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अंटार्कटिका जा रही है बीएचयू की यह लड़की, जानें अब तक पहुंचे कितने भारतीय दल

अंटार्कटिका महाद्वीप पर भूवैज्ञानिक अध्ययन के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) की शोधार्थी रश्मि गुप्ता को अध्ययन दल का सदस्य चुना गया है।

Riya Gupta
Report Riya GuptaPublished By Ashiki
Published on: 11 Aug 2021 5:51 PM IST
Rashmi Gupta, a member of the 41st Indian Expedition to Antarctica
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अंटार्कटिका के 41 वें भारतीय अभियान दल के सदस्य रश्मि गुप्ता (File Photo)

नई दिल्ली: अंटार्कटिका महाद्वीप पर भूवैज्ञानिक अध्ययन के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) की शोधार्थी रश्मि गुप्ता को अध्ययन दल का सदस्य चुना गया है। भारतीय भूवैज्ञानिकों की अंटार्कटिका के लिए यह 41वीं यात्रा होगी। दुनिया के कई देशों के भूवैज्ञानिक पूरे साल भर अंटार्कटिका में अध्ययन के लिए मौजूद रहते हैं। अंटार्कटिका पर हो रही रिसर्च ने अब तक दुनिया के सामने कई राज खोले हैं।

बीएचयू के इंस्टीट्यूट आफ साइंस के निदेशक व प्रोफेसर अनिल त्रिपाठी ने यह जानकारी लोगों से साझा की है। उन्होंने बताया कि यह बहुत खुशी और गर्व की बात है कि हमारे भूविज्ञान विभाग की शोध छात्रा रश्मि गुप्ता को अंटार्कटिका में 41वें भारतीय वैज्ञानिक अभियान के लिए चुना गया है। उनकी पर्यवेक्षक डॉ. मयूरी पांडे हैं जिन्होंने 1916 में अंटार्कटिका की इसी तरह की यात्रा की थी।

कहां है अंटार्कटिका महाद्वीप

अंटार्कटिका पृथ्वी का दक्षिणतम महाद्वीप है। यह चारों ओर से दक्षिणी महासागर से घिरा हुआ है। यह एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के बाद पृथ्वी का पांचवा सबसे बड़ा महाद्वीप है।

इतिहास

कई सदियों से पूरे यूरोप में यह विश्वास फैला था कि एशिया, यूरोप, उत्तरी अफ्रीकी की भूमियों को संतुलित करने के लिए पृथ्वी के दक्षिणतम सिरे पर एक विशाल महाद्वीप अस्तित्व में है। इसे वो टेरा ऑस्ट्रलिस बोलते है। टॉलेमी के अनुसार, विश्व की सभी ज्ञात भूमियों की समिति के लिए एक विशाल महाद्वीप का दक्षिण में अस्तित्व अवश्यभावी था। 16 वी शताबदी के शुरुआती दौर में पृथ्वी के दक्षिण में एक विशाल महाद्वीप को दर्शाने वाले मानचित्र आम थे, जैसे तुर्की का पीरी रिस नक्शा है। 17 वी शताब्दी में जब खोजकर्ता यह जान चुके थे कि दक्षिणी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया कथित अंटार्कटिका का भाग नहीं है। फिर भी वो यह मानते थे कि दक्षिणी महाद्वीप उनके अनुमानों से बहुत विशाल है।

अंटार्कटिका महाद्वीप पर डॉक्टर मयूरी पांडे (फाइल फोटो)

अंटार्कटिका कार्यक्रम

अंटार्कटिका में पहला भारतीय अभियान दल january 1982 में उतरा से शुरू हुआ था। दक्षिण गंगोत्री और मैत्री अनुसंधान केंद्र में स्थित भारतीय अनुसंधान केंद्र में उपलब्ध मूलभूत आधार में वैज्ञानिकों को विभिन्न विषयों के क्षेत्र में सक्षम बनाया। अंटार्कटिका वातावरणीय विज्ञान कार्यक्रम में अनेक वैज्ञानिकों ने भाग लिया। इनमें भारतीय मौसम विज्ञान, कोलकाता विश्वविद्यालय, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला और बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी शामिल हैं।

अंटार्कटिका में मिली 175 साल पुरानी हड्डियों की कहानी

इस महाद्वीप पर लोगों का रह पाना मुश्किल है। हालांकि हैरानी की बात यह है कि यहां की बर्फ में इंसानों के कुछ अवशेष मिले है। इस जगह पर बहुत से वैज्ञानिक और खोजकर्ता पहुंचे, लेकिन उनमें से बहुत के शव नहीं मिले। फिलहाल उनकी मौत एक रहस्य बनी हुई है।

यहा साल 1980 में चिली के खोजकर्ताओं को एक महिला की खोपड़ी और जांघ मिली थी। यह लगभग 175 साल पुरानी है।

पहली बार भारतीय दल अंटार्कटिका कब पहुंची थी

अंटार्कटिका महाद्वीप पर पहली बार भारतीय अभियान दल 9 january 1982 को पहुचा। यह भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इस अभियान की शुरुआत 1981 में हुई थी, जिसमें कुल 21 सदस्य थे। इस टीम का नेतृत्व डॉक्टर एस जेड कासिम ने किया था। उस दौरान कासिम पर्यावरण विभाग के सचिव थे।

क्या था मिशन

इस अभियान का मिशन अंटार्कटिका में वैज्ञानिक अनुसंधान करना था। यह दल 6 दिसंबर 1981 को गोआ से रवाना हुई थी, जो अंटार्कटिका से 21 february 1982 को वापस गोआ पहुचा।

तीन स्थाई अनुसंधान बेस स्टेशन

इस शुरुआत के बाद भारतीय अंटार्कटिका कार्यक्रम ने अब तक तीन स्थाई अनुसंधान बेस स्टेशन अंटार्कटिका में स्थापित कर दिया है। इनका नाम दक्षिण गंगोत्री, मैत्री और भारती हैं।

36वां भारतीय वैज्ञानिक अभियान

36वे भारतीय वैज्ञानिक अभियान में इसरो से दो टीमें, अहमदाबाद से दो सदस्य और राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र सहित हैदराबाद से चार शोधकर्ताओं ने भाग लिया था।

39वां भारतीय वैज्ञानिक अभियान

39वें भारतीय वैज्ञानिक अभियान की शुरुआत नवंबर 2019 में हुई थी। इस दौरान टीम में 27 वैज्ञानिक थे। अपना मिशन पूरा करने के बाद टीम मई 2020 को भारत लौट आई।

40वां भारतीय वैज्ञानिक अभियान

भारत ने 40वां भारतीय वैज्ञानिक अभियान शुरू किया। यह 5 january 2021 को गोआ से रवाना हुआ था। इसमें 43 सदस्य शामिल है।



Ashiki

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