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चीन पर बिपिन रावत का बड़ा बयान, कहा- कमजोर है ड्रैगन की ट्रेनिंग, बेहतर तैयारी की जरूरत
India-China Dispute: सीडीएस बिपिन रावत ने चीन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद उसे अहसास हुआ कि उसकी ट्रेनिंग कितनी कमजोर है।
India-China Dispute: पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में बीते साल मई में चीन और भारत की सेना के बीच हुई हिंसक झड़प (India-China Faceoff) के बाद दोनों देशों के रिश्तों में अभी भी खटास पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। चीन आए दिन भारत के खिलाफ कोई न कोई नई साजिशें रचता रहता है, ऐसे में स्थिति अभी भी तनावपूर्व बनी हुई है। इस बीच भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) ने चीन को लेकर बड़ा बयान दिया है।
उन्होंने एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल के साथ इंटरव्यू के दौरान कहा कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर गलवान घाटी और अन्य जगह हुई भिड़ंत के बाद चीनी सेना को पता चला है कि उनकी ट्रेनिंग कितनी कमजोर है। उनको यह अहसास हुआ है कि उन्हें बेहतर तैयारी और ट्रेनिंग की जरूरत है। बिपिन रावत ने बताया कि चीन के सैनिक हिमालय की पहाड़ियों में लड़ाई के आदि नहीं हैं, न ही वो लंबे समय तक मुकाबला कर सकते हैं।
चीन को बेहतर तैयारी की जरूरत
इंटरव्यू के दौरान चीनी सैनिकों की ताजा गतिविधियों को लेकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) ने कहा कि भारत से लगे बॉर्डर पर चीन की ओर से उसके सैनिकों की तैनाती में बदलाव किया गया है। जिस तरह से LAC में गलवान घाटी और अन्य इलाकों में ड्रैगन की सेना की भारतीय सेना से भिड़ंत हुई, उन्हें यह अहसास हो गया है कि उन्हें बेहतर तैयारी की जरूरत है।
इसके साथ ही भारतीय सेना की तैयारियों को लेकर उन्होंने कहा कि भारतीय जवानों ने बेहतरीन तैयारी की है और हालात को भांपा है। हमारी सेना पहाड़ी इलाकों में चीन की सेना की तुलना में काफी बेहतर है। उन्होंने इस दौरान यह भी दोहराया कि भारत की ओर से लगातार चीनी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। भारतीय सेना लगातार सक्रिय है।
बीते साल हुई थी हिंसक झड़प
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में बीते एक साल पहले चीनी सैनिकों ने साजिश के तहत भारतीय जवानों पर हमला कर दिया था, जिसमें 20 भारतीय जवानों की शहादत हो गई थी। इस हिंसक झड़प में चीनी सैनिकों को भी काफी नुकसान हुआ था। इस झड़प के बाद भारत की ओर से चीन के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए गए। साथ ही विवाद को हल करने के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता भी हुई।
इस साल जनवरी में दोनों सेना पहले की स्थिति पर जाने को राजी हुए थे। हालांकि अभी भी चीन की ओर से सीमा पर गतिविधियां देखी जाती हैं। वहीं दूसरी ओर भारतीय सेना भी सीमाओं पर मुस्तैद है और चीनी की हरकतों पर अपनी नजर बनाए हुए है।
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