Corona Vaccine: अमेरिका ने बांटी वैक्सीनें, भारत को भी मॉडर्ना मिली

दुनिया में सभी को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराने के अभियान, 'कोवैक्स' के तहत भारत को मॉडर्ना कम्पनी की वैक्सीन मिलने जा रही है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shashi kant gautam
Published on: 30 Jun 2021 4:21 AM GMT
Moderna Vaccine to India
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भारत को मिली मॉडर्ना की वैक्सीन: फोटो- सोशल मीडिया 

Corona Vaccine : दुनिया में सभी को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराने के अभियान, 'कोवैक्स' के तहत भारत को मॉडर्ना कम्पनी की वैक्सीन मिलने जा रही है। अमेरिका ने घोषणा की हुई है कि वह अपने पास उपलब्ध सरप्लस वैक्सीनों को कोवैक्स के तहत दान में देगा। इसी क्रम में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान को मॉडर्ना की वैक्सीन मिल रही है। श्रीलंका को 10 लाख तथा बांग्लादेश व पाकिस्तान को मॉडर्ना की 25 - 25 लाख डोज़ मिलेंगी। भारत को कितनी डोज़ मिलेगी अभी ये बताया नहीं गया है।

डेल्टा पर भी असरदार

मॉडर्ना की वैक्सीन कोरोना के डेल्टा वेरियंट पर भी असरदार बताई जा रही है। वैसे, कोरोना वायरस के खिलाफ इसके 94 फीसदी प्रभावी होने का दावा किया गया है। मॉडर्ना की ये वैक्सीन एमआरएनए तकनीक पर आधारित है जिसमें किसी वेक्टर वायरस का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

सिपला करेगी इम्पोर्ट

भारतीय कम्पनी सिपला मॉडर्ना की वैक्सीन को इम्पोर्ट करेगी और भारत में डिस्ट्रीब्यूट करेगी। भारत में मॉडर्ना की वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में लगेगी या निजी अस्पतालों में पैसा दे कर मिलेगी, ये अभी स्पष्ट नहीं है। वैसे, कोवैक्स का उद्देश्य जरूरतमंद देशों के लोगों को मुफ्त या बहुत कम कीमत पर वैक्सीन उपलब्ध कराना है।


भारतीय कम्पनी सिपला मॉडर्ना की वैक्सीन को इम्पोर्ट करेगी: फोटो- सोशल मीडिया


भारत में कमर्शियल प्रोडक्शन के बारे में सिपला से मॉडर्ना की बातचीत पहले से चल रही है। मॉडर्ना कम्पनी ने 27 जून को भारत के ड्रग कंट्रोलर को सूचित किया था कि अमेरिकी सरकार ने मॉडर्ना की कुछ वैक्सीनें 'कोवैक्स' प्रोग्राम के तहत भारत को दान में देने का फैसला किया है। कम्पनी ने ड्रग कंट्रोलर से इन वैक्सीनों के इस्तेमाल की मंजूरी देने का आग्रह किया था।

ड्रग कंट्रोलर ने मॉडर्ना का पत्र पाने पर आनन फानन में सिपला को ये वैक्सीनें आयात करने की इजाजत दे दी। ये इजाजत भारत में इन वैक्सीनों के सीमित एमरजेंसी उपयोग के तहत दी गई है। कोवैक्स के तहत अमेरिका ने तमाम देशों के साथ साथ बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका को भी वैक्सीन देने की घोषणा की है। श्रीलंका को 10 लाख तथा बांग्लादेश व पाकिस्तान को मॉडर्ना की 25 - 25 लाख डोज़ मिलेंगी। ये सप्लाई दस दिन के भीतर हो जाने की उम्मीद है।

क्या है कोवैक्स

'कोवैक्स' विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रायोजित एक ग्लोबल वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन प्रोग्राम है जिसे 'गावी द वैक्सीन अलायन्स' संचालित कर रहा है। विश्व के अति गरीब देशों के लिए कोवैक्स ही सहारा है और इसी अभियान के तहत उन्हें सर्वाधिक वैक्सीनें मिली हैं। कोवैक्स में प्रमुख रूप से वे सरकारें सहयोग कर रही हैं जिनके यहां वैक्सीनों का डेवलपमेंट और प्रोडक्शन है। इसके अलावा इस प्रोग्राम में सरकारों द्वारा फण्ड भी दिया जा रहा है। भारत से सीरम इंस्टिट्यूट कोवैक्स में अपनी वैक्सीन दे रहा है।

एमआरएनए तकनीक

किसी भी वैक्सीन में वायरस का ही निष्क्रिय स्वरूप या फिर उसका वह खास प्रोटीन होता है जिसकी मदद से वायरस शरीर की किसी कोशिका से जुड़कर उसे संक्रमित करता है। जब वैक्सीन लगाई जाती है तो वायरस या उससे जुड़े प्रोटीन को पहचानते ही शरीर का इम्यून सिस्टम सचेत हो जाता है और इसकी प्रतिक्रिया में एंटीबॉडीज यानी वायरस से लड़ने वाले खास प्रोटीन बना देता है। जब असल वायरस कभी हमला करता है तो शरीर में पहले से ही मौजूद ये एंटीबॉडीज उसे घेर कर उसका खात्मा कर देते हैं।


एमआरएनए तकनीक: फोटो- सोशल मीडिया


एमआरएनए वैक्सीन अब तक प्रचलित वैक्सीनों से इस मायने में अलग है कि इसमें वायरस के जेनेटिक मटीरियल का एक खास हिस्सा होता है। इसे मैसेंजर आरएनए या एमआरएनए कहते हैं। शरीर में दाखिल होने पर यह एमआरएनए सेल्स को वायरस वाला वह प्रोटीन बनाने का निर्देश देने लगता है जिसकी मदद से असली कोरोना वायरस हमला बोलता है। नतीजतन हमारा इम्यून सिस्टम सचेत हो जाता है और एंटीबॉडीज बनाने लगता है।

एमआरएनए की संरचना वायरल प्रोटीन के मुकाबले कहीं कम जटिल होती है इसलिए इसे बनाने और इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन में भी ज्यादा समय नहीं लगता। एमआरएनए की खोज 1961 में हुई थी और इससे कैंसर की वैक्सीन बनाने की रिसर्च की जा रही थी। कोरोना महामारी आने पर इस तकनीक से कोरोना की वैक्सीन बनाने का प्रयोग किया गया जो सफल साबित हुआ है। इस तकनीक से कुछ प्रकार के कैंसर का टीका डेवलप करने का काम जारी है।

Shashi kant gautam

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