TRENDING TAGS :
China Corona Vaccine: भारत के पड़ोसी देश चीन से वैक्सीन लेने को मजबूर, जानें क्या है वजह
China Corona Vaccine : भारत के सभी पड़ोसी देश (neighboring countries) कोरोना वैक्सीन के लिए अब चीन पर आश्रित हैं।
भारत के पड़ोसी देश चीन से वैक्सीन लेने को मजबूर (कॉन्सेप्ट फोटो -सोशल मीडिया)
China Corona Vaccine : भारत के सभी पड़ोसी देश (neighboring countries) कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) के लिए अब चीन (China) पर आश्रित हैं। जनवरी (January) से अब तक चीन ने दुनिया के 84 देशों को कुल 2 करोड़ 20 लाख वैक्सीन डोज (vaccine dose) दान में दी है। चीन के मुकाबले भारत ने पिछले 6 महीने में 48 देशों को मात्र 88 लाख वैक्सीन डोज दी है। भारत ने ही सबसे पहले दूसरे देशों को वैक्सीन की मदद की शुरुआत की थी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर की वजह से भारत को एक्सपोर्ट बंद (export closed) करना पड़ गया।
भारत जब कोरोना की खतरनाक दूसरी लहर से जूझ रहा था, चीन दुनियाभर में वैक्सीन बांटने वाले शक्तिशाली देश के तौर पर स्थापित होने की कोशिश कर रहा था। भारत के वैक्सीन निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले से न सिर्फ अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देश बल्कि भारत के कई दक्षिण एशियाई पड़ोसी भी चीन से कोरोना वैक्सीन लेने के लिए मजबूर हो गए। अब नेपाल, श्रीलंका या बांग्लादेश, सभी देशों के लिए चीन वैक्सीन का सबसे बड़ा प्रदाता बना हुआ है।
कोवैक्स में सीरम की वैक्सीन
दुनिया के अल्प और मध्यम आय वर्ग वाले देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए 'कोवैक्स' प्रोग्राम चलाया जा रहा है। इस प्रोग्राम में वैक्सीन निर्माता कम्पनियाँ योगदान कर रही हैं। भारत का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया भी 'कोवैक्स' प्रोग्राम का हिस्सा है। लेकिन जब भारत की अपनी जरूरत ही पूरी नहीं हो पा रही है तो दूसरों को कैसे वैक्सीन सप्लाई की जायेगी।
चीन पहुंचा रही भारत में वैक्सीन
पकिस्तान पूरी तरह चीन के भरोसे
पाकिस्तान का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चीन के भरोसे है। पाकिस्तान के पास अब तक मौजूद कुल 4.4 करोड़ वैक्सीन डोज में से 4.3 करोड़ चीन की है। पाकिस्तान ने वैक्सीन बनाना शुरू की है लेकिन वह भी चीन के सहयोग से बनाई जा रही है।
बांग्लादेश का भी ये हाल है कि वह चीन से दो करोड़ वैक्सीन खरीद रहा है। भारत ने जब वैक्सीन एक्सपोर्ट पर रोक लगाई तो बांग्लादेश को अपना वैक्सीनेशन कार्यक्रम रोकना पड़ा था क्योंकि उसे भारत से ही सबसे ज्यादा वैक्सीन मिलनी थी। अब बांग्लादेश को चीन से मदद मिल रही है। नेपाल भी कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है और उसने भी चीन का रुख कर लिया है। नेपाल को भारत और कोवैक्स प्रोग्राम से सिर्फ साढ़े तीन लाख वैक्सीन ही मिल सकी थीं। अब वह चीन से सिनोफार्म वैक्सीन की 40 लाख डोज खरीद रहा है। नेपाल में कोविशील्ड वैक्सीन सामान्य से ज्यादा दाम पर खरीदने का मसला भी उछल चुका है।
श्रीलंका के लिए भी अब चीन ही सबसे बड़ा सहारा है। उसे चीन ने सबसे ज्यादा 1.4 करोड़ डोज साइनोवैक की दी हैं। मालदीव को भारत और कोवैक्स प्रोग्राम के तहत अब तक 5 लाख कोविशील्ड वैक्सीन मिली है जबकि 2 लाख डोज़ उसे चीन ने दी है।
चीन ने कोरोना महामारी का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया है। दुनिया के कई हिस्सों में बड़ी मात्रा में वैक्सीन भेज उसने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। हालांकि चीनी वैक्सीन लगाने के बाद भी लोग बड़ी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं। डब्लूएचओ ने भले ही साइनोफ़ार्म और साइनोवैक को आपातकालीन मंजूरी दे दी हो लेकिन इसे एस्ट्राजेनेका और फाइजर जैसी वैक्सीन के मुकाबले कम प्रभावी पाया गया है।
मामला कोवैक्सीन का
भारत के सभी वैक्सीन निर्माताओं की एक साल में कुल 5 अरब वैक्सीन निर्माण करने की क्षमता है। भारत की एकमात्र स्वदेशी वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को अब भी विश्व स्वास्थ्य संगठन से इमरजेंसी अप्रूवल का इंतजार है। यह अनुमति मिलने के बाद ही उसे बड़े स्तर पर विदेशों में निर्यात किया जा सकेगा। कंपनी ने अपनी कोवैक्सीन को अब तक सिर्फ नेपाल और मॉरिशस भेजा है। अब जा कर फिलिपीन्स ने इसे इमरजेंसी मंजूरी दी है।