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Chaitra Navratri 2022 Shakti Peeth: नवरात्र में यूपी के इन शक्ति पीठों के दर्शन भर से पूरी होती है हर मनोकामना

Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्री शनिवार 2 अप्रैल से शुरू होकर सोमवार 11 अप्रैल तक चलेगी। इन नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है।

Preeti Mishra
Published on: 29 March 2022 2:42 PM GMT (Updated on: 29 March 2022 3:36 PM GMT)
Chaitra Navrtari 2022: Every wish is fulfilled by visiting these Shakti Peethas of UP in Navratri
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चैत्र नवरात्री 2022: Photo - Social Media

Chaitra Navratri 2022 Shakti peeth: चैत्र नवरात्री 2022 (Chaitra Navratri 2022 ) शनिवार 2 अप्रैल से शुरू होकर सोमवार 11 अप्रैल तक चलेगी। यह अवसर माता के आगमन के साथ हिंदू नववर्ष का भी प्रारंभ माना जाता है। नवरात्री के नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। ये नौ दिन माता के हर भक्त के लिए बेहद खास होते हैं।

मान्यताओं के अनुसार नवरात्री (Navratri 2022) के दिनों मां दुर्गा की उपासना करने से माता प्रसन्न होकर भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं। पौराणिक मान्यताओं (mythological beliefs) के आधार पर पूरी दुनिया में 51 शक्ति पीठ मौजूद हैं। जिसमें चार शक्ति पीठ यूपी यानि उत्तर प्रदेश में स्थित हैं। उत्तर प्रदेश में स्थित इन शक्ति पीठों की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। इन शक्ति पीठों को बहुत ही जाग्रत माना जाता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार नवरात्र के दिनों में इन शक्तिपीठों का दर्शन पूरी श्रद्धा और भाव से करता है तो उनकी सभी मनोकामनायें पूरी हो जाती है।

तो आइये जानते है उत्तर प्रदेश में स्थित इन चार शक्ति पीठों को जहाँ नवरात्र में दर्शन मात्रा से ही सारी मनोकानायें पूरी होती हैं।

रामगिरि- शिवानी शक्तिपीठ जहाँ मान्यता है कि चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता का दायां वक्ष गिरा था। उत्तरप्रदेश के झांसी-मणिकपुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के रामगिरि की शक्ति है शिवानी और भैरव को चंड कहा जाता है। बता दें कि कुछ लोग मैहर (मध्य प्रदेश) के शारदा देवी मंदिर को भी शक्तिपीठ मानते हैं। गौतलब है कि चित्रकूट में भी माता शारदा मंदिर है। चित्रकूट में मौजूद रामगिरि पर्वत साये में स्थित रामगिरि शक्ति पीठ का नवरात्र में विशेष महत्त्व हैं। यहाँ नवरात्री में श्रद्धालुओं द्वारा विशेष पूजा -अर्चना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार नवरात्र में यहाँ दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

रामगिरि शक्ति: Photo - Social Media

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार- वृन्दावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरने से शक्ति पीठ की स्थपना हुई । यहाँ की शक्ति है उमा और भैरव को भूतेश कहा जाता हैं। यहीं पर स्थित आद्या कात्यायिनी मंदिर, शक्तिपीठ है जहां की मान्यता है कि यहां माता के केश गिरे थे। बता दें कि वृन्दावन में मौजूद श्री कात्यायनी पीठ ज्ञात 51 पीठों में से एक अत्यन्त प्राचीन सिद्धपीठ माना जाता है। नवरात्रों के पावन दिनों में इस जगह की मान्यता और भी बढ़ जाती है। भक्त दुनिया के कोने -कोने से माता के दर्शन को आते हैं। कहा जाता है कि नवरात्र में यहाँ मांगी गयी हर मनोकामना पूर्ण होती है।

वाराणसी में काशी विशालाक्षी मंदिर

वाराणसी- विशालाक्षी शक्तिपीठ मंदिर उत्तर प्रदेश के प्राचीन नगर काशी में बाबा के मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित काशी विशालाक्षी मंदिर हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यतााओं के अनुसार यह शक्तिपीठ मां दुर्गा की शक्ति का प्रतीक माना गया है। प्रत्येक साल लाखों श्रद्धालु इस शक्तिपीठ के दर्शन करने के लिए आते हैं। विशालाक्षी को यहां आने वाले श्रद्धालु 'मणिकर्णी' के नाम से भी जानते हैं। हिन्दुओं मान्यतााओं के अनुसार यहां देवी सती के दाहिने कान के कुंडल गिरे थे। नवरात्र में यहाँ आने वाले भक्तों की संख्या काफी बढ़ जाती है। कहा जाता है कि जो भी भक्त नवरात्र के दिनों में यहाँ सच्चे मन से अपनी मनोकामना मांगता है वो जरूर पूरी होती है।


ललिता शक्तिपीठ : Photo - Social Media

देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है

प्रयाग- ललिता शक्तिपीठ भी एक जाग्रत पीठ है। हिन्दू धर्म के पुराणों के मुताबिक जहां-जहां माता सती के अंग के टुकड़े गिरे, उनके धारण किए हुए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये माने गए । बता दें कि देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है। मान्यताओं के अनुसार इलाहाबाद में स्थित तीन मंदिरों को, शक्तिपीठ की संज्ञा दी गयी है। गौरतलब है कि ये तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति ललिता के हैं।

देखें वीडियो:-


पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयाग में सती की हस्तांगुलिका गिरने से राजराजेश्वरी, शिवप्रिया, त्रिपुर सुंदरी मां ललिता देवी का प्रादुर्भाव भय—भैरव के साथ हुआ। कहा जाता है कि जिस स्थान पर कभी माता की अंगुलियां गिरी थीं, वहां पर आज एक 108 फीट ऊंचा गुंबदनुमा विशाल मंदिर स्थित है। मान्यता है कि नवरात्र के दिनों में यहाँ जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और निर्मलता से पूजन कर अपनी मनोकामनायें मांगता है वो अवश्य पूरी होती है।

Shashi kant gautam

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