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Sensodyne Toothpaste के विज्ञापन पर मचा बवाल

ग्लैक्सो स्मिथ क्लाइन (जीएसके) कंज्यूमर हेल्थकेयर कंपनी के एक विज्ञापन में भ्रामक जानकारी देने के कारण सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने विज्ञापन को बंद करने का आदेश दे दिया है।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet KumarWritten By Neel Mani Lal
Published on: 14 Feb 2022 3:05 PM IST
Sensodyne Toothpaste के विज्ञापन पर मचा बवाल
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जीएसके ऑफिस (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

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नई दिल्ली। एक टूथपेस्ट के विज्ञापन पर बवाल मच गया है। उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करने वाली शीर्ष नियामक संस्था ने अब इस विज्ञापन को बंद करने का आदेश दे दिया है। ये मामला है ग्लैक्सो (Glaxo) कंपनी के टूथपेस्ट सेंसोडाइन से जुड़ा हुआ। आरोप है कि इस टूथपेस्ट के विज्ञापन भ्रामक हैं और ये भारतीय नियमों का उल्लंघन करते हैं।

सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) (Central Consumer Protection Authority) ने ग्लैक्सो स्मिथ क्लाइन (जीएसके) (Glaxo Smith Kline) कंज्यूमर हेल्थकेयर कंपनी को सेंसोडाइन उत्पादों के विज्ञापनों को बंद करने का निर्देश दिया है। नियामक ने कंपनी द्वारा विज्ञापनों में किए गए उत्पाद के संबंध में अन्य दावों की भी जांच के आदेश दिए हैं।

क्या है मामला

सीसीपीए ने अपनी जांच में पाया है कि टेलीविजन, यूट्यूब (Youtube), फेसबुक (Facebook) और ट्विटर (Twitter) पर प्रसारित सेंसोडाइन उत्पादों के कुछ विज्ञापनों में यूनाइटेड किंगडम स्थित दंत चिकित्सकों ने सेंसोडाइन उत्पादों की सिफारिश की है। भारत में प्रैक्टिस करने वाले दंत चिकित्सकों को संशोधित दंत चिकित्सक (आचार संहिता) विनियम 2014 के तहत सार्वजनिक रूप से किसी भी दवा या उत्पाद का समर्थन करने की अनुमति नहीं है। सीसीपीए ने माना है कि जीएसके द्वारा अपने उत्पादों का समर्थन करने के लिए यूनाइटेड किंगडम स्थित दंत चिकित्सकों का उपयोग कानून के उल्लंघन की कोशिश है। इस विज्ञापन से ये मैसेज जाता है कि यूनाइटेड किंगडम में दंत चिकित्सक इसके उत्पाद की सिफारिश कर रहे हैं। सीसीपीए ने 27 जनवरी 2022 के आदेश में कहा है कि कंपनी को भारत में सेंसोडाइन (Sensodyne) उत्पादों के उन सभी विज्ञापनों को सात दिन के भीतर बंद करना होगा जिसमें भारत के बाहर प्रैक्टिस करने वाले दंत चिकित्सक सेंसोडाइन उत्पाद का समर्थन करते हैं।

उपभोक्ता नियामक ने कहा है कि दंत चिकित्सक दंत स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए योग्य चिकित्सकीय पेशेवर हैं। उन्हें विज्ञापन में उत्पाद की सराहना, सिफारिश और सुझाव में देखा जा सकता है। ऐसे विज्ञापन से उपभोक्ता को ये मैसेज मिलता है कि यदि वे उत्पाद नहीं खरीदते हैं तो वे दंत चिकित्सक की सलाह की अनदेखी कर रहे हैं।

नियामक संस्था ने जीएसके ने सेंसोडाइन के विज्ञापनों में किए गए दावों की जांच का भी आदेश दिया है। विज्ञापन में दावा किया गया है कि ये उत्पाद दुनिया भर के दंत चिकित्सकों द्वारा अनुशंसित और दुनिया का नंबर 1 संवेदनशीलता टूथपेस्ट है और यह "चिकित्सकीय रूप से 60 सेकेण्ड में राहत प्रदान करता है।

विज्ञापन पर लग सकता है प्रतिबंध

अगर सीसीपीए को पता चलता है कि कंपनी ने भ्रामक विज्ञापन किया है तो उपभोक्ता संरक्षण 2019 (Consumer Protection Act) की धारा 21 के तहत, जीएसके को 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और एक साल तक के लिए किसी भी उत्पाद और सेवा के विज्ञापन पर प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है। सीसीपीए ने भारत में विदेशी डॉक्टरों की विशेषता वाले सेंसोडाइन उत्पादों के विशिष्ट विज्ञापनों के खिलाफ स्वत: कार्रवाई शुरू की थी और मार्च 2021 में जीएसके को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।



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Bishwajeet Kumar

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