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Corona ka Sabse Khatarnak Variant : कोरोना वायरस का सबसे खतरनाक वेरियंट मिला, महामारी के अगले लेवल की आशंका
Corona Ka Sabse Khatarnak Variant : कोरोना वायरस का एक नया वेरियंट साउथ अफ्रीका में पाया गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि 'सी.1.2' नामक यह वेरियंट सबसे खतरनाक साबित हो सकता है।
Corona ka Sabse Khatarnak Variant : कोरोना वायरस के नए नए स्ट्रेन और वेरियंट सामने आ रहे हैं जिनसे महामारी का स्वरूप और भी खतरनाक हो जाने की आशंका है। वायरस का स्वरूप स्वतः तो बदलता ही है, लोगों के संक्रमित होते जाने से भी वायरस नया रूप धारण कर लेता है। दोनों ही स्थितियां वैक्सीन और एंटीबॉडीज के लिए चुनौती बन जाती हैं। अब वायरस के न सिर्फ नए वेरियंट सामने आ रहे हैं बल्कि अलग अलग वेरियंट का मिक्सचर भी बन रहा है जो महामारी का पूरा स्वरूप नए लेवल तक ले जा सकता है।
C.1.2 सबसे खतरनाक वैरियंट
कोरोना वायरस का एक नया वेरियंट साउथ अफ्रीका में पाया गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि 'C.1.2' नामक यह वेरियंट सबसे खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि यह बाकी वेरियंट्स से ज्यादा संक्रामक है और वैक्सीनों को चकमा दे सकता है।
साउथ अफ्रीका में कोरोना वैरियंट
साउथ अफ्रीका के राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान की एक स्टडी के अनुसार वैज्ञानिकों ने मई 2021 में सबसे पहले सी. 1.2 वेरियंट का पता लगाया था। ये वेरियंट सी1 वेरियंट से निकला था जिसका पता जनवरी में ही लगा था। सी1 वेरियंट की तुलना में C.1.2 काफी म्यूटेट हुआ है। वुहान में मिले मूल वायरस और उसके बाद दुनिया में मिले किसी भी अन्य वेरियंट से C.1.2 बहुत ज्यादा म्यूटेट हो चुका है।
हालांकि C.1.2 सबसे पहले साउथ अफ्रीका में मिला लेकिन तबसे यह इंग्लैंड, चीन, कांगो, मॉरीशस, न्यूज़ीलैंड, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड में मिल चुका है। ये पता चला है कि सी1.2 की म्यूटेशन दर सर्वाधिक 42 फीसदी है। इस वेरियंट की खतरनाक खासियत यह है कि यह बेहद संक्रामक है। यह वैक्सीनों को भी चकमा दे देता है। इस तरह की विशेषता डेल्टा वेरियंट में भी पाई जा चुकी है।
भारत में मिला 'AY.12 स्ट्रेन'
कोरोना के डेल्टा वेरिएन्ट में भी कई बदलाव भी देखे गए हैं। कई राज्यों ने डेल्टा परिवार से ही जुड़ा AY.12 स्ट्रेन के नए मामलों को दर्ज किया है। विशेषज्ञों का दावा है कि AY.12 स्ट्रेन इजराइल में हालिया कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के पीछे हो सकता है। इजराइल में 60 फीसदी आबादी का पूरी तरह टीकाकरण के बावजूद डेल्टा वेरिएन्ट के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
डेल्टा वेरिएन्ट के अंतर्गत अब 13 स्ट्रेन हो गए हैं।जिन मामलों के पीछे पहले डेल्टा वेरिएंट को माना जा रहा था, अब उनको एवाई12 स्ट्रेन के तौर पर दोबारा वर्गीकृत किया जा रहा है।
डेल्टा प्लस वैरियंट के 3 प्रकार
इस बीच महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के डेल्टा प्लस के 3 प्रकार के रूपों का पता चला है। एक्सपर्ट्स के अनुसार इस वेरिएंट के संक्रमण का प्रभाव समझने के लिए अभी और अधिक महामारी के विश्लेषण की जरूरत पड़ेगी। हाल ही में हुई जीनोम सिक्वेंसिंग की रिपोर्ट से प्रदेश में डेल्टा प्लस के 66 केसों की मौजूदगी के बारे में पता चला है। इसमें भी डेल्टा प्लस के 3 रूप AY.1, AY.2, AY.3 हैं। बहुत अधिक संक्रमणशील डेल्टा वेरिएंट म्यूटेट होकर डेल्टा प्लस में बदल जाता है। डेल्टा वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में K417N नामक अतिरिक्त म्यूटेशन ग्रहण कर लेने की वजह से डेल्टा प्लस वेरिएंट तैयार होता है। यह प्रभावित सेल्स में वायरस के अटैचमेंट को बढ़ाता है। अब वैज्ञानिकों ने इस डेल्टा प्लस स्ट्रेन के 13 प्रकार का पता लगाया है, जो कि एवाई1 से शुरू होकर 13 तक जाता है।
कोविड 22 की आशंका
ज्यूरिख के इम्यूनोलॉजिस्ट प्रोफेसर साई रेड्डी ने कहा है कि वर्तमान में कई तरह के स्ट्रेन मौजूद हैं।उनके मिश्रण से एक नया और अधिक खतरनाक वेरिएंट सामने आ सकता है। प्रोफेसर रेड्डी ने कहा कि वर्तमान मिश्रण के परिणामस्वरूप एक नई और अधिक खतरनाक महामारी पैदा हो सकती है। कोरोना वायरस के विशेष रूप से डेल्टा, बीटा और गामा वेरिएंट के एक साथ मिलने के बहुत अधिक संभावना है जिससे कोविड 22 नामक नया वेरिएंट लोगों को बीच आ सकता है। आने वाला समय और भी बुरा हो सकता है। साई रेड्डी ने आगाह करते हुए कहा कि वैक्सीनेशन जल्द से जल्द करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोविड 22 से निपटने के लिए अभी से तैयारी कर लेनी चाहिए।
नए वैरियंट से बचने के उपाय
कोरोना के किसी भी वेरिएंट से बचा जा सकता है। मास्क पहनकर, सेनिटाइजर इस्तेमाल कर, हाथ धोकर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर काफी हद तक इससे सुरक्षित रहा जा सकता है। एक्सपर्ट का भी मानना है कि वेरिएंट अलग होने से नियम नहीं बदलेंगे इससे भी बचने के वही तरीके हैं जो पहले वाले वेरिएंट के हैं। चूंकि कोरोना वायरस बीमारी की अभी तक कोई निश्चित दवा नहीं है सो सिर्फ सुरक्षा के बेसिक उपायों और वैक्सीन से ही कोई उम्मीद की जा सकती है।