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BD Jatti : सारे बड़े संवैधानिक पदों पर रहने वाले सिर्फ एक राजनेता का सफर

बासप्पा दानप्पा जत्ती की आज पुण्यतिथि है, देश केे एक ऐसे राजनेता जो नगर निगम से लेकर मुख्यमंत्री, राज्यपाल, कार्यवाहक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की कुर्सी संभाली, ये गौरव देश में अब तक सिर्फ दो राजनेताओं को हासिल हुआ है।

Rahul Singh Rajpoot
Published By Rahul Singh Rajpoot
Published on: 7 Jun 2021 1:31 PM IST (Updated on: 7 Jun 2021 3:49 PM IST)
BD Jatti : सारे बड़े संवैधानिक पदों पर रहने वाले सिर्फ एक राजनेता
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पूर्व राष्ट्रपति बीडी जत्ती, फाइल फोटो, साभार-सोशल मीडिया

क्या आप जानते हैं कि भारतीय राजनीति में चंद लोग ऐसे हैं जो देश के सारे संवैधानिक पदों पर कार्य कर चुके हैं, आज ऐसे ही एक शख्सियत की पुण्यतिथि है जो नगर निगम से लेकर सीएम तक और राज्यपाल से लेकर कार्यवाहक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के संवैधानिक पद रह चुके हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं बासप्पा दानप्पा जत्ती (B. D. Jatti) की। जो मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल तक और कार्यवाहक राष्ट्रपति से लेकर उपराष्ट्रपति की कुर्सी संभाल चुके हैं। ये गौरव देश में अबतक सिर्फ दो राजनेताओं को हासिल हुआ है जो सीएम लेकर राष्ट्रपति का सफर तय किया हो। बीडी जत्ती की पुण्यतिथि पर आज हम आपको बताएंगे कौसा था उनका व्यक्तित्व और राजनीतिक सफर?

बीडी जत्ती का जन्म 10 सितम्बर 1913 को कर्नाटक के बीजापुर जिले के जमखंडी तालुक के सवालगी ग्राम में कन्नडिगा लिंगायत हुआ था। जब इनका जन्म हुआ तो गांव में कोई भी मूलभूत सुविधाए नहीं थीं। उस वक्त इनका गांव मुंबई प्रेसिडेंसी की सीमा के निकट था। इस कारण वहां की भाषा मराठी थी, कन्नड़ भाषा नहीं। मात्र 10 वर्ष की आयु में वर्ष 1922 में इनका विवाह भाभानगर की संगम्मा के साथ हुआ था।

बीडी जत्ती का विद्यार्थी जीवन

बीडी जत्ती के सवालगी ग्राम में उस वक्त दो स्कूल थे, जो प्राथमिक स्तर के थे। एक, लड़कों का स्कूल और दूसरा, लड़कियों का स्कूल। वह अपनी बड़ी बहन के बालिका स्कूल में पढ़ने जाते और वह इनकी सुरक्षा करती थीं। दूसरी कक्षा के बाद इन्हें लड़कों के स्कूल में दाखिला प्राप्त हो गया। चौथी कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ए.वी. स्कूल में उनका दाखिला कराया गया। जो उसी साल खुला था। यह स्कूल काफ़ी अच्छा माना जाता था। उन्होंने बंबई विश्वविद्यालय से संबद्ध राजाराम कॉलेज, कोल्हापुर से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद बहुत कम समय के लिए अपने गृहनगर जमखंडी में वकील के तौर पर प्रैक्टिस की। धार्मिक प्रवृत्ति के बी.डी जत्ती बेहद नम्र स्वभाव के व्यक्ति और कानून के अच्छे ज्ञाता थे। वह जरूरतमंदों की सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।


फाइल फोटो, साभार-सोशल मीडिया

बसप्पा दनप्पा जत्ती का राजनैतिक सफर

बीडी जत्ती साल 1940 में जमखंडी नगर-निगम के सदस्य के तौर पर अपने राजनैतिक कैरियर की शुरूआत की। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में बासप्पा ने प्रजा परिषद पार्टी की ओर से प्रतिनिधित्व किया। 1952 में भारतीय गणराज्य का प्रथम आम चुनाव हुआ। इसमें बासप्पा ने कांग्रेस के टिकट पर जमाखंडी सीट से विधायक का चुनाव लड़ा और शानदार अंतर के साथ जीत हासिल की। जमखंडी निर्वाचन क्षेत्र से तीसरी बार जीतने के बाद वह वित्त मंत्री तथा चौथे कार्यकाल के दौरान वह खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री बनाए गए। वर्ष 1958 से 1962 तक मैसूर राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे।


फाइल फोटो, साभार-सोशल मीडिया

1968 में पुद्दुचेरी, उड़ीसा के राज्यपाल बने

बासप्पा वर्ष 1968 में पॉडिचेरी के उप राज्यपाल और 1973 में ओडिशा के राज्यपाल भी बने। इसके साथ ही उनका राष्ट्रीय राजनीति में आगमन हुआ।

1974 में उपराष्ट्रपति बने

पुद्दुचेरी और उडीसा के राज्यपाल की कुर्सी पर विराजमान हो चुके बीडी जट्टी 1974 में में भारत के उपराष्ट्रपति बने। इस पद पर वह 1980 तक रहे। देश के पांचवें राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद का निधन हो जाने के कारण बासप्पा दानप्पा जत्ती को 11 फरवरी 1977 को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया। वे देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति के पद पर 11 फरवरी 1977 से 25 जुलाई 1977 तक रहे। इस दौरान इन्होंने अपना दायित्व संवैधानिक गरिमा के साथ पूर्ण किया।


फाइल फोटो, साभार-सोशल मीडिया

बीडी जत्ती का निधन

10 सितम्बर 1912 को जन्में बीडी जट्टी का निधन 7 जून, 2002 को हो गया। वे एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने निःस्वार्थ सेवा करने का उदाहरण समाज के सामने रखा था और वे हमेशा सच्ची राजनीती करने वाले नेता के नाम से जाने जाते थे।

पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा

बीडी जत्ती के अलावा देश के पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा का नाम शामिल है, जो मध्य-प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और बाद देश के सबसे बड़े पद राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठे।


पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, फाइल फोटो, साभार-सोशल मीडिया





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