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Corona Vaccine: कोवैक्सिन लगे 65 फीसदी लोगों में पाया गया डेल्टा के खिलाफ प्रोटेक्शन

Corona Vaccine: कोवैक्सिन के तीसरे चरण के ट्रायल से पता चला है कि कोवैक्सिन लगने पर 65 फीसदी लोगों में डेल्टा वेरियंट के खिलाफ सुरक्षा मिलती है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shreya
Published on: 3 July 2021 12:46 PM IST
Corona Vaccine: कोवैक्सिन लगे 65 फीसदी लोगों में पाया गया डेल्टा के खिलाफ प्रोटेक्शन
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कोवैक्सिन (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Corona Vaccine: भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की कोवैक्सिन (Covaxin) कोरोना के डेल्टा वेरियंट (Delta Varaint) के खिलाफ भी असरदार है। कम्पनी ने कहा है कि उसके तीसरे चरण के ट्रायल (Covaxin Third Phase Trial) से पता चला है कि कोवैक्सिन लगने पर 65 फीसदी लोगों में डेल्टा वेरियंट (Corona Delta Varaint) के खिलाफ सुरक्षा मिलती है।

भारत बायोटेक (Bharat Biotech) के अनुसार, कोरोना के गंभीर लक्षणों के खिलाफ कोवैक्सिन 93.4 प्रतिशत, हल्के और मध्यम लक्षणों के खिलाफ 78 प्रतिशत, डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 65 प्रतिशत और बिना लक्षणों वाले मरीजों पर 63 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है। कंपनी ने दावा किया है कि देशभर के 25 अस्पतालों में 18 से 98 साल के 25,800 वॉलेंटियर्स पर ट्रायल के बाद उसने ये निष्कर्ष निकाला है। कंपनी के ये आंकड़े कहीं प्रकाशित नहीं हुए हैं। भारत बायोटेक ने कोरोना के अन्य वेरियंट पर कोवैक्सिन के प्रभाव के बारे में कुछ नहीं कहा है।

साइड इफ़ेक्ट

भारत बायोटेक का कहना है कि कोवैक्सिन से 0.5 फीसदी से भी कम लोगों में गंभीर दुष्परिणाम (Serious Side Effects) हुए जबकि 12 फीसदी में सामान्य साइड इफ़ेक्ट दिखाई पड़े। वैसे देखें तो 0.5 फीसदी गंभीर दुष्परिणाम भी ज्यादा हैं क्योंकि इसका मतलब एक हजार लोगों में 5 लोग हुए।

कोवैक्सिन (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अल्फा वेरियंट पर भी असरदार

इससे पहले अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) ने पाया था कि कोवैक्सीन से शरीर में बनी एंटीबॉडी अल्फा वेरिएंट (Alpha Variant) से लड़ने में कारगर है। एनआईएच ने बताया था कि कोवैक्सीन लेने वाले लोगों के ब्लड सीरम (Blood Serum) के अध्ययन से यह पता चलता है कि टीके से जो एंटीबॉडीज (Antibodies) बनती हैं, वह ब्रिटेन और भारत में सबसे पहले मिले कोरोना के अल्फा और डेल्टा वेरिएंट पर असरदार है।

क्या है वैक्सीन की असरदारिता

वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल (Human Trial) में एक ग्रुप के कुछ लोगों को असली वैक्सीन (Corona Vaccine) लगाई जाती है जबकि अन्य लोगों को प्लेसिबो यानी सादा इंजेक्शन लगाया जाता है। दोनों ग्रुप्स के लोगों को ये पता नहीं होता कि किसे क्या लगाया गया है। इसके बाद ये निगरानी की जाती है कि पूरे ग्रुप में बीमारी का क्या असर रहा। यही वैक्सीन की असरदारिता कही जाती है।

मिसाल के तौर पर अगर फाइजर कंपनी कहती कि उसकी वैक्सीन 95 फीसदी प्रभावी है तो इसका मतलब हुआ कि प्लेसिबो वाले ग्रुप की अपेक्षा वैक्सीन वाले ग्रुप में कोरोना बीमारी के नए केस 95 फीसदी कम रहे। यानी 100 लोगों को वैक्सीन लगी तो 95 फीसदी को बीमारी नहीं हुई।

मिली है वाई सुरक्षा

भारत बायोटेक कम्पनी के अध्यक्ष कृष्ण एला को हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा 'वाई' श्रेणी की सशस्त्र सुरक्षा प्रदान की गई है। बताया गया है कि एला की सुरक्षा में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के सशस्त्र कमांडो लगाए गए हैं।

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