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ऑक्सीजन जरूरत से ज्यादा: फिर समस्या कहां, क्यों मर रहे मरीज

अगर सरकार ने समय पर निर्यात रोक दिया गया होता तो दूसरी लहर के दौरान, ऑक्सीजन की किल्लत से निपटा जा सकता था।

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Newstrack Network NetworkPublished By Shreya
Published on: 23 April 2021 1:11 PM IST
ऑक्सीजन जरूरत से ज्यादा: फिर समस्या कहां, क्यों मर रहे मरीज
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ऑक्सीजन (फोटो- न्यूजट्रैक)

नई दिल्ली: देश में ऑक्सीजन (Oxygen) के लिए त्राहि त्राहि मची है। कोविड अस्पताल (Covid Hospitals) से गैर कोविड अस्पताल तक ऑक्सीजन के बगैर ठप होते जा रहे हैं। ऑक्सीजन के गहराते संकट को सुप्रीम कोर्ट ने इसे राष्ट्रीय इमरजेंसी करार देते हुए किसी भी तरह से ऑक्सीजन की सप्लाई (Oxygen Supply) करने को कहा है। असल सवाल यह है कि क्या देश में आक्सीजन की कमी है। जिसके चलते तमाम सरकारें अब ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant) लगाने की तैयारी कर रही हैं। तो ऐसे में कब ऑक्सीजन उत्पादन होगा और कब मरीजों तक पहुंचेगी। और तब तक क्या मरीज अस्पतालों में और अस्पतालों के बाहर दम तोड़ते रहेंगे।

वाणिज्य विभाग के ऑक्सीजन निर्यात (Oxygen Export) के आंकड़ों से पता चलता है कि देश ने पिछले वित्त वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीनों के दौरान दुनिया को दोगुना ऑक्सीजन निर्यात किया। भारत ने अप्रैल 2020 और जनवरी 2021 के बीच दुनियाभर में 9,301 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया था। इसकी तुलना में, देश ने वित्त वर्ष 2015 में केवल 4,502 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात किया था। आपूर्ति की गई ऑक्सीजन तरल रूप में थी और इसका उपयोग औद्योगिक और चिकित्सीय उपयोग दोनों के लिए किया जा सकता है।

अखिलेश यादव ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) बिगड़ते हालात के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहते हैं यदि समय रहते सरकार चेत जाती तो आज ऑक्सीजन की इतनी गंभीर समस्या नहीं होती। सरकार द्वारा समय पर तैयारी न करने का खमियाजा आज देश भुगत रहा है। विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद सरकार का इस बीमारी से निपटने में लचर रवैया रहा।

ऑक्सीजन ट्रक (फोटो -न्यूजट्रैक)

सरकार से यहां हुई चूक

सरकार ये कह रही है कि फरवरी तक कोविड काफी हद तक नियंत्रित हो गया था। ऑक्सीजन की मांग भी इतनी नहीं थी। लेकिन गौरतलब है कि कोविड-19 की पहली लहर के दौरान, तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (LMO) की मांग प्रति दिन 700 मीट्रिक टन (MTPD) से बढ़कर 2,800 MTPD हो गई थी। यह इस बात का स्पष्ट संकेत था कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन का संकट गहरा सकता है। अगर इस तथ्य पर ध्यान देकर निर्यात रोक दिया गया होता तो दूसरी लहर के दौरान, ऑक्सीजन की मांग जब 5,000 MTPD तक पहुंची तो उससे निपटा जा सकता था।

मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में पांच गुना उछाल

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल के दूसरे सप्ताह में ही भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में पांच गुना उछाल देखा गया। ऐसे में विपक्ष के नेता भारत के वित्तीय वर्ष 2021 में ऑक्सीजन निर्यात के लिए सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि तथ्य यह है कि देश प्रति दिन 7,000 मीट्रिक टन से अधिक तरल ऑक्सीजन का उत्पादन करता है जो कि मांग से वर्तमान में भी कहीं अधिक है। यह दर्शाता है कि समस्या कहीं और है।

Shreya

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