्दे, हृदय आदि अंग कमजोर हो जाते हैं। मनुष्य को साधारण पानी भी नहीं पचता। उसके शरीर में दूषित पानी जमा हो जाता है और पेट फूलने लगता है। मनुष्य के हाथ पैर व मुंह में सूजन आ जाती है। मनुष्य को बुखार भी आ सकता है।
जौनपुर में ड्राप्सी से हुई थी चार मौतें
मई 2018 में यूपी के जौनपुर जिले में ड्रॉप्सी बीमारी की वापसी हुई थी। एक परिवार के चार लोगों की मौत से सूबे में हड़कंप मच गया था और सरकार को जांच बिठानी पड़ी थी। उस वक्त स्वास्थ्य विभाग के संचारी रोग विभाग के अडिशनल डायरेक्टर डॉ. एके पांडे ने इस बात की पुष्टि की थी।
कैसे करें असली सरसों तेल की पहचान
जब बात हो रही मिलावट की तो यहां आपको जानना जरुरी है कि आखिर आप कैसे असली सरसों तेल और नकली तेल को पहचानेंगे? इसके लिए सबसे आसान तरीका ये है कि जब आप कहीं से सरसों का तेल खरीदें तो उसे थोड़ी देर के लिए फ्रिज में रख दें। अगर वह असली सरसों का तेल नहीं होगा यानि पाम ऑयल से बना होगा, तो थोड़ा सा जम जाएगा। असली सरसों का कभी जमता नहीं है। वैसे भी पाम ऑयल से बना तेल थोड़ा भारी होता है। दूसरा सबसे आसान तरीका आप अपनी हथेली में थोड़ा तेल डालें और रगड़ें। यदि इसके बाद आपको कोई गंध या रासायनिक रंग के कोई निशान मिलें, तो इसका मतलब है तेल में कुछ चिकना पदार्थ मिला हुआ है।
क्या मिलावट होती है?
सरसों तेल में चावल की भूसी यानी राइस ब्रान तेल, पाम तेल या अन्य किसी सस्ते खाने के तेल की मिलावट की जाती है। इसके जानकारों का मानना है कि सरसों के तेल में मिलावट दो तरह से होती है- एक सम्मिश्रण (ब्लेंडिंग-Blending) जिसमें एक तय अनुपात में मिलावट की जाती है, जबकि दूसरा अपमिश्रण (अडल्टरेशन-Adulteration) है जिसमें मिलावट के लिए कोई अनुपात तय नहीं होता है।
सरसों तेल से बीमारियां होती हैं दूर
आज का मॉर्डन जमाने में खाने के अलावा कोई सरसों के तेल का इस्तेमाल नहीं करता है। जबकि इसके अनेकों फायदे भी हैं। पहले पहले दादी-नानी सरसों के तेल से ही बच्चे की मालिश करतीं थीं। प्रतिदिन स्नान से पहले सरसों का तेल लगाना चाहिए, उसके बाद स्नान करें, इससे आपके शरीर की त्वचा मुलायम रहेगी। साथ ही सुबह और शाम को सरसों का तेल नाभि में जरूर लगाएं। इससे पूरे शरीर की क्रियाएं ठीक रहती हैं। नाभि ही शरीर की केंद्र बिंदु है, उससे ही सारी क्रियाएं संचालित होती हैं।