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New Vaccine Policy: आखिर क्या है नई वैक्सीन नीति जिस पर मचा है बवाल
New Vaccine Policy: केंद्र ने 19 अप्रैल को नई वैक्सीन नीति का एलान किया है, जिसे लेकर देश में बवाल मचा हुआ है।
New Vaccine Policy: कोरोना वायरस (Corona Virus) के कहर से बचने के लिए पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन (Covid Vaccination) एकमात्र सहारा है जिस पर सभी देश पूरी ताकत से लगे हुए हैं। लेकिन शायद भारत ही एकमात्र देश है जहां वैक्सीनेशन प्रक्रिया को लेकर कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेकर दखल देना पड़ा है। इसकी वजह वैक्सीन की खरीद, उसके दाम और वितरण का उलट-पलट हो जाना है। अचानक मामला इतना गर्मा गया है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और केंद्र सरकार (Modi Government) में तीखी तकरारें हो रहीं हैं तथा राज्य केंद्र पर हमलावर हो गए हैं।
जब भारत में 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) का काम शुरू हुआ था तब केंद्र ने वैक्सीन संबंधी खरीद, दाम, वितरण आदि की जिम्मेदारी खुद संभाली थी। लेकिन जब कोरोना की दूसरी लहर (Corona Virus Second Wave) आ गयी और वैक्सीनेशन का काम पटरी से उतरने लगा तो केंद्र ने 19 अप्रैल को नई वैक्सीन नीति का एलान किया और 1 मई से उसे लागू कर दिया।
नई नीति में 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों के वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी राज्यों और निजी अस्पतालों पर डाल दी गयी है। इस आयु वर्ग में भारत की करीब आधी जनसंख्या (60 करोड़) आती है। यानी 45 वर्ष से ऊपर के लोगों के वैक्सीनेशन का खर्चा केंद्र उठाएगा और बाकियों को राज्यों और निजी सेक्टर के सुपुर्द कर दिया गया है।
जानें क्या थी पुरानी नीति
अभी तक ये हो रहा था कि हेल्थ केयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 वर्ष से ऊपर के लोगों का ही वैक्सीनेशन हो रहा था जिसके लिए केंद्र सरकार ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (कोविशील्ड) और भारत बायोटेक (कोवैक्सिन) से पूरी मात्र में वैक्सीन खरीद कर राज्यों में डिस्ट्रीब्यूट की थी। राज्यों ने इस स्टॉक को सरकारी वैक्सीनेशन केन्द्रों और निजी अस्पतालों में बांट दी। जहां सरकारी केन्द्रों में मुफ्त में वैक्सीन लग रही थी वहीं निजी अस्पतालों में अधिकतम 250 रुपये में वैक्सीन लगाई जा रही थी। लेकिन 1 मई से व्यवस्था बदल गयी।
क्या है नई नीति में
- एक मई से लागू नई वैक्सीनेशन नीति के तहत वैक्सीन सप्लाई को दो हिस्सों में बांट दिया गया है। कुल सप्लाई का 50 फीसदी केंद्र के लिए है और 50 फीसदी राज्यों और खुले बाजार के लिए है।
- वैक्सीन निर्माता केंद्र को 150 रुपये में वैक्सीन देंगे। जबकि राज्यों को कोविशील्ड वैक्सीन 300 रुपये में और कोवैक्सिन 400 रुपये में मिलेगी। निजी अस्पतालों को 600 से 1200 रुपये में वैक्सीन सप्लाई होगी।
- केंद्र सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय वैक्सीन रणनीति का उद्देश्य वैक्सीन के मूल्य निर्धारण को उदार बनाना और टीकाकरण के कवरेज का विस्तार करना है। यह नीति एक तरफ, वैक्सीन निर्माताओं को उत्पादन को तेज करने के लिए प्रोत्साहित करेगी और दूसरी ओर, यह नए वैक्सीन निर्माताओं को भी देश में आने के लिए आकर्षित करेगी।
- नई नीति में कहा गया है कि 'भारत सरकार से वैक्सीन की खुराक पाने के लिए जनसंख्या समूहों के पात्र व्यक्तियों के लिए सरकारी कोविड टीकाकरण केंद्रों में कोविड-19 टीकाकरण मुफ्त जारी रहेगा।' लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि टीके बनाने वालों से खरीदी गई 50 प्रतिशत खुराक को कहाँ वितरित किया जाएगा और अन्य 50 प्रतिशत का क्या होगा?
- नीति में कहा गया है कि भारत सरकार, अपने हिस्से से, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को उनके प्रदर्शन के मानदंड (प्रशासन की गति, औसत खपत), के आधार पर, संक्रमण की सीमा (सक्रिय कोविड मामलों की संख्या) के आधार पर टीके आवंटित करेगा।
लिबरल नीति का नतीजा अलग अलग दरें
भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने जवाब में तर्क दिया है कि कीमतें 'बाजार की ताकतों' द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए। वर्तमान में राज्य सरकारों को कोविशील्ड की कीमत 300 रुपये प्रति खुराक देनी है और कोवैक्सिन के लिए 400 रुपये प्रति खुराक की कीमतें अदा करनी हैं; निजी संस्थाओं को इसके लिए क्रमशः 600 रुपये और 1,200 रुपये प्रति खुराक अदा करना होगा, जो कीमतें विकसित देशों द्वारा भुगतान की जा रही कीमतों से कहीं अधिक है। एसआईआई वैक्सीन की कीमत यूरोपीय बाजार में 160 रुपये प्रति डोज है, गावी वैक्सीन एलायंस) की कीमत 210 रुपये प्रति डोज है, जबकि इंगलेंड में 222 रुपये और अमेरिका में 297 रुपए पर उपलब्ध है।
अब स्थिति ये है कि जो टीके डेढ़ महीना पहले निजी अस्पतालों में 250 रुपये में लग रहे थे वो 700 से 1700 की रेंज में लग रहे हैं। बड़े बड़े अस्पताल खुद टीका निर्माताओं से खरीद कर रहे हैं और उनकी प्राइसिंग कुछ और अलग है। अब फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीनें आने की खबर है। इन कंपनियों की शर्तों में ये भी है कि वे अपने दाम खुद तय करेंगी।
बहरहाल, कोरोना की मार के साथ अब कीमत की मार भी अच्छी खासी पड़ने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 30 जून तक वैक्सीनेशन पर पूरी सफाई मांगी है। इसके बाद ही कुछ स्थिति स्पष्ट होगी।
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