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Mount Everest Glacier: जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ा खतरा, पिघल रहा माउंट एवरेस्ट का सर्वोच्च ग्लेशियर
Mount Everest Glacier : माउंट एवरेस्ट (Mount Everest Glacier) के सर्वोच्च स्तर पर मौजूद ग्लेशियर बेहद ही तेज़ी से पिघल रहा है।
Mount Everest Glacier : जलवायु परिवर्तन (Climate change) के चलते हमें वर्तमान में कई ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जो कि यकीनन निकटतम भविष्य में और भी अधिक व्यापक और भयावह हो सकती हैं। इसी के मद्देनज़र ऐसी ही स्थिति माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) पर उत्पन्न हो रही है, जो कि आने वाले कुछ ही सालों में एक बड़े खतरे के रूप में परिवर्तित हो सकती है।
ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहा
शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, माउंट एवरेस्ट (Mount Everest Glacier) के सर्वोच्च स्तर पर मौजूद ग्लेशियर बेहद ही तेज़ी से पिघल रहा है, जो कि समुद्री सतह से करीब 7,900 मीटर की ऊँचाई पर उपलब्ध है। शोधकर्ताओं ने अपनी इस शोध में दावा किया है कि माउंट एवरेस्ट का यह ग्लेशियर पूर्व के समय में जितना 10-20 सालों में पिघलता था, यह अब उतना ही मात्र एक साल भर में ही पिघल रहा है। यानी आम शब्दों में बात करें तो जलवायु परिवर्तन के चलते हालात तेज़ी से बिगड़ रहे हैं।
माउंट एवरेस्ट की सर्वोच्च बर्फ
शोधकर्ताओं का दावा है कि यह बर्फ सतह पर प्राकृतिक रूप से निर्मित होने वाली बर्फ की तुलना में करीब 80 गुना अधिक तेजी से पिघल रही है, जो कि भविष्य की चिंता को दर्शाता है।इस अध्ययन के तहत माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने और आसपास के लोगों को माउंट एवरेस्ट की सर्वोच्च बर्फ की सतह के पतले होने की चेतवानी जारी कर दी है। हालांकि अभी हालात कुछ हद तक ठीक हैं लेकिन जल्द ही बर्फ की सतह के और अधिक पतले होने के साथ ही समस्या में भी इजाफा होने जायज़ है।
आम जनजीवन अस्त-व्यस्त
ग्लेशियर से बर्फ पिघलकर निकलने वाले पानी पर करोड़ों लोगों का जीविकोपार्जन निर्भर है। जिसमें खेतों की सिंचाई के साथ ही पीने योग्य पानी भी मौजूद है। ऐसे में तेज़ी से से बर्फ पिघलने के चलते पानी की मात्रा सामान्य अवस्था से अधिक हो जाएगी और यह यकीनन आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त करने में पूर्ण रूप से सक्षम है।