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CAA: गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को मिलेगी भारत की नागरिकता, केंद्र ने मांगे आवेदन
CAA: MHA ने भारत के 13 जिलों में रह रहे गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए आवेदन मांगे हैं।
Citizenship Amendment Act: बीते साल देश में केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पारित करने के बाद देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन और हिंसा देखने को मिली। हालांकि कोरोना के चलते लोगों का प्रदर्शन थम गया। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने शुक्रवार को एक बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय ने भारत के 13 जिलों में रह रहे गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया है। इसके लिए शरणार्थियों से आवेदन मांग गए हैं।
MHA ने पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के हिंदू, सिख, जैन व बौद्ध और गुजरात, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के 13 जिलों में रहने वाले गैर मुस्लिमों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मांगे हैं। मंत्रालय द्वारा नागरिकता कानून 1955 और 2009 में कानून के तहत बनाए गए नियमों के तहत इस आदेश के तत्काल कार्यान्वयन के लिए अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। हालांकि, सरकार ने 2019 में लागू सीएए के तहत नियमों को अब तक तैयार नहीं किया है।
इन 13 जिलों के शरणार्थियों से मांगे आवेदन
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन 13 जिलों के बारे में बताते हुए कहा, नागरिकता अधिनियम के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए जो शरणार्थी पात्र हैं, वे इस वक्त गुजरात के मोरबी, राजकोट, पाटन और वडोदरा, राजस्थान के जालौर, उदयपुर, पाली, बाड़मेर और सिरोही, छत्तीसगढ़ के दुर्ग और बलौदाबाजार, हरियाणा के फरीदाबाद और पंजाब के जालंधर में रह रहे हैं।
मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन किया जा सकेगा। वहीं, राज्य के सचिव (गृह) या जिले के जिलाधिकारी जरूरत पड़ने पर शरणार्थियों के आवेदन की जांच कराएंगे। इसके अलावा केंद्र के नियमों के अनुसार सचिव (गृह) या डीएम एक ऑनलाइन और लिखित रजिस्टर बनाएंगे, जिसमें भारतीय नागरिक के तौर पर शरणार्थियों के रजिस्ट्रेशन की जानकारी होगी। इसकी एक प्रति केंद्र को 7 दिनों के अंदर उपलब्ध करानी होगी।
साल 2019 में पारित हुआ था कानून
आपका बता दें कि साल 2019 में मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पारित कर दिया था। जिसके बाद देश में व्यापक प्रदर्शन और हिंसा देखने को मिली थी। कई विपक्षी पार्टियों ने भी सीएए के खिलाफ सरकार की आलोचना की थी और कानून को वापस लेने की मांग की थी। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए उग्र प्रदर्शनों में कईयों की मौत भी हो गई थी। और साल 2020 की शुरुआत में सीएए और एनआरसी के मद्देनजर ही दिल्ली में भी दंगे हुए थे। उसके बाद कोरोना वायरस महामारी की दस्तक के बाद आंदोलन ठंडे बस्ते में चला गया।
क्या है सीएए?
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में दमन के शिकार होकर भारत आए ऐसे अल्पसंख्यक गैर-मुस्लिमों को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे।
बता दें कि गृह मंत्रालय ने संसद और देश में विभिन्न स्थानों पर भारी विरोध के बावजूद इसे पूरे देश में लागू कर दिया। संसद में इस बिल के पारित होने के बाद पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर बड़े पैमाने पर धरना और प्रदर्शन आयोजित किए गए लेकिन सरकार ने इसे वापस लेने से मना कर दिया।
नागरिकता देने के लिए बनाया गया कानून
यही नहीं शाहीन बाग सहित देश में विभिन्न स्थानों पर काफी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी सड़कों पर उतर आए मगर फिर भी सरकार इस मामले में नहीं झुकी। हालांकि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बार-बार यह बात जरूर स्पष्ट की गई कि इस कानून के जरिए किसी की नागरिकता नहीं छीनी जाएगी। सरकार का कहना है कि यह कानून नागरिकता देने के लिए बनाया गया है, नागरिकता छीनने के लिए नहीं।
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