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कांग्रेस में संकट बरकरार, विभिन्न राज्यों में अभी तक विधायक दल के नेता का चुनाव नहीं
Congress News: कांग्रेस के विधायक दल के नेता का चुनाव भी अभी तक नहीं हो सका है
Congress News: पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सबसे बुरी स्थिति कांग्रेस में दिख रही है। इन राज्यों में नई सरकारों का गठन हो चुका है और मंत्रियों ने कार्यभार संभाल कर कामकाज भी शुरू कर दिया है। मगर दूसरी ओर कांग्रेस के विधायक दल के नेता का चुनाव भी अभी तक नहीं हो सका है। चुनाव की बात तो दूर अभी तक इस संबंध में कोई चर्चा तक नहीं शुरू हो सकी है।
पार्टी नेतृत्व इस मामले में पूरी तरह उदासीन बना हुआ है। लिहाजा सभी राज्यों में विधायक दल के नेता के चुनाव का मसला अटका हुआ है। हालांकि विभिन्न राज्यों में चुनाव जीतने वाले कांग्रेस विधायक अपने स्तर पर जोड़-तोड़ की कोशिश में जरूर जुटे हुए हैं।
पंजाब में चल रही है जोड़-तोड़
पंजाब में पिछले चुनाव में कांग्रेस ने भारी जीत हासिल की थी मगर इस बार आप की प्रचंड जीत में कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज चुनाव हार गए हैं। राज्य की 117 सदस्यीय विधानसभा में आप के 92 विधायक चुनाव जीतकर पहुंचे हैं जबकि कांग्रेस सिर्फ 18 सीटों पर सिमट गई है। पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों पर चुनाव हार गए हैं जबकि चुनाव के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले नवजोत सिंह सिद्धू को भी चुनावी हार का सामना करना पड़ा है।
ऐसे में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने किसी युवा विधायक को नेता चुने जाने की सलाह दी है। कांग्रेस की भारी पराजय के बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष पद से सिद्धू का भी इस्तीफा ले लिया है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक दल के नेता दोनों का चुनाव किया जाना है मगर इस बारे में नेतृत्व अभी तक कोई फैसला नहीं कर सका है। पंजाब में शुक्रवार को विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान उस समय अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई जब स्पीकर ने कांग्रेस विधायकों से पूछा कि उनका नेता कौन है। उनके इस सवाल पर विधायक इधर-उधर देखने लगे।
उत्तराखंड के विधायकों में भी उठापटक
इसी तरह उत्तराखंड में भी कांग्रेस को भाजपा के सामने शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा है। भाजपा 47 सीटें जीतने में कामयाब रही है जबकि कांग्रेस सिर्फ 19 सीटें जीत सकी है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को लालकुआं सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा है जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी श्रीनगर सीट से चुनाव हार गए हैं। ऐसे में प्रीतम सिंह एक बार फिर विधायक दल का नेता बनने के लिए जोड़-तोड़ की कोशिश में जुटे हुए हैं।
चुनाव के कुछ माह पहले तक प्रीतम सिंह ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इसलिए पार्टी का एक वर्ग उन्हें विधायक दल का नेता चुने जाने के पक्ष में नहीं है। बाजपुर से चुनाव जीतने वाले यशपाल आर्य भी विधायक दल का नेता बनने के इच्छुक बताए जा रहे हैं। ऐसे में अब सबकी निगाहें शीर्ष नेतृत्व के फैसले पर लगी हुई हैं।
अन्य राज्यों का मामला भी लटका
मणिपुर में कांग्रेस सिर्फ पांच सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई है। कांग्रेस से ज्यादा सीटें नेशनल पीपुल्स पार्टी ने जीती हैं। इस पार्टी के सात विधायक इस बार विधानसभा पहुंचे हैं। ऐसे में कांग्रेस विधायक दल के नेता को विपक्ष के नेता का दर्जा भी नहीं मिल पाएगा। पार्टी को सबसे बुरी हार उत्तर प्रदेश में झेलनी पड़ी है जहां 403 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी सिर्फ 2 सीटें ही जीत सकी है। उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जिले की रामपुर खास सीट से चुनाव जीतने वाली आराधना मिश्रा मोना को फिर कांग्रेस विधानमंडल दल का नेता चुना गया है।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के सिर्फ दो विधायक चुनाव में अपनी ताकत दिखा सके हैं। इस जीत में उनकी व्यक्तिगत ताकत को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आराधना को फिर यह जिम्मेदारी सौंपी है। गोवा में भी पार्टी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सकी है मगर यहां भी अभी तक नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक नहीं बुलाई गई है।
हार की समीक्षा में जुटी हुई है कांग्रेस
कांग्रेस नेतृत्व इन दिनों पांच राज्यों में मिली चुनावी पराजय की समीक्षा करने में जुटा हुआ है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनावी हार के बाद इन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों से इस्तीफे ले लिए हैं और पार्टी के विभिन्न नेताओं को हार की समीक्षा के लिए अलग-अलग राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन नेताओं को विधायक को और दूसरे अन्य नेताओं से चर्चा के बाद रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है।
वैसे अभी तक किसी नेता की ओर से हार के कारणों का विश्लेषण करने वाली रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तक नहीं पहुंची है। सियासी जानकारों का मानना है कि पांच राज्यों के चुनावी हार ने कांग्रेस को जबर्दस्त झटका दिया है और यही कारण है कि पार्टी विधायक दल के नेताओं के चुने जाने की दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया जा सका है।