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Corona Vaccination: वैक्सीनेशन की रफ्तार फिर सुस्त पड़ी, सामने आई ये बड़ी वजह
Corona Vaccination: भारत में अभी तक वैक्सीनों की सप्लाई बहुत धीमी रही है। कोविशील्ड और कोवैक्सिन मिला कर मई महीने में साढ़े सात करोड़ खुराकें सरकार को मिली थीं।
Corona Vaccination: भारत ने एक दिन में वैक्सीनेशन का जो रिकॉर्ड बनाया वो टेम्परेरी साबित हो रहा है। इसकी वजह वैक्सीनों की धीमी सप्लाई है। देश में मुख्यतः दो ही वैक्सीनें लग रही हैं - आस्ट्राजेनका-सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन। तीसरी वैक्सीन है रूस की स्पूतनिक।
भारत में अभी तक वैक्सीनों की सप्लाई बहुत धीमी रही है। कोविशील्ड और कोवैक्सिन मिला कर मई महीने में साढ़े सात करोड़ खुराकें सरकार को मिली थीं। लेकिन जून में उपलब्धता बढ़ी है और 12 करोड़ खुराकें हासिल हुईं। अगले महीने यानी जुलाई में 13 करोड़ 50 लाख खुराकें मिलने की उम्मीद है।
भारत का वैक्सीनेशन अभियान फिलहाल दो वैक्सीनों पर ही निर्भर है। सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने इस साल अगस्त से दिसम्बर तक 1 अरब 30 करोड़ डोज़ देने का वादा सरकार से किया हुआ है। भारत में कुछ अन्य वैक्सीनों का या तो ट्रायल चल रहा है या उनकी जांच प्रक्रिया जारी है।
स्पूतनिक वैक्सीन
रूस के गेमेलिया इंस्टीट्यूट ने स्पूतनिक वैक्सीन डेवलप की है। डबल डोज़ की इस वैक्सीन की दोनों डोज़ में अलग अलग वेक्टर वायरस का इस्तेमाल किया जाता है जिस वजह से इसका प्रोडक्शन जटिल और काफी समय लेने वाला है।
रूस में ही इसका पर्याप्त प्रोडक्शन नहीं ही पा रहा है। भारत ने इसे एमरजेंसी मंजूरी दी है और रूस से 30 लाख डोज़ मिली भी हैं लेकिन उसका प्रोडक्शन अभी भारत में शुरू होना बाकी है।
अभी लम्बा सफर बाकी
देश की करीब 140 आबादी में अभी तक 2 करोड़ 90 लाख खुराकें लगीं हैं। अभी तक 5 फीसदी से कम आबादी का ही पूर्ण वैक्सीनेशन हो पाया है और 20 फीसदी से कम लोगों को कम से कम एक डोज़ लग पाई है।
अमेरिका से मदद
भारत को अमेरिका से भी मदद की उम्मीद है। अमेरिका ने जरूरतमंद देशों को अपना सरप्लस वैक्सीन स्टॉक बांटने की घोषणा भी की है लेकिन ये स्टॉक कब मिलेगा अभी तय नहीं है।