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Karnataka: हिजाब विवाद थमा नहीं कि बाइबिल पर शुरू घमासान, हिंदू संगठन का फूटा गुस्सा

Bible Compulsory in Schools: छात्र-छात्राओं के अभिवावकों से वचन लिया है कि वे अपने बच्चों को बाइबिल स्कूल (Bible Compulsory in Schools) लाने पर आपत्ति नहीं जताएंगे।

Krishna Chaudhary
Report Krishna ChaudharyPublished By Praveen Singh
Published on: 25 April 2022 8:38 PM IST
Bible Controversy Karnataka
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Bible Controversy Karnataka

Bible Controversy Karnataka: कर्नाटक में धार्मिक मुद्दों को लेकर विवाद का सिलसिला जारी है। देश के समृद्ध और शिक्षित राज्यों में शुमार दक्षिण भारत के इस राज्य में हिजाब के बाद अब बाइबिल को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल एक मिशनरी स्कूल ने ऐसा आदेश जारी किया है जिसपर हिंदू संगठन भड़क गए हैं। राजधानी बेंगलुरू के क्लेरेंस हाई स्कूल मैनेजमेंट ने आदेश जारी कर कहा है कि स्कूलों में बाइबिल लाना अनिवार्य है। स्कूल प्रबंधन के इस फैसले का हिंदू संगठन विरोध कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरू के क्लेरेंस हाई स्कूल मैनेजमेंट ने वहां पढ़ रहे छात्र-छात्राओं के अभिवावकों से एक एप्लिकेशन फॉर्म पर वचन लिया है कि वे अपने बच्चों को बाइबिल स्कूल (Bible Compulsory in Schools) लाने पर आपत्ति नहीं जताएंगे। स्कूल प्रशासन के इस फैसले की भनक जब हिंदू संगठनों को लगी तो इसका विरोध शुरू हो गया। संगठन ने इसे एजुकेशन एक्ट का उल्लंगण बताया है।

बाइबिल पढ़ने पर किया जा रहा मजबूर

बीते कुछ दिनों से सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहे कर्नाटक में इस मुद्दे ने नया बवाल खड़ा कर दिया है। क्लेरेंस हाई स्कूल के इस आदेश पर हिंदू संगठन भड़के हुए हैं। हिंदू जनजागृति समिति के प्रवक्ता मोहन गौड़ा ने दावा किया कि स्कूल में गैर-ईसाई छात्रों को बाइबिल पढ़ने के लिए दवाब बनाया जा रहा है। वहीं स्कूल ने दवाब बनाने की बात को खारिज किया है।

दरअसल कर्नाटक में ईसाई मिशनरी और हिंदू संगठऩों के बीच अदावत पुरानी है। हिंदू संगठऩों का आरोप है कि ईसाई मिशनरी लालच देकर हिंदूओं विशेषकर गरीब तबके के लोगों का धर्मांतरण करवाते हैं। बीते कुछ समय में राज्य के कई चर्चों पर हमले भी हो चुके हैं। ऐसे में जबरन बाइबिल पढ़ाने का मुद्दा टकराव को और बढ़ा सकता है।

कर्नाटक का हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Controversy)

बता दें कि कर्नाटक थोड़े समय पहले तक हिजाब विवाद को लेकर देश के साथ-साथ अंतराष्ट्रीय मीडिया में भी छाया हुआ था। दरअसल यह विवाद तब शुरू हुआ था जब राज्य के उडुपी जिले की छह मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर क्लास में बैठेने की मांग पर अड़ गईं। कॉलेज मैनेजमेंट ने उन्हें नई यूनिफॉर्म पॉलिसी का हवाला देकर रोका, तो वो धरने पर बैठ गईं। देखते ही देखते इस मामले ने बड़ा सियासी रूप अख्तियार कर लिया। मामला अदालत की चौखट तक पहुंच गया। कर्नाटक हाईकोर्ट में 74 दिन तक चले सुनवाई के बाद इसपर फैसला आया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि स्कूलों में हिजाब पहनना जरूरी नहीं है। फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।



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Admin 2

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