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कोविड जैविक हथियारः इंग्लैंड और अमेरिका के वैज्ञानिकों का नए सिरे से जांच पर जोर

यूनाइटेड किंगडम और यूनाइटेड स्टेट्स के वैज्ञानिकों ने वायरस के लीक की थ्योरी पर जांच की मांग की है।

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Newstrack Network NetworkPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 15 May 2021 9:28 PM IST (Updated on: 16 May 2021 4:29 PM IST)
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फोटो— कोरोना वायरस (साभार— सोशल मीडिया)

नई दिल्ली। कोविड-19 वायरस के संबंध में इसके जैविक हथियार होने को लेकर यूनाइटेड किंगडम और यूनाइटेड स्टेट्स के वैज्ञानिकों की एक टीम ने वुहान लैब से इस वायरस के लीक होने की थ्योरी की नये सिरे से जांच कराने की मांग की है। गौरतलब है कि वर्ष 2019 के अंत में जब चीन की वुहान लैब में कोविड इंफेक्शन का पहला मामला सामने आया था तब दुनिया के किसी मेडिकल एक्सपर्ट ने इस वायरस के इंफेक्सन के दुनिया में महामारी बनने की संभावना नहीं जताई थी। हालांकि कोविड-19 के महामारी के रूप में फैलने के बाद से इसके पीछे साजिश होने और कुछ प्रमुख चिकित्सा विशेषज्ञों के कोरोना वायरस के चीन जैविक हथियार होने के दावे किये गए जो कि दुर्घटनावश वुहान वायरोलोजिकल इंनस्टीट्यूट से लीक हो गया। इसके बाद से कोविड की उत्पत्ति को लेकर रहस्य गहराता चला जा रहा है।

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट रविन्द्र गुप्त और फ्रेड हचिन्सन कैंसर इंस्टीट्यूट के वायरसों की उत्पत्ति का अध्ययन करने वाले जेस ब्लूम ने कोरोना वायरस महामारी के वास्तविक उत्पत्ति स्थल के निर्धारण के लिए और अनुसंधान किये जाने की जरूरत पर जोर दिया है।

जर्नल साइंस को लिखे एक पत्र में, स्टैनफोर्ड में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर डेविड रेलमैन ने खुलासा किया कि प्रयोगशाला से वायरस का बाहर आना और जूनोटिक स्पिलओवर के सिद्धांत अभी भी व्यवहार्य हैं। पत्र के लेखकों ने यह लिखा कि डब्ल्यूएचओ की जांच ने इस सिद्धांत पर संतुलित विचार नहीं किया था कि यह एक दुर्घटना में प्रयोगशाला से बाहर आया हो सकता है।

वैज्ञानिकों ने पत्र में लिखा कि विशेषज्ञता वाले वैज्ञानिकों के रूप में, हम डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक (5), संयुक्त राज्य अमेरिका और 13 अन्य देशों (6) और यूरोपीय संघ (7) से सहमत हैं कि इस महामारी की उत्पत्ति के बारे में अधिक स्पष्टता आवश्यक है। प्राप्त करने के लिए। हमें प्राकृतिक और प्रयोगशाला स्पिलओवर दोनों के बारे में परिकल्पनाओं को गंभीरता से लेना चाहिए, जब तक कि हमारे पास पर्याप्त डेटा न हो। एक उचित जांच पारदर्शी, उद्देश्यपूर्ण, डेटा-आधारित, व्यापक विशेषज्ञता सहित, स्वतंत्र निरीक्षण के अधीन, और जिम्मेदारी से प्रभाव को कम करने के लिए प्रबंधित होनी चाहिए।

सितंबर 2020 में, चीनी वायरोलॉजिस्ट डॉ ले-मेंग यान ने सनसनीखेज दावा किया था कि कोरोनावायरस को जानबूझकर प्रयोगशाला से जैव हथियार के रूप में छोड़ा गया था। यान ने दावा किया था कि चीन का उद्देश्य आरोपों का खंडन करना और दुनिया को गुमराह करने के लिए गलत सूचना का उपयोग करना है। जब लोग महामारी की कृत्रिम उत्पत्ति को महसूस करना शुरू कर देते हैं।

वायरोलॉजिस्ट ने दावा किया कि लीक हुए दस्तावेजों से पता चलता है कि 2015 में वायरस की जेनेटिक इंजीनियरिंग चीन के जैव-हथियारों के अध्ययन की शुरुआत नहीं है, बल्कि यह कोविड महामारी के फैलाने में देश की भागीदारी के बारे में महत्वपूर्ण सबूत है।



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Raghvendra Prasad Mishra

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