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Telangana: KCR की राज्यपाल से बढ़ी तनातनी, राजभवन के कार्यक्रमों से सीएम ने बनाई दूरी
राजभवन की ओर से सरकार की कुछ फाइलों को लौटाए जाने के बाद रिश्तों में यह तनातनी पैदा हुई है। आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री और गवर्नर के बीच टकराव और बढ़ने के आसार दिख रहे हैं।
Telangana News : तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (K.Chandrashekar Rao) के राज्यपाल से रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। हालत यह हो गई है कि सरकार की ओर से आयोजित सरकारी कार्यक्रमों का न्योता भी राजभवन (Government House) को नहीं भेजा जाता। राजभवन की ओर से सरकार को भेजे गए निमंत्रण स्वीकार नहीं किए जाते। इन कार्यक्रमों में न तो मुख्यमंत्री हिस्सा लेते हैं और न ही अपने किसी मंत्री को प्रतिनिधि बनाकर भेजते हैं।
पिछले कई महीनों से राजभवन और केसीआर (K.Chandrashekar Rao) के रिश्तो में खटास चल रही है। मगर, अब तनातनी और बढ़ती दिख रही है। राजभवन की ओर से सरकार की कुछ फाइलों को लौटाए जाने के बाद दोनों के रिश्तों में यह तनातनी पैदा हुई है। आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री और गवर्नर के बीच टकराव और बढ़ने के आसार दिख रहे हैं।
छह महीने से नहीं हुई मुलाकात
जानकार सूत्रों का कहना है, कि पिछले 6 महीने से राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन (Dr. Tamilisai Sundararajan) और मुख्यमंत्री केसीआर के बीच किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं हुई है। मुख्यमंत्री राजभवन की ओर से आयोजित कार्यक्रमों को कोई महत्व नहीं देते। राज्य के मंत्रियों को भी राजभवन के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं है। सरकारी कार्यक्रमों में राज्यपाल को न बुलाए जाने के कारण राज्य की दोनों प्रमुख हस्तियों में मुलाकात का कोई अवसर भी नहीं बनता। राज्यपाल ने भी कई महीनों से मुख्यमंत्री से मुलाकात न होने की बात स्वीकार की है। उनका यह भी कहना है, कि उन्होंने अभी तक राज्य में नियम विरुद्ध कोई भी काम नहीं किया है। इसलिए सरकार की नाराजगी का कारण उन्हें नहीं पता।
राजभवन से इसलिए नाराज हैं केसीआर
वैसे जानकार सूत्रों का कहना है, कि राजभवन ने सरकार की ओर से भेजी गई दो फाइलों को लौटा दिया था और उसी के बाद मुख्यमंत्री की नाराजगी बढ़ गई है। मुख्यमंत्री राज्यपाल कोटे से कौशिक रेड्डी को एमएलसी (MLC) बनवाना चाहते थे। उन्होंने इस संबंध में राजभवन के पास सिफारिश भेजी थी। कौशिक रेड्डी पहले कांग्रेस में थे मगर बाद में उन्होंने केसी आर की पार्टी टीआरएस का दामन थाम लिया था। राज्यपाल सुंदरराजन ने मुख्यमंत्री की इस सिफारिश को ठुकरा दिया था और उनका कहना था कि किसी गैर राजनैतिक व्यक्ति या समाज के लिए कोई योगदान करने वाले को एमएलसी बनाया जाना चाहिए। राज्यपाल की ओर से इस सिफारिश को ठुकराया जाना मुख्यमंत्री को काफी नागवार गुजरा।
प्रोटेम चेयरमैन की नियुक्ति को लेकर भी राजभवन और मुख्यमंत्री के बीच टकराव पैदा हुआ। प्रोटेम चेयरमैन की नियुक्ति अधिकतम 6 महीने के लिए ही की जा सकती है। मगर, केसीआर ने प्रोटेम चेयरमैन का कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश की थी जिसे राज्यपाल ने ठुकरा दिया।
भाजपा ने बोला सीएम पर हमला
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच बढ़ती तनातनी के बीच भाजपा ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। केसीआर ने हाल में संविधान को नए सिरे से लिखने की बात कही थी और इसे लेकर भाजपा ने मुख्यमंत्री पर हमला बोला है। भाजपा का कहना है कि सच्चाई तो यह है कि मुख्यमंत्री की संविधान में कोई आस्था ही नहीं है। राज्य की सियासत में भाजपा अपनी स्थिति को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है ताकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में केसीआर को मजबूत चुनौती दी जा सके।
दूसरी ओर कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 19 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी मगर इनमें से 12 विधायक टूट कर केसीआर की पार्टी टीआरएस में चले गए हैं। दो और विधायकों ने भी अलग राह चुन ली है और अब कांग्रेस के पास सिर्फ पांच विधायक ही बचे रह गए हैं। भाजपा कांग्रेस की कमजोर होती स्थिति का सियासी फायदा उठाने की कोशिश में जुट गई है।