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Covaxin Ko Manjuri: कोवैक्सिन को WHO की मंजूरी फिर लटकी, आखिर क्या है वजह
Covaxin Ko Manjuri: डब्लूएचओ ने साफ़ कह दिया है कि वह वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए ‘शार्टकट’ नहीं अपना सकता है। डब्लूएचओ ने कहा है कि उसने भारत बायोटेक से वैक्सीन के बारे में और जानकारियां मांगी हैं।
Covaxin Ko Manjuri: भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने अपनी कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) 'कोवैक्सिन' के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी (Covaxin Emergency Use Approval) के लिए डब्लूएचओ (WHO) के सामने ठीक छह महीने पहले 19 अप्रैल को अर्जी लगाई थी। तबसे लेकर आज तक भारत बायोटेक अपनी वैक्सीन से जुड़े सभी डेटा (Covaxin Data) डब्लूएचओ को नहीं दे पाया है। बार बार जानकारियां मांगी जाती हैं, भारत बायोटेक वह जानकारी जमा करता है। लेकिन कुछ न कुछ जानकारी अधूरी रह जाती है।
पता नहीं क्या वजह है कि भारत बायोटेक अपनी वैक्सीन से सम्बंधित पूरा डेटा एक बार में नहीं दे पा रहा है। अब तो डब्लूएचओ ने साफ़ कह दिया है कि वह वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए 'शार्टकट' नहीं अपना सकता है। डब्लूएचओ ने कहा है कि उसने भारत बायोटेक से वैक्सीन के बारे में और जानकारियां मांगी हैं। संगठन ने कहा है कि वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है कि नहीं, इसका गहन मूल्यांकन करेगा। उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
डब्लूएचओ ने कहा है- 'हम जानते हैं कि लोग कोवैक्सिन के आपात इस्तेमाल के लिए डब्लूएचओ के अनुमोदन का इन्तजार कर रहे हैं। लेकिन हम शार्टकट नहीं अपना सकते। किसी प्रोडक्ट के आपात इस्तेमाल की सिफारिश से पहले हमें सघन मूल्यांकन के जरिये यह सुनिश्चित करना होगा कि वह प्रोडक्ट सुरक्षित और प्रभावी है।
सभी जवाब मिलने पर मूल्यांकन होगा पूरा
डब्लूएचओ ने यह भी कहा है कि भारत बायोटेक डेटा जमा करता रहा, जिसकी समीक्षा संगठन के एक्सपर्ट करते आये हैं। अब डब्लूएचओ कंपनी से एक अतिरिक्त जानकारी की अपेक्षा कर रहा है। जब उस जानकारी से हमारे सभी सवालों के जवाब मिल जायेंगे तब डब्लूएचओ और टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप मूल्यांकन का काम पूरा करेंगे। फिर एक फाइनल सिफारिश करेंगे कि वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी जाये कि नहीं।
डब्लूएचओ का कहना है कि आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने की समय सीमा इस पर निर्भर करती है कि कोई कंपनी मांगी गयी जानकारी कितनी जल्दी उपलब्ध कराती है। जहां तक भारत बायोटेक की बात है तो कंपनी ने पिछले महीने कहा था कि उसने कोवैक्सिन से जुड़ी सभी जानकारी डब्लूएचओ को दे दी है।
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन (Soumya Swaminathan) ने 17 अक्टूबर को जानकारी दी थी कि डब्ल्यूएचओ के तकनीकी सलाहकार समूह की बैठक 26 अक्टूबर को कोवैक्सिन के आपातकालीन उपयोग पर विचार करने के लिए होगी। उन्होंने कहा था कि औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) भारत बायोटेक के साथ मिलकर काम कर रहा है। लेकिन स्वामीनाथन के बयान के एक ही दिन बाद डब्लूएचओ ने नई बात कह दी है। अब देखना है कि आगे क्या होता है।
बच्चों की वैक्सीन
हाल ही में ड्रग कंट्रोलर (Drugs Controller General of India) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने बच्चों को कोवैक्सिन (Covaxin For Children) लगाने की सिफारिश की थी। लेकिन यह मामला भी लंबित हो गया है कि क्योंकि अब ड्रग कंट्रोलर ने कहा है कि वह इस बारे में कुछ और टेक्निकल सलाह ले रहा है। क्योंकि बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले (Bachcho Mein Corona Ke Mamle) अब भी काफी कम हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो अब यह सोचा जा रहा कि जब बच्चों में संक्रमण कम है तो वैक्सीन क्यों लगाई जाये?
भारत में अधिकांश राज्यों में स्कूल खुल चुके हैं। त्योहारी सीजन (Festive Season) भी शुरू हो चुका है। सो ऐसे में सवाल उठता है कि बच्चों में वैक्सीन का रोलआउट (Vaccine Rollout) कितनी तेजी से किया जाना चाहिए। अन्य देशों में संकेत मिलते हैं हैं कि कोरोना का अदेलता वेरियंट बच्चों को संक्रमित कर रहा है। अमेरिका में कोरोना के जितने नए केस आ रहे हैं ,उनमें से 22 फीसदी बच्चों में हैं। यूनाइटेड किंगडम में स्कूली बच्चों में संक्रमण देखा जा रहा है । ब्राजील में तो बच्चों और किशोरों में कोरोना की वजह से काफी मौतें हुईं हैं। अब तो विश्व में 25 से ज्यादा देश 12 साल से ऊपर के बच्चों को वैक्सीन लगा रहे हैं। क्यूबा और चीन में तो 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है।
भारत में 525 बच्चों पर हुए ट्रायल के बाद ड्रग कंट्रोलर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने 2 से 18 वर्ष के बच्चों को कोवैक्सिन लगाने की सिफारिश की थी। आम तौर पर एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिश के एक दो दिन बाद ड्रग कंट्रोलर अंतिम मुहर लगा देता है । लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है। अब कुछ और टेक्निकल सलाह ली जा रही है। इसके बाद की कोई फैसला लिया जाएगा।
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