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केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की लंबित मांग, प्रधानमंत्री के पास फाइल भेजने का दिया भरोसा
एसोसिएशन की तरफ से राष्ट्रपति को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की लंबित पड़ी मांगों को लेकर अवगत कराया...
Central Paramilitary Forces : कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की है। इस दौरान एसोसिएशन की तरफ से राष्ट्रपति को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की लंबित पड़ी मांगों को लेकर अवगत कराया। साथ ही SSCGD 2018 के अभ्यर्थियों की नियुक्ति का मसला भी राष्ट्रपति के समक्ष रखा गया। इस मौके पर तारादत्त शर्मा कार्डिनेटर उत्तराखंड व मोहम्मद अय्यूम खान अध्यक्ष पुंछ-मैंढर जम्मू, भी बैठक में उपस्थित रहे।
राष्ट्रपति के साथ इन मुद्दों पर की गई चर्चा
- केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में लाना,
- राज्यों में अर्धसैनिक कल्याण बोर्डों का गठन करन।
- सीपीसी कैंटीन पर पचास फीसदी जीएसटी छूट देना। सरदार पटेल के नाम पर राज्यों की राजधानियों में अर्धसैनिक स्कूलों की स्थापन।
- शस्त्र-सेना झंडा दिवस की तर्ज पर अर्धसेना झंडा-दिवस कोष की स्थापना
- सीजीएचएस डिस्पेंसरियों का विस्तार, आदि शामिल हैं।
पुरानी पेंशन बहाली सहित अन्य मुद्दों को लेकर राष्ट्रपति से मुलाकात की
बता दें कि, एसोसिएशन के पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व महासचिव रणबीर सिंह ने किया था। इस दौरान उन्होंने बताया की उन्होंने पुरानी पेंशन बहाली सहित अन्य कल्याण संबंधित मुद्दों को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की है। इससे पहले वे गृहमंत्री, रक्षा मंत्री, वित्तमंत्री, गृह राज्यमंत्री, गृह एवं कैबिनेट सचिव व अन्य केंद्रीय मंत्रियों से मिल चुके थे। उस समय सभी ने मांगें पूरी करने का दिलासा दिया, लेकिन अभी तक कोई भी मांग पूरी नहीं हो सकी। जब वहां कोई परिणाम नहीं निकला, तो उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात कर गुहार लगाई थी।
जायज मुद्दों को अपनी सिफारिश के साथ पीएम के पास भेजेंगे
कोषाध्यक्ष वीएस कदम के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा पूर्व अर्धसैनिक बलों के मंडल से मुलाकात के लिए राष्ट्रपति भवन से बुलावा आया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वह जायज मुद्दों को अपनी सिफारिश के साथ प्रधानमंत्री के पास भेजेंगे। इस अवसर पर पैरामिलिट्री फोर्सेस के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार की एक लाख से अधिक हस्ताक्षरित पिटिशन राष्ट्रपति को सौंपी गई।