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Corona Mata Mandir: 'कोरोना माता मंदिर' गिराने के खिलाफ याचिका खारिज, जानें क्या है इसका इतिहास

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के उद्देश्य से दायर याचिका को खारिज करते हुए जुर्माना भी ठोंका

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Newstrack NetworkPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 9 Oct 2021 1:45 PM GMT
Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Corona Mata Mandir: सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग को लेकर एक याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतापगढ़ जिले के 'कोरोना माता मंदिर' (Corona Mata Mandir) को ध्वस्त किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए इसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया। बता दें कि इस मंदिर को कोरोना काल के दौरान एक महिला ने अपने पति के साथ मिलकर बनवाया था।

जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेशन की पीठ ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि जहां पर मंदिर का निर्माण कराया गया था, वह विवदित जमीन थी। जबकि याचिकाकर्ता ने कोर्ट में यह दलील दी थी कि जहां मंदिर का निर्माण कराया गया है वह उसकी निजी जमीन है। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि यदि निर्माण स्थानीय नियमों के अनुरूप किया गया है तो उसने निर्माण गिराए जाने के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया का सहारा क्यों नहीं लिया। कोर्ट ने पाया कि यह जमीन विवादित है और पुलिस में इसकी शिकायत भी है।

याचिकाकर्ता डी. श्रीवास्तव ने मूलभूत अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अनुच्छेद 32 के तहत यह याचिका दायर की थी। प्रतापगढ़ जनपद के जुही शुकुलपुर गांव में 'कोरोना माता मंदिर' का निर्माण कराया गया था। कोरोना काल के दौरान महामारी से मुक्ति पाने के उद्देश्य से इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। मंदिर बनते ही यह विवादों में आ गया, जिसे 7 जून को गिरा दिया गया था। ग्रामीणों का आरोप है कि मंदिर को पुलिस ने गिराया था, जबकि पुलिस का कहना था कि मंदिर विवादित जमीन पर था, जिसे दूसरे पक्ष ने गिरा दिया।

क्या है कोरोना मंदिर का इतिहास

कोरोना माता मंदिर (Corona Mata Mandir) का इतिहास ज्यादा लंबा नहीं है। कोरोना काल के दौरान लोगों को महामारी से बचाने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। हालांकि मंदिर निर्माण के बाद से विवाद शुरू हो गया था। इस मंदिर में प्रवेश से लेकर पूजा अर्चना तक के लिए कोरोना प्रोटोकाल के तहत नियम भी बनाए गए थे। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना संक्रमण को लेकर जागरूक भी किया जाता था। पूजा अर्चना के लिए लोगों का मंदिर में आना जाना भी शुरू हो गया था।

Raghvendra Prasad Mishra

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