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Corona Medicine: आ रही हैं कोरोना की विशेष दवायें, 5 दिन में लेनी होगी 40 डोज़

Corona Medicine: अब ऐसी गोलियां आ रही हैं जिसे संक्रमित व्यक्ति को कोरोना के लक्षण प्रगट होने के पांच दिन के भीतर खाना शुरू कर देना होगा।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Divyanshu Rao
Published on: 10 Dec 2021 4:41 PM IST
Corona Vaccine
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कोरोना वायरस की दवाई की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

Corona Medicine: ख़ास तौर पर कोरोना (Corona) के इलाज के बनाई गयी दवाएं दवा बहुत जल्द दुकानों में मिलना शुरू हो जायेंगी। माना जा रहा है कि ये दवायें ओमीक्रान वेरियंट (Omicron Variant) पर भी काम करेगी। अभी तक कोरोना के इलाज में जितनी भी दवाएं इस्तेमाल की गईं हैं वे सब मूल रूप से किसी अन्य बीमारी के लिए हैं।

अब ऐसी गोलियां आ रही हैं जिसे संक्रमित व्यक्ति को कोरोना के लक्षण प्रगट होने के पांच दिन के भीतर खाना शुरू कर देना होगा। इसका मतलब ये है कि कोरोना टेस्टिंग, निदान और दवा का पर्चा – ये सब काम बहुत तेजी से करना होगा। संक्रमण की पुष्टि होते ही पांच दिन तक 30 से 40 गोलियां खानी होंगी।

अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषग्य और एफडीए में वैज्ञानिकों के पैनल में शामिल डॉ लिंडसे बाडेन का कहना है कि नई दवाओं से कोरोना संक्रमण से पैदा बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकेगा। इन दवाओं में पहली है मोलनुपिराविर जिसे मर्क और रिजबैक बायोथेराप्यूटिक्स ने बनाया है। जिनको वैक्सीन नहीं लगी है वैसे लोग अगर कोरोना के लक्षण आने के 5 दिन के भीतर ये दवा लेते हैं तो उनके अस्पताल में भर्ती होने और मौत होने का जोखिम 30 फीसदी कम हो जाता है। इस दवा का पूरा कोर्स 40 गोलियों का है।

कोरोना दवाई की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

दूसरी एंटीवायरल दवा फाइजर ने डेवलप की है जिसका नाम पैक्स्लोविड रखा गया है। ट्रायल में पाया गया कि लक्षणों के पांच दिन के भीतर इसे खाने पर ये 89 फीसदी असरदार है। फाइजर ने अमेरिका की संघीय सरकार के साथ 5.3 अरब डालर का एक अनुबंध किया है जिसके तहत इस दवा के एक करोड़ कोर्स सप्लाई किये जायेंगे। हर कोर्स ,यों 30 गोलियां होंगे जिनमें एक प्रायोगिक कंपाउंड और एचआईवी की एक दवा बतौर बूस्टर शामिल है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये दवाएं ओमीक्रान के खिलाफ भी असरदार साबित होंगी।

अभी अमेरिका में कोरोना की जो दवाएं अधिकृत प्रयोग में लाई जा रही हैं वे सिर्फ मोनोक्लोनल एंटीबाडीज हैं। ये प्रयोगशाला में बनाये गए तत्व हैं जो प्राकृतिक एंटीबाडी के इतरह काम करते हैं। ऐसी दवाओं के प्रमुख निर्माता रिजेनेरोन फार्मास्यूटिकल और एली लिली हैं। लेकिन ये दवाएं तभी प्रभावी हैं जब कोरोना के लक्षण आने के तुरंत बाद इनको लिया जाये। इनके साथ दिक्कत ये है कि इन्हें प्रशिक्षित चिकित्साकर्मियों की निगरानी में इंट्रावेनस द्वारा ही दिया जा सकता है। अब तो रिजेनेरोन का कहना है कि ये दवा ओमीक्रान के खिलाफ कम असरदार है।



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Divyanshu Rao

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