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Ambedkar jayanti 2021: अंबेडकर की 130वीं जयंती, जानिए इस दिन का महत्व
इस साल बाबा साहेब की 130वीं जयंती मनाई जा रही है। डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती के दिन सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया है।
लखनऊ: आज संविधान( Constitution) के निर्माता बाबा साहेब बीआर अंबेडकर की जयंती मनाई जा रही है। भारतीय संविधान निर्माता डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर (Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar) का जन्म 14 अप्रैल को हुआ था इसलिए आज पूरा देश उनकी जयंती मना रहा है। अम्बेडकर जयंती ( Ambedkar Jayanti) पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सभी बड़े नेता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
इस वर्ष 14 अप्रैल 2021 को डॉ बीआर अम्बेडकर की 130वीं जयंती मनाई जा रही है। डॉ बी आर अंबेडकर को समर्पित इस दिन को 'भीम जयंती' के रूप में भी जाना जाता है। दलित समाज के उत्थान, जाति व्यवस्था की बुराइयों को दूरे करने और लोगों को जागरूक करने के लिए डॉ अम्बेडकर ने काफी संघर्ष किया। उन्होंने ना सिर्फ आजादी की लड़ाई में ना सिर्फ एक अहम भूमिका निभाई, बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए संविधान निर्माण की भी जिम्मेदारी उठाई। हर साल उनकी जयंती को धूमधाम से मनाई जाती है।
निभाई थी समाज में अहम भूमिका
इस साल बाबा साहेब की 130वीं जयंती मनाई जा रही है।बता दें, डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती के दिन सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया है। उन्होंने देश से जाति प्रथा और समाज में कुव्यवस्था को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी। उनका मानना था कि सभी जाति के लोगों को एक जैसा अधिकार मिलना चाहिए, ताकि आगे चलकर किसी भी प्रकार भेदभाव ना हो।उन्होंने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में भी हिस्सा लिया।
एक दलित परिवार से आने वाले बीआर अंबेडकर ने अपने जीवन में बहुत यातनाएं झेलीं लेकिन कभी किसी कमजोर का साथ नहीं छोड़ा। यही वजह है कि वे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। उन्हें आज भी उतने ही आदर और सम्मान के साथ याद किया जाता है।
समाज से बुराई दूर करने का प्रयास
देश के साथ-साथ विदेशों में भी उनकी जन्म जयंती को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन बाबासाहेब के कामों के बारे में लोगों को बताया जाता है। इतना ही नहीं, जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन कर समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म करने की भी अपील की जाती है। लोगों को जागरूक किया जाता है। इसके अलावा, वाद विवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। बताया जाता है कि समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए किया गया उनका संघर्ष हर पीढ़ी के लिए एक मिसाल बना रहेगा।