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अपने 41 साल में कई उतार-चढ़ाव देख चुकी है भाजपा, ये रहे गवाह

केन्द्र के साथ देश के कई राज्यों में सत्ताधारी भाजपा आज से 41 वर्ष की अपनी आयु पूरी कर रही है। अपने जन्म से लेकर

Vidushi Mishra
Published By Vidushi Mishra
Published on: 6 April 2021 1:28 AM GMT
अपने 41 साल में कई उतार-चढ़ाव देख चुकी है भाजपा, ये रहे गवाह
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फोटो-सोशल मीडिया

नई दिल्ली। केन्द्र के साथ देश के कई राज्यों में सत्ताधारी भाजपा आज से 41 वर्ष की अपनी आयु पूरी कर रही है। अपने जन्म से लेकर बढ़ती उम्र तक भाजपा ने अपने जीवन में कई उतार-चढाव देखे हैं। इस दौरान उसने कई दलों के साथ गठबन्धन निभाया तो कई के साथ उसका गठबन्धन टूटा भी। अपने जीवन में वह कई बार सत्ता से बाहर हुई तो कई बार मजबूत होकर दोबारा उभरकर सत्ता तक पहुंची है। पर भाजपा आज जिस दौर में है वह उसके जीवन का सबसे ताकतवर दौर कहा जा सकता है। इसके पीछे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पं दीनदयाल उपाध्याय, और पं अटल विहारी के त्याग और समर्पण के साथ बनाई गयी नींव को उंची अट्टालिकाओं तक पहुंचाने वाले कई नेताओं की भूमिकाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।

भारतीय जनसंघ की स्थापना



भारतीय जनता पार्टी की स्थापना छह अप्रैल 1980 को हुई है लेकिन इसके मूल में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी थें, जिन्होंने 1951 में कानपुर में भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी। इसके बाद पं दीन दयाल उपाध्याय के साथ पंडित अटल विहारी वाजपेयी और बाद मे लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी को आगे बढाने का काम किया। लेकिन बाद में मोदी और शाह की जोड़ी ने इसे विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनाने का काम किया है।

अपनी स्थापना के बाद हुए पहले लोकसभा (1984) के चुनाव में भाजपा को मात्र 2 सीटें मिली थीं, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा कांग्रेस के बाद देश की एकमात्र ऐसी पार्टी बनी जिसने चुनाव भले ही गठबंधन साथियों के साथ लड़ा, लेकिन 282 सीटें अपने बूते हासिल कर पहली बार बहुमत हासिल करने का काम किया।

अटल विहारी वाजपेयी


6 अप्रैल 1980 को मुम्बई में हुई भाजपा की स्थापना के बाद अटल विहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बनाए गए। वाजपेयी 1951 में जनसंघ के संस्थापक सदस्य और फिर 1968-1973 में भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष और 1955-1977 तक जनसंघ संसदीय पार्टी के नेता रहे। वह 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य के रूप में और 1980 से 1986 तक भाजपा के अध्यक्ष रहे।

लालकृष्ण आडवाणी


इसके बाद 1986 मेें अयोध्या आंदोलन को भाजपा से जोड़कर पार्टी को उंचाईयों तक ले जाने वाले लाल कृष्ण आडवाणी भाजपा के नए अध्यक्ष बने और उन्होंने पाटी का ग्राफ बढाने का काम किया। इसकी उंचाईयां इतनी बढ़ गयी कि भाजपा 1996 में केन्द्र की सत्ता तक पहुंच गयी। इसके बाद ये रास्ता बनता हुआ खुद पर खुद बनता चला गया।

डॉ. मुरली मनोहर जोशी


लालकृष्ण आडवाणी ने भाजपा की जमीन तैयार कर डॉ. मुरली मनोहर जोशी को अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी। 1991 का चुनाव राम मंदिर के मुद्दे पर लड़ा गया और भाजपा ने 120 सीटें जीत लीं। इसक बाद वह देश की नंबर दो पार्टी बन गई। दिसंबर 1991 में उनकी तिरंगा यात्रा निकली, जिसका मकसद 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराना था।

लालकृष्ण आडवाणी

इसके बाद एक बार फिर साल 1993 में आडवाणी पार्टी के अध्यक्ष बनें। लालकृष्ण आडवाणी जानते थें कि आगे प्रधानमंत्री देने के लिए कोई उदार छवि वाला चेहरा चाहिए। इसलिए उन्होंने 1995 में उन्होंने अटल विहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। 1996 मेें लोकसभा के मध्यावधि चुनाव के बाद अटल विहारी वाजपेयी पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार के प्रधानमंत्री बने।

कुशाभाऊ ठाकरे


अटल विहारी वाजपेयी की सरकार बनने के बाद कुशाभाऊ ठाकरे को भाजपा की कमान सौंपी गयी। उस समय केन्द्र में भाजपा की सरकार बन चुकी थी। मध्यप्रदेश में भाजपा को मजबूत बनाने में कुशाभाऊ ठाकरे का बड़ा योगदान भी माना जाता है।

बंगारू लक्ष्मण


केन्द्र में अटल विहारी वाजपेयी की सरकार रहते ही दलित चेहरे के तौर पर 2000 में आंध्र प्रदेश से आने वाले बंगारू लक्ष्मण भाजपा के अध्यक्ष बनाए गएं। लेकिन किसी एक मामले में वह अचानक साजिश के तहत फंसाए गए जिसके बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।

जेना कृष्णमूर्ति


बंगारू लक्ष्मण के हटने के बाद 2001 से 2002 तक जेना कृष्णमूर्ति रहे। हांलाकि उनका कार्यकाल सरकार की सत्ता में रहने के कारण ज्यादा उल्लेखनीय नहीं रहा, पर पार्टी ने उंचाईयों को छूने का काम किया।

वेंकैया नायडू


भारत के उपराष्ट्रपति और 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के युवा शाखा के अध्यक्ष रहे। वेंकैया नायडू को साल 2002 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है।

लालकृष्ण आडवाणी

साल 2004 में इंडिया शाइनिंग के बुरी तरह फेल होने के बाद एक बार फिर से भाजपा की कमान लालकृष्ण आडवाणी के हाथों में आ गयी, लेकिन आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा को 2009 के चुनाव में भी शिकस्त ही मिलती है।

राजनाथ सिंह


केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। राजनाथ सिंह ने 2005-2009 और फिर 2013 - 2014 तक इस पद को संभाला। 31 दिसंबर 2005 को राजनाथ सिंह ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने बतौर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष देश के हर कोने का दौरा किया।

नितिन गडकरी


नितिन गडकरी ने 2010 से 2013 तक पार्टी की कमान संभाली थी। वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आसीन हुए तो पार्टी के सबसे युवा अध्यक्ष थे। आरएसएस से जुड़ने और राष्ट्र निर्माण के अपने मिशन के लिए उन्हें अपने प्रारंभिक जीवन में ही प्रेरणा मिली।

अमित शाह


जगत प्रकाश नड्डा से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह थे। वह 2014 से 19 जनवरी 2019 तक इस पद पर रहे। इन्हीं के कार्यकाल में भाजपा का स्वर्णिम युग आया और यह विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनी। इस एक कदम से उनके जीवन की दिशा ही बदल गई और वह भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में आगे बढ़ने लगे।

जयप्रकाश नड्डा


भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव 20 जनवरी को हुआ और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की इस दिन से अगले तीन साल के लिए पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी हुई। जेपी नड्डा को 17 जून 2019 को पार्टी ने कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। इसके बाद उनको पार्टी का अगले अध्यक्ष होने तक की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इनके अलावा कल्याण सिंह राजमाता सिंधिया, अरुण जेटली, प्रमोद महाजन, कलराज मिश्र, भैरो सिंह शेखावत, सुषमा स्वराज, उमा भारती, गोपीनाथ मुंडे शिवराज सिंह चौहान समेत न जाने कितने पार्टी के कददार नेता हुए, जिनके कारण आज भाजपा विश्व की सबसे ताकतवर पार्टी बनी हुई है।

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