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बेंगलुरु ने दिखाया रास्ता, शहरी ट्रांसपोर्ट की समस्या से निपटने की क्रांतिकारी पहल
सरकार का प्रस्ताव एक अलग बेंगलुरु मेट्रोपोलिटन लैंड (Metropolitan Land) ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (Transport Authority) बनाने का है। यह अथॉरिटी सड़क, बस, ट्रेन मेट्रो और ट्रांसपोर्ट के किसी भी अन्य साधन के बारे में निर्णय ले सकेगी।
Bangalore News: भारत में आमतौर पर किसी भी बड़े शहर में ट्रांसपोर्ट (Transport) के विभिन्न साधनों को रेगुलेट करने के लिए अलग अलग विभाग और एजेंसियां काम करते हैं। मिसाल के तौर पर मेट्रो, लोकल ट्रेन, कार, टैक्सी, बस, टेम्पो, ऑटो रिक्शा, मैन्युअल रिक्शा, ऑटो, मेट्रो, सड़क आदि सब अलग अलग विभागों के अंतर्गत आते हैं।
सब विभागों के अपने अपने नियम कायदे हैं। इसकी वजह से कोई एक सामान रणनीति नहीं बन पाती। एक विभाग सड़क (road) बनाता है और दूसरा विभाग तुरंत उसी सड़क को काट कर पाइपलाइन बिछाने लगता है या एक ही रूट पर मेट्रो से लेकर बसे और ऑटो चलते रहते हैं और मेट्रो का खर्चा तक नहीं निकल पाता। ऐसी ढेरों समस्याएं शहरों में आवागमन का भट्ठा बैठाये हुए हैं।
बेंगलुरु (Bangalore) भी ऐसी ही परेशानियों से जूझने वाला शहर है, वहां ट्रैफिक (traffic) का इतना बुरा हाल है कि जरा सी दूरी तय करने में घंटों लग जाते हैं। इन दुश्वारियों की एक वजह यह है कि ट्रांसपोर्ट से जुड़े अलग अलग मसलों को देखने वाले अलग अलग महकमे हैं जिनमें आपस में समन्वय नहीं के बराबर रहता है। अब कर्नाटक राज्य सरकार (karnataka government) ने इस समस्या को समाप्त करने के लिए एक नई व्यवस्था बनाने का विचार किया है जिससे ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में एक क्रांति आने की उम्मीद की जा रही है।
बनेगी बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन लैंड ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी
सरकार का प्रस्ताव एक अलग बेंगलुरु मेट्रोपोलिटन लैंड (Metropolitan Land) ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (Transport Authority) बनाने का है। यह अथॉरिटी सड़क, बस, ट्रेन मेट्रो और ट्रांसपोर्ट के किसी भी अन्य साधन के बारे में निर्णय ले सकेगी। यही नहीं, इस अथॉरिटी को ट्रांसपोर्ट से जुड़े किसी भी इंफ्रास्ट्रक्चर (infrastructure) के बारे में निर्णय लेने का अधिकार होगा, यानी बस स्टॉप, टैक्सी स्टैंड, बस स्टेशन, मेट्रो स्टेशन आदि के बारे में यही अथॉरिटी फैसला लेगी। अधिकारियों का कहना है कि यह अथॉरिटी महानगर के व्यापक ट्रांसपोर्टेशन प्लान को तैयार करेगी। उसे लागू और संचालित करेगी। अब टुकड़ों टुकड़ों में कोई एजेंसी काम नहीं करेगी। ऐसा नहीं होगा अकी एक विभाग सड़क बनाये और दूसरा डिपार्टमेंट तुरंत उसी सड़क को काट कर पाइपलाइन डालने लगे। अधिकारियों का कहना है कि विभागों के बीच समन्वय की कमी के चलते न केवल प्रोजेक्ट्स लटके रहते हैं बल्कि पैसों की बड़ी बर्बादी होती है। अथॉरिटी बनाने से विभिन्न ट्रांसपोर्ट सर्विस प्रोवाइडर्स के बीच की दूरियां समाप्त होंगी। छोटे कामों से लेकर भूमि अधिग्रहण तक के मसले एक ही प्रधिकार सुलझाएगा।
सदन में पेश होगा बिल
कर्नाटक सरकार के शहरी विकास विभाग के अनुसार अथॉरिटी के गठन के लिए एक ड्राफ्ट बिल (draft bill) बना लिया गया है । उसे अंतिम रूप देने के लिए संसदीय कार्य मंत्रालय के पास भेजा गया है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे असेम्बली में पेश किया जाएगा। प्रस्तावित अथॉरिटी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। इसमें शहरी विकास, म्यूनिसिपल कारपोरेशन, ट्रांसपोर्ट विभाग, विकास प्राधिकरण आदि सभी समबन्धित विभागों के प्रमुख शामिल होंगे। अथॉरिटी के सदस्यों में बस, मेट्रो, और उपनगरीय रेल सेवा सम्बन्धी कारपोरेशन तथा पुलिस कमिश्नर और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी शामिल होंगे। रेलवे के डीआरएम और एनएचएआई के रीजनल अधिकारी इस अथॉरिटी के विशिष्ट आमंत्रित होंगे। अथॉरिटी की एक 16 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति होगी जिसके अध्यक्ष चीफ सेक्रेटरी होंगे। इनकी बैठक चार महीने में कम से कम बार अवश्य होगी। शहर में ट्रांसपोर्ट से जुड़े सभी छोटे-बड़े प्रोजेक्ट्स की यह समिति समीक्षा करेगी। समिति में नामचीन नागरिक और एक स्वतंत्र एक्सपर्ट भी शामिल होगा। समिति के निर्णय अथॉरिटी के समक्ष रखे जायेंगे जहाँ मतदान के जरिये फैसले लिए जायेंगे। कर्नाटक का यह प्रयोग अगर सफल रहता है तो बाकी राज्यों के लिए यह एक नजीर बन कर सामने आयेगा। क्योंकि सभी बड़े शहर एक सामान समस्याओं से जूझ रहे हैं। कर्नाटक ने समस्या को स्वीकार किया है यही अपने आप में एक बड़ी बात है।