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कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को होती हैं फंगस की खतरनाक बीमारियां

Fungus: भारत में घातक फंगल बीमारियां आमतौर पर कई तरह के फंगस से हो रहा है। ये कमजोर इम्यून वालों को निशाना बनाते हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shreya
Published on: 25 May 2021 3:09 PM IST
कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को होती हैं फंगस की खतरनाक बीमारियां
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सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया

Fungus: भारत में घातक फंगल बीमारियों का जो प्रकोप चल रहा है वह आमतौर पर कई तरह के फंगस से हो रहा है। ये फंगस उन लोगों पर ज्यादा आक्रमण करते हैं और गंभीर रूप से बीमार कर देते हैं जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर (Weak Immune System) है।

एस्पेरगिलोसिस:

ये संक्रमण एस्परगिलस नामक सामान्य से फंगस या फफूंदी से होता है। ये फंगस बंद जगहों और खुली जगहों – दोनों जगह पाया जाता है और ये हमारे वातावरण में ये व्याप्त रहता है। अधिकांश लोगों में सांस के साथ एस्परगिलस के अति सूक्ष्म कण भीतर जाते रहते हैं लेकिन कोई बीमारी नहीं होती, कोई नुकसान नहीं होता। लेकिन जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर है या जिनके फेफड़े कमजोर हैं उनमें एस्परगिलस फंगस के कारण अलर्जी, फेफड़े और अन्य अंगों में इन्फेक्शन जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न होने की आशंका होती है।

एस्परगिलस फंगस से गंभीर संक्रमण ऐसे मरीजों में भी पाया जा चुका है जिनमें कोई अन्य बीमारी नहीं थी लेकिन फ्लू के संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती थे।

कैंडिडा औरिस (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कैंडिडा औरिस:

ये एक खतरनाक किस्म का फंगस है जिसपर आमतौर पर अलग अलग तरह की एंटी-फंगल दवाओं का असर नहीं होता। एक बड़ी समस्या ये भी है कि कैंडिडा औरिस फंगस की पहचान सामान्य प्रयोगशाला जांच से करना मुश्किल होता है। कैंडिडा औरिस संक्रमण का प्रकोप अस्पतालों में देखा जा चुका है सो ऐसे में इस फंगस की तत्परता से पहचान करना जरूरी हो जाता है ताकि इसके प्रसार को रोकने के लिए जरूरी विशिष्ठ उपाय किये जा सकें। फंगस की सटीक जांच के लिए ख़ास तरह की तकनीक वाली प्रयोगशाला होना जरूरी होता है। जांच में कमी से ये संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है।

कैंडीडीयासिस:

ये फंगस बहुत सामान्य तरीके से बिना कोई समस्या पैदा किये हमारे शरीर में मौजूद रहता है। लेकिन अगर ये बेतहाशा बढ़ने लगा या शरीर के भीतर गहरे प्रवेश कर गया तो बहुत गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। कैंडीडीयासिस संक्रमण कैंडिडा नामक यीस्ट (एक प्रकार का फंगस) से होता है। कैंडिडा अगर भीतर गहरे चला गया तो ये ह्रदय, खून, मस्तिष्क, आँखों, हड्डियों और शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। गहरे चले जाने वाले इन्फेक्शन को इन्वेज़िव कैंडीडीयासिस कहते हैं। अस्पताल में भर्ती मरीजों में एक अलग इन्फेक्शन पाया जाता है जिसे कैंडिडेमिया कहते हैं। ये इन्फेक्शन खून में हो जाता है।

क्रिप्टोकोकस नियोफोर्मंस:

ये फंगस भी पूरी दुनिया में पाया जाता है और हमारे वातावरण में मौजूद है। साँस लेने के क्रम में ये फंगस शरीर में भीतर चला जाता है लेकिन अमूमन कोई बीमार नहीं पड़ता। इस फंगस के गंभीर संक्रमण बहुत कम देखे गए हैं लेकिन कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग, खासतौर पर एचआईवी-एड्स के मरीजों में ही ज्यादातर इसका संक्रमण देखा गया है।

सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया

म्यूकोरमाईसीट्स:

ये फफूंदी का एक समूह है जो वातावरण में चारों ओर पाया जाता है। म्यूकोरमाईसीट्स हमारी सांस द्वारा या कटी, फटी, जली स्किन के रास्ते शरीर में जाते रहते हैं लेकिन कोई नुकसान नहीं होता। लेकिन जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है और जो किसी और स्वास्थ्य समस्या से ग्रसित हैं उनको ये फंगस गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। इस फंगस से होने वाली बीमारी को म्यूकोरमाईकोसिस या ब्लैक फंगस भी कहते हैं। म्यूकोरमाईकोसिस का प्रकोप अस्पतालों में ज्यादा होता है।

तलारोमायकोसिस:

ये इन्फेक्शन तलारोमायसेस मर्नेफ़ी नामक फंगस से होता है और पूर्वी भारत और दक्षिणी चीन के अलावा दक्षिण पूर्वी एशिया में पाया जाता है। ये इन्फेक्शन भी आमतौर पर उनलोगों में होता है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है। ख़ास बात है कि इस फंगस के संपर्क में आने के बरसों बाद बीमारी सामने आ सकती है।

न्यूमोसाईटिस निमोनिया:

ये न्यूमोसाईटिस जिरोवेसी नामक फंगस से होने वाली गंभीर बीमारी है। ये संक्रमण भी उन लोगों को पकड़ता है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है। कोर्टिकोस्टेरॉयड लेने वालों को भी ये बीमारी हो सकती है। स्वस्थ लोगों में ये इन्फेक्शन बहुत रेयर है जबकि बीस फीसदी व्यस्कों में ये फंगस हमेशा मौजूद रहता है। इसकी वजह है कि शरीर का इम्यून सिस्टम इस फंगस को हटाता रहता है।

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Shreya

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