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कम्प्यूटर से तेज चलता है चाचा चौधरी का दिमाग, 6 अगस्त इसलिए है बहुत खास

कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा की आज पुण्यतिथि है। जिन्हें प्राण नाम से भी जाना जाता है लेकिन ये प्राण वह नहीं जो सिनेमा के रुपहले पर्दे पर विलेन के रूप में मशहूर थे।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Ashiki
Published on: 5 Aug 2021 3:53 PM GMT
Chacha Chaudhary
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 चाचा चौधरी (Photo- Social Media)

लखनऊ: चाचा चौधरी बचपन में आज अधेड़ावस्था पार कर चुकी पीढ़ी के ये लोकप्रिय कॉमिक किरदार थे। क्योंकि ये वो दौर था जब मनोरंजन के साधन के रूप में टीवी नहीं था। मोबाइल नहीं था। इंटरनेट नहीं था। बच्चे या तो घर के आंगन या घर के बाहर उधम मचाते थे गुल्ली डंडा, कंचे, आइसपाइस (लुकाछिपी), ऊंच नीच, चोर सिपाही, खो खो, कोड़ाजमाल खां का पीछे देखे मार खाए जैसे खेल खेलते थे या फिर अपने मनपसंद कॉमिक पात्रों को पढ़ते थे। हम बात कर रहे हैं चाचा चौधरी और उनके जन्मदाता प्राणकुमार की।

कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा की आज पुण्यतिथि है। जिन्हें प्राण नाम से भी जाना जाता है लेकिन ये प्राण वह नहीं जो सिनेमा के रुपहले पर्दे पर विलेन के रूप में मशहूर थे। बच्चों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय कार्टूनिस्ट प्राण ने 1960 से कार्टून बनाने की चाचा शुरुआत की थी। प्राण का जन्म 15 अगस्त 1938 को अब पाकिस्तान के कसूर जिले में हुआ था। प्राण ने मुंबई के सर जेजे स्कूल ऑफ आर्टस में पढ़ाई की। राजनीति विज्ञान में एमए किया और फाइन आर्ट्स में चार वर्षीय कोर्स किया। प्राण ने शुरुआत में दिल्ली से छपने वाले अखबार मिलाप के लिए कार्टून बनाए। ये कह सकते हैं कि मिलाप से प्राण का करियर शुरू हुआ। ये वह दौर था जब देश में विदेशी कॉमिक्स का जोर था जिनमें जादूगर मेंड्रेक्स, लोथर, वेताल आदि पात्र प्रमुख थे। ऐसे में प्राण ने भारतीय परिवेश के अनुरूप पात्रों की रचना कर कॉमिक बनाना शुरू किया। इसी कड़ी में उन्होंने चाचा चौधरी और साबू का किरदार गढ़ा।


प्राण ने अपने कॉमिक में "चाचा चौधरी" को एक आम मध्यमवर्गीय परंपरागत भारतीय बुजुर्ग के रूप में दिखाया जो सूट बूट पहनता था तो भी उसके सिर पर पगड़ी ही उसकी पहचान होती थी, कुल मिलाकर यह चरित्र लाल बुझक्कड़ से मिलता जुलता था। यद्यपि चाचा चौधरी का शरीर कमजोर था इसके बावजूद वह बेहद विलक्षण बुद्धि के बुजुर्ग माने जाते हैं।

भारतीय परिवेश में भैया चाचा बाबू जैसे संबोधन आम रहे हैं लेकिन आज कल के बच्चे तो अंकल को जानते हैं, "चौधरी" शब्द बहुत सम्मानित व्यक्ति के लिए इस्तेमाल होता रहा है। खैर प्राण ने चाचा चौधरी को अमूमन लाल पगड़ी, एक लकड़ी की छड़ी, एक वेस्टकोट जिनकी दोनों ओर जेबें हो, और एक जेबघड़ी लिए हुए दिखाया। हालांकि शुरुआत में उन्हें पारंपरिक धोती-कुर्ते में भी दिखाया लेकिन बाद में उन्हें पैंट और कमीज पहने हुए ह दिखाया गया। उनकी धर्मपत्नी बीनी (चाची), राकेट नामक एक वफादार एवं साधारण कुत्ता और एक भीमकाय शरीर के मालिक जुपिटरवासी साबू को उनके साथी के रूप में दिखाया।

प्राण के चाचा चौधरी अक्सर चटखारे भर तरबूज खाते नजर आते पर आम उनकी खासी कमजोरी रही, पर घर में जब भी उनकी पत्नी उनपर भड़कती तो वह साबू या फिर राकेट संग घूमने निकल पड़ते। जब कभी वह अपनी पगड़ी उतारते, तो दिखाया जाता कि वह पूरी तरह गंजे हैं। चाचा चौधरी जब भी अपने परिवार के साथ बाहर जाते हैं, वे अपने घर का दरवाजा कभी बंद नहीं करते; लेकिन आजतक कोई उनके घर पर चोरी करने में सफल नहीं रहा है। हालाँकि, कुछेक कहानियों में, जब चाची (उनकी धर्मपत्नी) को घर पर ताला लगाते दिखाया गया है। जिसके कुछ समय बाद उनके सर पर या नाक पर खुजली मचती तो समझा जाता कि उनके घर कुछ अनहोनी हो रही है। अपने युवा समय के दौरान चाचा चौधरी को एक पेशेवर मुक्केबाज के रूप में दिखाया जिन्हें उनकी अनूठी रणनीति और कुशल मुक्केबाजी के चलते तब अविजित माना जाता था।


प्राण ने 1970-80 के दशक के दौर के भारतीय परिवेश के अनुसार ही अपने कॉमिक्स में विलेन सामान्य तौर पर भ्रष्ट सरकारी तंत्र के लोग, चोर, राह किनारे के गुंडे एवं बदमाश, चालबाज, ठग रखे। चाचा चौधरी ना सिर्फ उनसे लड़ते हैं बल्कि आमजन की सहायता भी करते हैं साथ ही वह उन्हें नैतिक पाठ और अच्छे व्यवहार का भी सबक देते हैं। कई घटनाओं के अंत में ज्यादातर बदमाश उनसे त्रस्त हो जाते हैं। सामान्य मध्यमवर्गीय जन की तरह उन्हें भी दैनिक समस्याओं से जूझना पड़ता है। लेकिन प्राण ने उनकी समस्याओं को चुटकी के साथ हल करते हुए उन्हें प्रसन्नचित चेहरे, चमकदार आंखों या मुस्कान के साथ ही दिखाया।

चाचा चौधरी किशोर वय के बच्चों के बहुत लोकप्रिय रहे। प्राण को कई पुरस्कारों से नवाजा गया। वर्ष 1995 में उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज किया गया था। इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कार्टूनिस्ट्स ने वर्ष 2001 में उन्हें 'लाइफ टाईम अचीवमेंट अवॉर्ड' से नवाजा था। 'द वर्ल्ड एनसाइक्लोपीडिया ऑफ कॉमिक्स' में प्राण को ''भारत का वॉल्ट डिज्नी'' बताया गया है और चाचा चौधरी की पट्टी अमेरिका स्थित कार्टून कला के अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय में लगी हुई है।

6 अगस्त 2014 को भारत के इस मशहूर कार्टूनिस्ट प्राण का 75 साल की उम्र में निधन हो गया। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर के माध्यम से प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट और कॉमिक पुस्तक चाचा चौधरी के रचनाकार प्राण कुमार शर्मा के निधन पर दुख व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने उन्हें बहुमुखी प्रतिभा का धनी कार्टूनिस्ट करार देते हुए कहा कि उन्होंने कई लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी। 2015 में भारत सरकार दव्रारा उन्हें मरणोपरांत पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

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