Corona ki Swadeshi dawa : लखनऊ के CDRI में बनी कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन, डेल्टा वेरिएंट पर भी कारगर

Corona ki Swadeshi dawa : लखनऊ के केंद्रीय औषधिक अनुसंधान संस्थान (CDRI) लखनऊ ने कोरोना की स्वदेशी दवा उमीफेनोविर बनाने का दावा पेश किया है।

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Newstrack NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 15 Sep 2021 2:56 AM GMT
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कोरोना की स्वदेशी दवा (फोेटो- सोशल मीडिया)

Corona ki Swadeshi dawa : कोरोना की स्वदेशी दवा के बारे में बड़ी खबर है। केंद्रीय औषधिक अनुसंधान संस्थान (CDRI) लखनऊ ने कोरोना की स्वदेशी दवा उमीफेनोविर बनाने का दावा पेश किया है। सीडीआरआई(CDRI) के मुताबिक, इस एंटीवायरल दवा के तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हो गया है।

ऐसे में संस्थान का दावा है कि उमीफेनोविर कोरोना के हल्के बहुत लक्षण वाले संक्रमित मरीजों के इलाज में बहुत ज्यादा प्रभावशाली है। साथ ही उच्च जोखिम वाले संक्रमित रोगियों के लिए रोगनिरोधी के रूप में काफी उपयोगी है। ये एंटीवायरल दवा पांच दिन में वायरल लोड को पूर्ण रूप से खत्म कर देता है।

डेल्टा वेरिएंट पर भी कारगर

इस बारे में सीडीआरआई के निदेशक प्रो. तपस कुंडू ने बताया कि औषधि महानियंत्रक, भारत सरकार (डीसीजीआई) ने गत वर्ष जून में केजीएमयू, एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के सहयोग से सीडीआरआई को लक्षणविहीन, हल्के और मध्यम कोविड-19 रोगियों पर तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण की अनुमति दी थी। सीएसआईआर ने 16 दवाएं सुझाई थीं, जिनमें से ट्रॉयल के लिए उमीफेनोविर (आर्बिडोल) का चयन किया गया।

डेल्टा वेरिएंट के बारे में निदेशक प्रो. कुंडू ने बताया कि उमीफेनोविर टैबलेट के रूप में है। इसे सिरप और इनहेलर के रूप में भी विकसित करने पर काम किया जा रहा है। परीक्षण में ऐसे मरीज भी शामिल थे, जिनमें वायरस का डेल्टा वेरियंट मिला था। साथ ही माना जा रहा है कि यह डेल्टा वेरिएंट पर भी कारगर हो सकती है। 132 मरीजों पर क्लिनिकल परीक्षण किया गया।

आगे निदेशक प्रो. कुंडू ने बताया कि उमीफेनोविर सार्स कोविड-19 के सेल कल्चर को बहुत प्रभावी तरीके से नष्ट करता है। यह मानव कोशिकाओं में इस वायरस के प्रवेश को रोकता है। इसकी पांच दिन की दवा का खर्च करीब 600 रुपये तक आता है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने क्लीनिकल परीक्षण रिपोर्ट का मूल्यांकन किया है और आपातकालीन स्वीकृति देने के लिए और अधिक संख्या में हल्के लक्षण वाले रोगियों पर अध्ययन जारी रखने के लिए कहा है।

एन्फ्लुएंजा और निमोनिया में भी कारगर

सीडीआरआई टीम के समवन्यक डॉ. आर रविशंकर ने बताया कि उमीफेनोविर एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीवायरल है। रूस, चीन और अन्य देशों में करीब 20 सालों से ज्यादा वर्षों से एन्फ्लुएंजा और निमोनिया के लिए एक सुरक्षित और बिना सलाह के उपलब्ध दवा के रूप में उपयोग किया जाता रहा है।

वहीं अब केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) लखनऊ कोरोना की नई दवा उमीफेनोविर का पेटेंट कराने की होड़ में लगा हुआ है। इस बारे में संस्थान के निदेशक प्रो. तपस कुंडू ने बताया कि इस दवा का डबल ब्लाइंड प्लेसिबो नियंत्रित क्लिनिकल परीक्षण कर अध्ययन किया गया है। दुनिया में इस तरह पहला अध्ययन है। इसमें इस्तेमाल की गई दवा के खुराक का पहले कभी भी सार्स कोविड 2 के खिलाफ परीक्षण नहीं किया गया है।

आगे उन्होंने बताया कि केजीएमयू के डॉ. हिमांशु रेड्डी और डॉ. वीरेंद्र अतम के अनुसार इस दवा के इस्तेमाल से संक्रमितों के तेजी से ठीक होने से वायरस का फैलाव कम होगा। एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के डॉ. एमएमए फरीदी के अनुसार दवा के इस्तेमाल की अनुमति मिलने के बाद इसे गर्भवती महिलाओं और बच्चों को भी दिया जा सकता है।

Vidushi Mishra

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