जयपुर रैली राहुल की ताजपोशी का संकेत, लंबे समय बाद रैली में पहुंचीं सोनिया ने सिर्फ बजाईं तालियां, बिना कुछ बोले लौटीं

Congress President 2021: जयपुर रैली से साफ हो गया है कि कांग्रेस का नेतृत्व जल्द ही राहुल गांधी को सौंपने की तैयारी की जा रही है। ऐसा लगा मानो यह संदेश देने के लिए ही रैली का आयोजन किया गया था।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 12 Dec 2021 3:02 PM GMT
जयपुर रैली राहुल की ताजपोशी का संकेत, लंबे समय बाद रैली में पहुंचीं सोनिया ने सिर्फ बजाईं तालियां, बिना कुछ बोले लौटीं
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कांग्रेस रैली (फोटो साभार- ट्विटर) 

Congress President 2021: कांग्रेस की जयपुर रैली (Congress Jaipur Rally) से साफ हो गया है कि पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) अब सिर्फ मार्गदर्शक या कोच की भूमिका में ही है। मैदान में उतरकर बल्लेबाजी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को ही करनी है। रविवार को भी जब राहुल गांधी पीएम मोदी सरकार (Modi Government) पर हमले कर रहे थे तो सोनिया तालियां बजाकर उनका उत्साहवर्धन कर रही थीं। सोनिया लंबे समय बाद कांग्रेस की किसी रैली (Congress Rally) में शिरकत करने पहुंची थीं मगर उनका संबोधन न होना कांग्रेस के कई नेताओं (Congress Leader) को भी खटका। रैली में हिस्सा लेने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सोनिया के संबोधन का इंतजार था मगर सबको निराशा ही हाथ लगी।

जयपुर रैली (Jaipur Rally) से साफ हो गया है कि कांग्रेस का नेतृत्व जल्द ही राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को सौंपने की तैयारी की जा रही है। ऐसा लगा मानो यह संदेश देने के लिए ही रैली का आयोजन (Rally Ka Ayojan) किया गया था। मंच पर राहुल मोदी सरकार पर लगातार हमले करने में जुटे थे और रैली में मौजूद कार्यकर्ताओं के साथ सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) भी तालियां बजाकर उनके संबोधन का स्वागत कर रही थीं।

राहुल और प्रियंका का बढ़ाया हौसला

कांग्रेस की ओर से काफी दिनों बाद एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया। इस रैली के मंच पर गांधी परिवार के तीनों अहम सदस्य सोनिया, राहुल और प्रियंका मौजूद थे। रैली में राहुल और प्रियंका ने तो अपनी बात रखी मगर सोनिया गांधी ने रैली में भाषण नहीं दिया। राहुल के संबोधन के दौरान वे लगातार उनका उत्साह बढ़ाने में जुटी रहीं। उन्होंने प्रियंका की भी हौसला अफजाई की। रैली में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता और विभिन्न प्रदेशों से आए पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद थे।

सियासी पंडितों की नजर में इसे कांग्रेस में बदलाव (Congress Mein Badlaav) का बड़ा संकेत माना जा रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunaav 2019) में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा (Rahul Gandhi Ka Istifa) दे दिया था। तभी से अंतरिम अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभाल रखी है। कांग्रेस के असंतुष्ट नेता कई बार पार्टी में संगठनात्मक चुनाव कराने की मांग कर चुके हैं मगर अभी तक उनकी मांग पूरी नहीं हो सकी है।

राहुल ही ले रहे हैं सारे बड़े फैसले

वैसे कांग्रेस अध्यक्ष न होने के बावजूद पार्टी के सारे अहम फैसले राहुल गांधी ही ले रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस में ग्रुप 23 के नेता माने जाने वाले कपिल सिब्बल ने पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद इस संबंध में सवाल भी खड़ा किया था। सिब्बल का कहना था कि जब पार्टी में स्थायी अध्यक्ष ही नहीं है तो आखिर फैसले कौन ले रहा है। सिब्बल सियासत के माहिर खिलाड़ी हैं और उन्हें इस बात की बखूबी जानकारी है कि कांग्रेस में सारे बड़े फैसले कौन ले रहा है मगर यह सवाल उठाकर उन्होंने नेतृत्व पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोला था।

पार्टी में समय-समय पर संगठन चुनाव की मांग उठती रही है, लेकिन नेतृत्व इसे टालता रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव अगले साल तक के लिए टाला जा चुका है। पार्टी के असंतुष्ट नेता दबी जुबान से गांधी परिवार से बाहर किसी नेता को पार्टी की कमान सौंपने की वकालत करते रहे हैं मगर पार्टी का एक बड़ा धड़ा पूरी मजबूती के साथ राहुल गांधी के साथ डटा हुआ है।

(फोटो साभार- ट्विटर)

सोनिया रहेंगी कोच, राहुल करेंगे बैटिंग

जयपुर रैली के जरिए कांग्रेस नेतृत्व की ओर से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि सोनिया गांधी अब सिर्फ कोच की भूमिका में ही रहेंगी। पिच पर उतर कर बल्लेबाजी का जौहर राहुल गांधी ही दिखाएंगे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से खुद को विपक्ष का चेहरा बनाए जाने की कोशिशों के मद्देनजर भी जयपुर रैली को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कांग्रेस नेताओं को राहुल गांधी के अलावा विपक्षी का कोई और चेहरा मंजूर नहीं है और जयपुर रैली के जरिए इसे और पुष्ट करने की कोशिश की गई। मोदी सरकार के खिलाफ पूरी दमदारी से आवाज उठाकर राहुल गांधी ने विपक्ष के चेहरे के रूप में खुद को स्थापित करने की मजबूत कोशिश की है।

हिंदू वोट बैंक का सताने लगा डर

रैली का आयोजन तो महंगाई के खिलाफ आवाज उठाने के लिए किया गया था मगर राहुल गांधी का पूरा संबोधन हिंदुत्व और हिंदुत्ववादी इन दोनों शब्दों के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा। प्रियंका ने अपने भाषण के दौरान जरूर महंगाई का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया और इसके लिए मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा।

राहुल के संबोधन से साफ हो गया है कि उन्हें भी अब हिंदू वोट बैंक की चिंता सताने लगी है। वे रैली में खुद को बार-बार हिंदू बताते रहे और उनका कहना था कि देश की सत्ता पर हिंदुत्ववादियों ने कब्जा कर लिया है। उन्होंने महात्मा गांधी को हिंदू और गोडसे को हिंदुत्ववादी बताकर खुद का भाजपा से अंतर स्पष्ट करने का भी प्रयास किया। 2024 की सियासी जंग से पहले राहुल का संबोधन कांग्रेस के सियासी नजरिए में आए बदलाव का बड़ा संकेत माना जा रहा है।

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