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बैंक कर्मियों को झटका: सरकार पेश करेगी बिल, सरकारी कर्मचारियों का हल्ला-बोल, राकेश टिकैत का आया बयान

Bank Ka Nijikaran: ज़ाहिर है कि काफी समय पहले से ही बैंक कर्मचारियों द्वारा इस कानून का विरोध किया जा रहा है लेकिन अब जब हाल फिलहाल में यह संशोधन कानून संसद में ओएक्श होने के लिए तैयार है।

Rajat Verma
Written By Rajat VermaPublished By Divyanshu Rao
Published on: 6 Dec 2021 12:51 PM GMT
Bank Ka Nijikaran
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बैंक की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

Bank Ka Nijikaran: यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र में लाए जाने वाले बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 (bank privatisation bill in parliament) के खिलाफ हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की सरकार की योजना के विरोध में 16 और 17 दिसंबर को दो दिवसीय हड़ताल (bank ki hartal) करने का सुनिश्चित किया है।

ज़ाहिर है कि काफी समय पहले से ही बैंक कर्मचारियों द्वारा इस कानून का विरोध किया जा रहा है लेकिन अब जब हाल फिलहाल में यह संशोधन कानून संसद में ओएक्श होने के लिए तैयार है। इसके चलते अब सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंक कर्मियों ने 16 और 17 दिसंबर को पूर्ण रूप से कार्य बहिष्कार कर हड़ताल करने का निर्णय लिया है।

अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (AIBOC) के महासचिव संजय दास ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के निजीकरण से अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को नुकसान पहुंचेगा।

इसके अतिरिक्त अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव सी एच वेंकटचलम अपनी बात रखते हुए कहा कि हम पिछले 25 सालों से यूएफबीयू के झंडे के नीचे बैंकिंग की नीतियों में हो रहे उन बदलावों का विरोध कर रहे हैं जिनका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कमजोर करना है।

बैंकों की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

सरकार के मुताबिक बैंकिंग क़ानून संशोधन विधेयक 2021 का उद्देश्य

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 का बजट पेश वक़्त 1.75 लाख करोड़ जुटाने के उद्देश्य से विनिवेश अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी।

संसद शीतकालीन सत्र में पेश होने वाले इस विधेयक का उद्देश्य दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करना है। जिसमें बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और 1980 में संशोधन किए जाने की आवश्यकता है तथा साथ ही बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 में आकस्मिक संशोधन किए जाने की आवश्यकता है।

राकेश टिकैत ने मामले में दिया बयान

संयुक्त किसान मोर्चा नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने ट्वीट के माध्यम से सरकार द्वारा पेश होने वाले बैंकों के निजीकरण के बिल के विरोध में धरने पर बैठने की तैयारी कर रहे कर्मचारियों से आह्वान करते हुए कहा कि-" हमने पहले ही आगाह किया था कि अब अगले नंबर बैंकों का होगा, इसलिए अब वक्त आ गया है कि सरकार द्वारा सरकारी उपक्रमों को निजी कंपनियों के हाथों सौंपने और निजीकरण करने के खिलाफ सभी आंदोलनों को एक हो जाना चाहिए।


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