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Corona Vaccines Supply: वैक्सीन की सप्लाई में देशी प्रोडक्शन का रोड़ा, अमेरिका से नहीं मिली मदद
केंद्र सरकार ने कहा है कि दिसंबर तक प्रतिमाह कोविशील्ड का उत्पादन बढ़ाकर 12 करोड़ डोज और कोवैक्सिन की लगभग 5 करोड़ 80 लाख डोज करने का अनुमान है।
Corona Vaccines Supply: भारत में कोरोना वैक्सीनों का उत्पादन फिलहाल तेज नहीं हो पा रहा है हालाँकि अब केंद्र सरकार ने कहा है कि दिसंबर तक प्रतिमाह कोविशील्ड का उत्पादन बढ़ाकर 12 करोड़ डोज और कोवैक्सिन की लगभग 5 करोड़ 80 लाख डोज करने का अनुमान है। इसके अलावा चार और भारतीय फार्मा कंपनियों द्वारा अक्टूबर-नवंबर तक कोरोना वैक्सीन का उत्पादन शुरू किये जाने की उम्मीद है। इसमें से सरकार को कितनी खुराकें मिलेंगी, ये स्पष्ट नहीं किया गया है। सरकार ने तो भरोसा दिल्या है कि आने वाले दिनों में बायोलॉजिकल ई और नोवार्टिस के टीके भी बाजार में उपलब्ध होंगे, जबकि जायडस कैडिला को जल्द ही एक विशेषज्ञ समिति से आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिल जाएगी। देश में अब तक वैक्सीन की 48,52,86,570 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। बीते दिन 62,53,741 खुराकें लगाई गईं। वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार चिंता का विषय बनी हुई है।
सप्लाई में रुकावटें
जहाँ तक सरकार को वैक्सीनें मिलने की बात है तो मई महीने में सरकार ने कहा था कि उसे अगस्त से दिसंबर के बीच कोवैक्सिन की 40 करोड़ डोज़ मिलने की उम्मीद है। लेकिन कोवैक्सिन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने अभी तक अपना पिछला कमिटमेंट ही पूरा नहीं किया है। उसे जनवरी से जुलाई के बीच 8 करोड़ डोज़ सरकार को सप्लाई करनी थीं लेकिन 16 जुलाई तक सप्लाई हुईं मात्र 60 लाख।
जहाँ तक रूसी वैक्सीन स्पुतनिक की बात है तो उसका लोकल प्रोडक्शन जुलाई-अगस्त में शुरू होना था लेकिन अब ये तारिख सितम्बर तक खिसक गयी है। अभी तक भारत को रूसी वैक्सीन की 30 लाख खुराकें मिली हैं जो सब इम्पोर्ट हुईं थीं। भारत का लक्ष्य स्पुतनिक की 30 करोड़ खुराकें प्रतिवर्ष बनाने का है लेकिन ये टारगेट कब हासिल होगा कुछ कहा नहीं जा सकता। कोविशील्ड बनाने वाला सीरम इंस्टिट्यूट 'कोवैक्स' को भी वैक्सीनें सप्लाई करता है। बताया जाता है कोविशील्ड की जितनी डोज़ सीरम इंस्टिट्यूट बनाता है उसमें से 50 फीसदी भारत सरकार को देता है।
अमेरिकी वैक्सीनें नहीं ले रहा भारत
भारत को अमेरिका से वैक्सीनें मिलने की बात काफी दिन से की जा रही है लेकिन अभी तक कुछ हुआ नहीं है। 'हिन्दू' अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने मध्य व अल्प आय वाले देशों को 19 करोड़ खुराकें दान में दी तो हैं लेकिन भारत को इनमें से कोई वैक्सीन नहीं मिली है। इसकी वजह भारत सरकार और वैक्सीन निर्माताओं के बीच फंसा 'कानूनी जिम्मेदारी' का मामला है। दरअसल, फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन, ये तीनों कम्पनियाँ चाहती हैं कि भारत सरकार उनको गारंटी दे कि उनकी वैक्सीनों से सम्बंधित कोई भी जिम्मेदारी कंपनियों की नहीं होगी।
यानी वैक्सीन के दुष्प्रभाव होने पर कंपनी को कोर्ट में नहीं घसीटा जा सकेगा। सरकार ये गारंटी नहीं दे रही है सो अमेरिका से वैक्सीनों का आयात ठप है। अब तो जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत में अपनी वैक्सीन लांच करने का अपना आवेदन भी वापस ले लिया है। कंपनी ने आवेदन वापस लेने के पीछे की वजह नहीं बताई है। कंपनी की एक खुराक वाली वैक्सीन को जेनसेन नाम से जाना जाता है और जुलाई में इसके भारत आने की उम्मीद थी। जॉनसन एंड जॉनसन मंजूरी प्रक्रिया से ऐसे समय पीछे हटी है, जब भारत सरकार वैक्सीन कंपनियों के साथ कानूनी सुरक्षा गारंटी को लेकर बातचीत कर रही है।
विदेशों कंपनियों से बातचीत करेगी विशेष टीम
स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा था कि सरकार की एक टीम फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन के साथ मिलकर कानूनी सुरक्षा के अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा करेगी। भारत में वैक्सीन लॉन्च करने के लिए इन कंपनियों की यह सबसे प्रमुख मांग है। जॉनसन एंड जॉनसन की जेनसेन एक खुराक वाली चुनिंदा वैक्सीनों में शामिल है। कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए इस वैक्सीन की एक ही खुराक काफी है और दूसरी की जरूरत नहीं पड़ती।
देश में फिर बढ़े सक्रिय मामले
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 42,625 नए मामले सामने आए हैं और 562 मरीजों की मौत हुई। बीते कई दिनों से मरीजों और मौतों का ग्राफ ऊपर ही चढ़ता जा रहा है जिससे देश में तीसरी लहर की आशंका और प्रबल हो गयी है। महाराष्ट्र में अब तक 63,21,068 लोगों को संक्रमित पाया जा चुका है और 1,33,215 लोगों की मौत हुई है। दूसरे सर्वाधिक प्रभावित राज्य केरल में अब तक 34,49,149 लोगों को संक्रमित पाया गया है और 17,103 मौतें हुई हैं।
इसी तरह 29,09,958 मामलों और 36,650 मौतों के साथ कर्नाटक और 25,65,452 मामलों और 34,159 मौतों के साथ तमिलनाडु अगले दो सबसे अधिक प्रभावित राज्य हैं। हालात यह है कि देश के आठ राज्यों में ट्रांसमिशन रेट या रिप्रोडक्टिव नंबर (आर वैल्यू) एक से ऊपर पहुंच गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी जारी करते हुए संबंधित राज्यों को सख्त कदम उठाने को कहा है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लक्षद्वीप, तमिलनाडु, मिजोरम, कर्नाटक, पुद्दुचेरी और केरल राज्यों में आर वैल्यू एक से अधिक है। नागालैंड, मेघालय, हरियाणा, गोवा, झारखंड, एनसीआर और पश्चिम बंगाल में आर वैल्यू एक पर स्थिर हैं।