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Bihar Diwas 2022: वो 5 बातें जो बिहारियों को बनाती हैं सबसे अलग...

Bihar Diwas 2022: बिहार कई महापुरुषों की जन्म और कर्म स्थली रही है। लेकिन, कई ऐसे गुण और अंदाज हैं जो बिहारियों को देश के अन्य राज्यों के लोगों से अलग बनाते हैं। आईये जानें...

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Written By aman
Published on: 22 March 2022 11:11 AM IST
Bihar Diwas five things make bihari special from others
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Bihar Diwas 2022 : वो 5 बातें जो बिहारियों को बनाती हैं सबसे अलग

Bihar Diwas 2022 : देश के एक महत्वपूर्ण राज्य बिहार आज, 22 मार्च 2022 को अपने गठन के 110 साल पूरे कर चुका है। वर्ष 1912 में इसी तारीख को अंग्रेजों ने जमीन के एक बड़े भू-भाग को बंगाल से अलग किया था, जिसका नाम दिया गया 'बिहार'। बिहार कई महापुरुषों की जन्म और कर्म स्थली रही है। महात्मा बुद्ध, महावीर, चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, सम्राट अशोक आदि का संबंध यहीं से रहा है।

अगर इससे प्राचीन यानी पुराणों में जाएं तो माता सीता का जन्म इसी धरती में हुआ था। महर्षि वाल्मीकि, दुर्वासा ऋषि, जनक सहित कई गौरवशाली हस्तियों ने इस धरती की पहचान को और सशक्त किया। कोरोना काल की वजह से तीन साल बाद आज बिहार दिवस पर राजधानी पटना में भव्य कार्यक्रम का आयोजित किए जा रहे हैं। आज के कार्यक्रम का मुख्य मंच पटना के गांधी मैदान में सजेगा। साथ ही, एसके मेमोरियल हॉल में भी बिहार दिवस के मौके पर कई कलाकार प्रस्तुति देंगे। बिहार सरकार ने इस वर्ष 'जल जीवन हरियाली' को कार्यक्रम का थीम बनाया है।

लेकिन, आज हम बिहार को लेकर कुछ ऐसी बातें करने जा रहे हैं जो उसे देश के अन्य राज्यों से अलग बनाती है। गौर करें, सत्ता में बैठे मठाधीश हों या सड़क किनारे बिकने वाला व्यंजन, प्रशासनिक सेवा में उच्च पदों पर काबिज अधिकारी हों या हार-तोड़ मेहनत करता मजदूर। हर जगह बिहारियों ने अपनी अलग छाप छोड़ी है। बिहारियों की जीवन शैली, उनका ह्यूमर, उनकी खास भाषा शैली बाकियों से अलग बनती है। तो चलिए ऐसी ही 5 गुणों की हम चर्चा करते हैं जो इन्हें देश के राज्यों के लोगों से अलग जुदा बनती है।


सियासत के 'शेर'

बिहार की बात करें और बात सियासत की न हो, ऐसा हो नहीं सकता। बिहार में एक लाइन आपको बहुत अधिक सुनने को मिलेगी- 'राजनीति, हमीं से..।' मतलब, बिहार का हर व्यक्ति खुद को राजनीति का धुरंधर मानता है। एक समय कहा ही जाता था कि 'बिहार के बच्चे मां की कोख से राजनीति का ककहरा पढ़कर आते हैं।' अगर, आपको मेरी बातों पर यकीन नहीं हो रहा तो बिहार जाने वाली किसी ट्रेन में बैठकर देख लें। फिर भी कम लगे तो बिहार में किसी चौक-चौराहे पर घंटाभर समय दीजिए, पूरे देश की सियासत न आपको समझा दिया जाएगा दें तो कहिएगा। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद से लेकर लालू, नीतीश, रामविलास पासवान, जगन्नाथ मिश्रा, ललित नारायण मिश्रा जैसे कई बड़े चेहरे रहे जिन्होंने राजनीति में बिहार की छाप छोड़ी। यही वजह है कि किसी बिहारी से आप अगर उलझ पड़े तो वो अपनी रिश्तेदारी किसी बड़े नेता से नीचे का नहीं देगा। तो, जरा संभल के ..


'लाल बत्ती' वाली गाड़ी का सपना

बिहारियों की खास लालसा 'लाल बत्ती' की रहती है। माने, बिहार के हर माता-पिता का यही सपना रहता है कि उसका बेटा खूब पढ़ाई करे और 'लाल बत्ती' वाली गाड़ी, रुतबा आदि हासिल करे। बिहार के लोगों के लिए यह गर्व की बात रही है, कि यूपीएससी से च‍यनित छात्रों और टॉप के अधि‍कारियों में उनके यहां के लोग रहते हैं। इसका एक बड़ा नजारा आपको पटना की तंग गलियों से दिल्‍ली के मुखर्जी नगर तक दिख जाएगा। यहां बिहारी यूपीएससी क्लियर करने के लिए दिन-रात एक किये रहते हैं।


लिट्टी-चोखा का कॉपीराइट

अब बात चटकारे की। बात पेट पूजा की हो तो आप बिहार के लिट्टी-चोखा को कैसे भूल सकते हैं। इस व्यंजन पर तो बिहारियों का जैसे कॉपीराइट है। बिहारी जिस राज्य में भी गए, लिट्टी-चोखा का प्रसार जमकर किया। यूं कहें, तो इसे खाने के शौक और बिहार के हुनर से भी जोड़कर देख सकते हैं।


'खैनी' के बिना बात अधूरी

खाने-पीने की बात हो गई तो अब बात खैनी की कर लें। बिहार में इसका इस्तेमाल मूड और माहौल बदलने के लिए करते हैं। बिहार में जिसे लोग खैनी कहते हैं, उसे अन्य राज्यों में 'सूर्ती' कहते हैं। ट्रेन हो या बस खैनी खाते लोग आपको हर कहीं मिल जाएंगे। कई बार तो अनजान लोगों से दोस्ती खैनी के जरिए ही होती है। बीते चुनावों में जब शरद यादव सक्रिय थे तो उनकी एक तस्वीर बहुत वायरल हुई थी जिसमें हेलीकॉप्टर में वो खैनी बना रहे थे।


'बिहारी टोन'

अब आखिर में बात सबसे खास और हम बिहारियों की खास भाषा शैली यानी टोन की। हिंदी पट्टी से से होने के बावजूद हम बिहारियों की एक खास टोन बाकियों से अलग बनाती है। आप गौर करें, बोलने के क्रम में कोई भी बिहारी हो वो 'र' और 'ड़' का उच्चारण तथा 'स' और 'श' के उच्‍चारण में पक्का फंसेगा। न हो यकीन तो एक बार उच्चारण करवा लीजिये। कहने का मतलब है कि बिहार से हैं तो चाहे दुनिया के किसी कोने में क्‍यों न चले जाएं, भाषा कितनी ही समृद्ध क्‍यों न हो जाए, बोलने के क्रम में एक बार बिहारी टोन नहीं आया तो फिर क्या बात हुई।



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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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