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Bharat Me Garibi Rekha: भारत में गरीबी और जातियों का है नाता

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर छह में से पांच गरीब लोग या तो निचली जनजातियों से आते हैं या निचली जातियों के हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Monika
Published on: 8 Oct 2021 3:44 PM IST (Updated on: 8 Oct 2021 4:03 PM IST)
poverty in india
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भारत में गरीबी (फोटो : सोशल मीडिया ) 

Bharat Me Garibi Rekha: भारत में गरीबी भी जातियों में जकड़ी हुई है या यूं कहें कि जातियों का गरीबी से गहरा रिश्ता (Jatiyo Ka Gareebi Se Rishta) है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर तरह की गरीबी से पीड़ित हर छह में पांच लोग निचली जातियों (lower caste) से आते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बहुआयामी गरीबों (multidimensional poor) वाले टॉप पांच देशों में भारत सबसे आगे है , जहाँ वर्ष 2015-16 में ऐसे लोगों की संख्या 38 करोड़ 10 लाख थी। इसके बाद नाईजीरिया, पाकिस्तान, इथियोपिया, कांगो आते हैं।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफ़ोर्ड ने मल्टीडाईमेन्शनल पावर्टी इंडेक्स तैयार किया है, जिसमें गरीबी से सम्बंधित डेटा दिए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर छह में से पांच गरीब लोग या तो निचली जनजातियों से आते हैं या निचली जातियों के हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत में अनुसूचित जनजातियों का हिस्सा 9.4 फीसदी है और ये समुदाय सबसे गरीब है। एक अरब 29 करोड़ की आबादी में इस समुदाय के साढ़े छह करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी में रहते हैं। यानी भारत में बहुआयामी गरीबी में जी रहे कुल लोगों में छठवां हिस्सा एसटी का है।

अनुसूचित जनजाति के बाद अनुसूचित जातियों का स्थान है जिनमें से 33.3 फीसदी लोग बहुआयामी गरीबी में रह रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत में 28 करोड़ 30 लाख अनुसूचित जाति के लोग हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ओबीसी यानी अन्य पिछड़ी जातियों के लोगों की संख्या 58 करोड़ 80 लाख है और इनमें से 27.2 फीसदी यानी 16 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी में हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कुल मिला कर भारत में बहुआयामी गरीबी में जी रहे प्रति छह लोगों में से पांच लोग एसटी, एससी या ओबीसी समुदाय के हैं।

भारत में गरीबी (फोटो : सोशल मीडिया )

महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखने के समाज पर दूरगामी प्रभाव

दुनियाभर में 1.3 अरब बहुआयामी गरीब लोगों का अध्ययन इस प्रोजेक्ट में किया गया था। इसमें से 83 करोड़ 60 लाख लोग ऐसे परिवारों के हैं जिनमें किसी महिला ने छह साल तक की भी स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं की है। रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखने के समाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं। ऐसे ऐसे 83 करोड़ 60 लाख लोगों में से 36 करोड़ ३० लाख लोग अफ्रीका में और 35 करोड़ लोग दक्षिण एशिया में रहते हैं। 22.7 करोड़ लोग भारत में, 7.1 करोड़ लोग पाकिस्तान में, 5.9 करोड़ लोग इथियोपिया में, 5.4 करोड़ नाइजीरिया, 3.2 करोड़ चीन, 3 करोड़ बांग्लादेश और 2.7 करोड़ डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो में रहते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, बहुआयामी गरीबों वाले टॉप पांच देशों में भारत सबसे आगे है । जहाँ वर्ष 2015-16 में ऐसे लोगों की संख्या 38 करोड़ 10 लाख थी। इसके बाद नाईजीरिया, पाकिस्तान, इथियोपिया, कांगो आते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के बहुआयामी गरीब लोगों की तादाद में से आधे बच्चे हैं। भारत में जनसंख्या का 12 फीसदी हिस्सा यानी 16 करोड़ 20 लाख लोग ऐसे परिवारों में रहते हैं , जिनकी अगुवा महिला हैं। दुनिया की बात करें तो 108 देशों के 20 करोड़ 70 लाख बहुआयामी गरीब महिला प्रमुख परिवारों में रहते हैं।

यूएनडीपी के प्रशासक अचिम स्टीनर का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर में डेवलपमेंट बाधित हुआ है। अभी तक महामारी का पूरा इम्पैक्ट समझा नहीं जा सका है।

गरीब बच्चे (फोटो : सोशल मीडिया )

कुछ आंकड़े

- विश्व भर में 1.3 अरब लोग बहुआयामी गरीब हैं। इनमें से आधे यानी 64 करोड़ 40 लाख 18 वर्ष से कम उम्र के हैं।

- बहुआयामी गरीबों में से 67 फीसदी माध्यम आय वर्ग वाले देशों में रहते हैं।

- 78 करोड़ 80 लाख लोग ऐसे परिवारों में रहते हैं जिनमें कम से कम एक कुपोषित व्यक्ति है।

- 56 करोड़ 80 लाख को पीने योग्य पाने के लिए आधा घंटा पैदल चल कर आना-जाना पड़ता है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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