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गैंगस्टर बना बॉक्सरः कुछ ऐसी है दीपक बहल की कहानी, बन गया वांटेड
दीपक ने अपने मेडल के जरिए स्पोर्ट कोटे से सरकारी नौकरी की तलाश की। उसे कोई कामयाबी नहीं मिली। इस बीच अनिल मलिक...
दीपक बहल। ये नाम होना तो चाहिए था खेल जगत का चमकता सितारा लेकिन कुछ संगत और कुछ पुलिस की कार्रवाई बन गई बेड़ी और ये नाम बन गया अपराध की दुनिया का कुख्यात। जिसके सिर पर है दो लाख का इनाम। कभी होनहार खिलाड़ी रहे दीपक के सपने तो थे तो रियो ओलंपिक में जाने के लेकिन किस्मत ले गई जेल। और अब वह फरार है। ये कहानी है राष्ट्रीय स्तर के बॉक्सर दीपक पहल की। जो 2011 में बॉक्सिंग में लाइटवेट चैंपियन, 2014 में हरियाणा का बेस्ट बॉक्सर रहा और कई अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि इस बॉक्सर को उस समय दिल्ली पुलिस ने गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी को छुड़ाने के आरोप में गिरफ्तार किया जब वह बॉक्सिंग की तैयारी कर रहा था। आइये जानते हैं दीपक का करियर तबाह होने के लिए वह खुद, उसके हालात और कुछ फैसले किस हद तक जिम्मेदार हैं।
ऐसी है दीपक बहल की कहानी
तो बन गया, लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर मेडल जीतने की उसकी तमन्ना दम तोड़ गई। वो भी उसके एक कथित जुर्म की वजह से। दीपक पहल सोनीपत के गुम्मड़ गांव का रहने वाला है। जूनियर लेवल पर 2011 से 2014 के बीच उसने कई इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप खेलीं. नेशनल लेवल पर कई मेडल जीते. साल 2014 में स्टेट चैंपियनशिप जीतकर वो हरियाणा का बेस्ट बॉक्सर बन गया था।
दीपक पहल के कोच अनिल मलिक का कहना है कि जब उसने नेशनल जूनियर गोल्ड जीता था तो वह बिल्कुल खुश नहीं था। उसका लक्ष्य ओलंपिक खेलना था। मलिक ने बताया कि दीपक ने उनसे कहा करता था कि कोच साहब, अब मुझे रियो ओलंपिक खेलना है। मलिक कहते हैं कि ये बड़ा लक्ष्य था। लेकिन उन्हें यकीन था कि वो कर सकता है।
शातिर क्रिमिनल जितेंद्र जोगी को जब दिल्ली से नरवाना कोर्ट ले जा रहे थे। कुछ लोग आए और पुलिस की आंखों में मिर्च झोंककर उसे छुड़वा ले गए। पुलिस के हथियार भी लूट ले गए। क्राइम ब्रांच के डीसीपी भीष्म सिंह के मुताबिक अपने साथी को छुड़ाने आये दस बदमाशों में दीपक पहल भी शामिल था। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम को कुछ इनपुट मिला। इसके बाद हरियाणा के गनौर से बॉक्सर दीपक को पकड़ लिया गया। पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ है कि वह लूट की कई वारदातों में शामिल रह चुका है। बहादुरगढ़ और बवाना में भी उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं।
लगातार पाई कामयाबी
अनिल मलिक जो कि इस समय इंदिरा गांधी स्टेडियम में कोच हैं। उनका कहना है कि दीपक की ये हालत बेहद दुखद है, उसने बड़े ही वादों के साथ करियर शुरू किया था। वो यक़ीनन टेलेंटेड बॉक्सर था। उसने गनौर गांव में साईं सोनीपत सेंटर में 2006 से मेरे अंडर में ट्रेनिंग शुरू की थी। जूनियर नेशनल गोल्ड ही उसकी कामयाबी नहीं थी। वो हरियाणा का बेस्ट बॉक्सर बना।
2012 में उसने उज्बेकिस्तान में प्रेसिडेंट हैदर अलीयेव कप में इंडिया की तरफ से खेला था. लेकिन फिर उसका करियर लड़खड़ाने लगा। दिसंबर 2012 में इंडियन बॉक्सिंग फेडरेशन को इलेक्शन में गड़बड़ी के चलते इंटरनेशनल बॉडी ने बैन कर दिया। इस वजह से नेशनल टूर्नामेंट नहीं हुआ।
दीपक ने अपने मेडल के जरिए स्पोर्ट कोटे से सरकारी नौकरी की तलाश की। उसे कोई कामयाबी नहीं मिली। इस बीच अनिल मलिक का सोनीपत सेंटर से ट्रांसफर हो गया। इससे दीपक और अकेला हो गया, क्योंकि अनिल मलिक के वो करीब था।
गुस्से ने लिखी कहानी
2014 में दीपक ने एक बॉक्सर का जबड़ा तोड़ दिया। ये पहला केस था जो उसके खिलाफ दर्ज हुआ। उसे साईं सोनीपत हॉस्टल से निकाल दिया गया. अनिल मलिक कहते हैं कि उसके पास काम नहीं था। कोई टूर्नामेंट नहीं था। वो डिप्रेशन में चला गया।मलिक ने उसे फिर से बॉक्सिंग में ध्यान लगाने को कहा।
दीपक ने फिर से अपने करियर को संवारने की कोशिश शुरू की। उसने गांव में ट्रेनिंग शुरू की। उसकी अपने कोच से मारपीट हो गई और एक बार फिर उसके करियर पर ब्रेक लग गया। अनिल मलिक बताते हैं कि उसने फेसबुक चैट में लिखा, ' मैंने उस कोच को पीट दिया. अब मैं बॉक्सर नहीं बन सकता, ना ? एक बार बताओ, मैं प्रैक्टिस करूंगा तो बढ़िया बॉक्सर बन जाऊंगा?' इसके जवाब में मैंने लिखा था, क्यों नहीं।'
संयुक्त पुलिस आयुक्त (पूर्वी रेंज) आलोक कुमार कहते हैं कि बॉक्सर से गैंगस्टर बना दीपक हत्या, जबरन वसूली और डकैती के लिए महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) मामले में वांछित है। उस पर दो लाख रुपये का इनाम है। इसे दीपक पहल के लिए भाग्य का नाटकीय मोड़ ही कहेंगे कि एक चक्र में मुक्केबाज के रूप में रिंग पर चढ़कर नाम कमाया लेकिन कद में बड़ा हुआ, तो दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के साथ उसके अपराधों का पुलिंदा मोटा हो गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि दीपक खास अंदाज में काम करता है, वह पुलिस पर मिर्च पाउडर फेंकता है, उन पर गोली चलाता है और गायब हो जाता है। चूंकि उनके ज्यादातर गैंग लीडर सलाखों के पीछे हैं, इसलिए अब वही है जो अब गैरकानूनी ढंग से गैंग चला रहा है।