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Coal Crisis: देश में नहीं टला है अभी कोयला संकट, कई राज्यों में छा सकता है अंधेरा
Coal Crisis : उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, झारखंड, हरियाणा, तेलंगाना और राजस्थान में तो बिजली-कटौती (Power Cut) का दौर शुरू भी हो चुका है।
Coal Crisis : भारत में कोयले का संकट (Coal Crisis) टला नहीं है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, कि इस वक्त देश के कई कोयला खदानों में उत्पादन पिछले 9 साल की तुलना में अपने निचले स्तर (Low Coal Production) पर पहुंच गया है। हाल के हफ़्तों में गर्मी प्रचंड रूप से बढ़ा है। ऐसे में बिजली की खपत के साथ मांग भी बढ़ी है। विशेषज्ञों का मानना है कि हालात ऐसे बन रहे हैं जिससे देश के कई राज्यों में एक बार फिर बिजली कटौती का दौर लौट सकता है।
गौरतलब है कि, कोरोना महामारी (corona pandemic) के दौर में अन्य उद्योगों की ही तरह कोयला उत्पादन पर भी व्यापक असर पड़ा था। वहीं दूसरी ओर, अब अन्य उद्योग भी कोरोना के दौर से बाहर आकर अपने उत्पादन बढ़ाने और पिछले घाटे की भरपाई की कोशिशों में जुटे हैं। ऐसे में उद्योगों, कल-कारखानों को और अधिक बिजली चाहिए।
इन राज्यों में शुरू हुआ Power Cut
यहां आपको बता दें, कि उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, झारखंड, हरियाणा, तेलंगाना और राजस्थान में तो बिजली-कटौती (Power Cut) का दौर शुरू भी हो चुका है। इतना ही नहीं, महाराष्ट्र तो 'अनिवार्य बिजली कटौती' लागू करने की दिशा में बढ़ चला है। ज्ञात हो, कि महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा औद्योगिक राज्य है।
ये राज्य महंगे दर पर बिजली खरीदने को तैयार
गुजरात और तमिलनाडु जैसे औद्योगिक राज्यों ने भी ऊर्जा कंपनियों को महंगे दामों पर अन्य राज्यों से बिजली खरीदने की इजाजत दी है। इसके पीछे का मकसद बिजली-कटौती से बचना है। हालिया आंकड़े बताते हैं कि मांग की तुलना में इस समय बिजली की आपूर्ति में 1.4 प्रतिशत की कमी है। तुलनात्मक नजरिए से देखें तो यह नवंबर 2021 में हुई 1 फीसदी कमी से भी ज्यादा है। याद करें, उस वक्त भी देश ने कुछ दिनों तक गंभीर कोयले की कमी का सामना किया था। कोयला ही भारत में ऊर्जा उत्पादन का मुख्य संसाधन है।
आंध्र प्रदेश में हाल बेहाल, सड़कों पर उतरे लोग
आंध्र प्रदेश में भी कमोबेश महाराष्ट्र जैसे ही हालात बनते दिख रहे हैं। आंध्र में बिजली की मांग और आपूर्ति (demand and supply) में 8.7 प्रतिशत की कमी बनी हुई है। इसका सीधा असर वहां के उद्योगों पर भी पड़ने लगा है। इस दक्षिणी राज्य में उद्योगों की जरूरत की तुलना में 50 फीसदी ही बिजली आपूर्ति हो रही है। राज्य के अंदरूनी इलाकों में तो कई घंटों तक की बिजली कटौती की जा रही है। इससे आंध्र प्रदेश के लोगों में खासा गुस्सा है। जनता विरोध-प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर रही है। जबकि, सरकार इसे 'अस्थायी' बता रही है।
बिहार-झारखंड सहित इन राज्यों में भी कटौती
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि बिहार, झारखंड, हरियाणा तथा उत्तराखंड में इस समय बिजली की मांग के मुकाबले आपूर्ति में 3 फीसदी की कमी है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के आंकलन के मुताबिक देश के कुल ऊर्जा उत्पादन में मार्च 2023 तक 15.2 प्रतिशत की बढ़त संभव है। मांग इसकी तुलना में बीते 38 सालों के मुकाबले सबसे तेज रफ्तार से बढ़ सकती है। कहने का मतलब है कि आगे भी समस्या बनी ही रहने वाली है।