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B.1617 को कोरोना के भारतीय वेरिएंट बताने पर आपत्ति, सरकार बोली-WHO ने ऐसा नहीं कहा
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि WHO ने B.1617 वेरिएंट का भारतीय वेरिएंट के रूप में जिक्र ही नहीं किया है।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मीडिया में आई उन खबरों को पूरी तरह खारिज कर दिया है जिनमें कहा गया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के 44 देशों में भारतीय वेरिएंट के संक्रमण की बात कही है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वेरिएंट का भारतीय वेरिएंट के रूप में जिक्र ही नहीं किया है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वायरस के जिस प्रकार B.1617 को भारतीय वेरिएंट का नाम दिया जा रहा है वह असलियत में भारतीय वेरिएंट है ही नहीं। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट तौर पर यह कभी नहीं कहा है कि B.1617 जानलेवा भारत का भारतीय वेरिएंट है।
हालांकि डब्ल्यूएचओ ने इस वेरिएंट से पूरी दुनिया को खतरा जरूर बताया है और यही कारण है कि मौजूदा समय में इस वेरिएंट को लेकर पूरी दुनिया चिंतित और परेशान है।
मीडिया की खबरों को बताया बेबुनियाद
केंद्र सरकार का कहना है कि डब्ल्यूएचओ ने B.1617 को वैश्विक चिंता के रूप में ही वर्गीकृत किया है मगर मीडिया में आई कई खबरों में इसे वेरिएंट को भारतीय वेरिएंट बताया गया है। सरकार ने इन खबरों को पूरी तरह गलत और आधारहीन बताया है। मौजूदा समय में भारत में जिस वेरिएंट का कहर दिख रहा है उसे कोरोना वायरस का चौथा प्रकार माना जा रहा है। इससे पहले ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के वेरिएंट की पहचान की गई थी।
भारत में पाया जाने वाला वायरस काफी खतरनाक
भारत में पाए जा रहे कोरोना वायरस के इस वेरिएंट को भी काफी खतरनाक माना जा रहा है और इसे डबल म्यूटेंट के नाम से भी जाना जा रहा है। यह वेरिएंट शरीर में एंटीबॉडीज को पूरी तरह खत्म कर देता है।
केंद्र सरकार का कहना है कि डब्ल्यूएचओ ने अपने दस्तावेज में डबल म्यूटेंट के इस स्ट्रेन यानी कोरोना वायरस के B.1617 वेरिएंट को कहीं भी भारतीय वेरिएंट नहीं बताया है।
अक्टूबर में मिला था पहला केस
डबल म्यूटेंट वाले वायरस का पहली बार 5 अक्टूबर 2020 को पता चला था। हालांकि उस समय भारत में कोरोना का संक्रमण इतने व्यापक ढंग से नहीं फैला हुआ था। सरकार ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की 32 पेज की रिपोर्ट में कहीं भी इस वेरिएंट के लिए भारतीय शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
भारत के बाद ब्रिटेन में सबसे ज्यादा मरीज
भारत के बाद ब्रिटेन दूसरा ऐसा देश है जहां इस वेरिएंट के सबसे ज्यादा मरीज पाए गए हैं। डब्ल्यूएचओ की ओर से इस सप्ताह की शुरुआत में B.1617 वेरिएंट के बारे में जानकारी दी गई थी।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अपने म्यूटेशन और अन्य विशेषताओं के कारण वायरस का यह प्रकार पूरी दुनिया को चिंता में डालने वाला है। इसी कारण इस वेरिएंट को ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के तीन अन्य वेरिएंट वाली सूची में जोड़ दिया गया था।
डब्ल्यूएचओ ने भी दिया स्पष्टीकरण
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से भी B.1617 वेरिएंट को लेकर स्पष्टीकरण दिया गया है। संगठन की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है कि संगठन किसी भी वायरस के वेरिएंट को किसी देश से जोड़कर नाम नहीं देता है। वह केवल इस बात का ही ध्यान रखता है कि कोई भी अलग प्रकार का वेरिएंट पहली बार कहां पर पाया गया है।
इसके बाद इस वेरिएंट को कोई नाम देने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार देर रात माना था कि वायरस का B.1617 वेरिएंट पहली बार भारत में पाया गया था और इसे लेकर संगठन की ओर से चिंता भी जताई गई थी।