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कोरोना से सावधान: संक्रमण में भी आ सकती है नेगेटिव रिपोर्ट, ये है वजह
कोरोना की इस दूसरी लहर में दस फीसदी मामलों में आरटीपीसीआर टेस्ट रिपीट किये जाने के बाद भी नेगेटिव रिपोर्ट आ रही है।
लखनऊ: कोरोना वायरस टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आ जाए इसका मतलब ये नहीं की आप संक्रमित नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे कई मामले आ चुके हैं जिसमें रोगी संक्रमित तो था लेकिन शुरुआती जांच में इसकी पुष्टि नहीं हो सकी। एक अनुमान है कि कोरोना की इस दूसरी लहर में दस फीसदी मामलों में आरटीपीसीआर टेस्ट रिपीट किये जाने के बाद भी नेगेटिव रिपोर्ट आ रही है।
दुनियाभर में ऐसे कई मरीज सामने आए हैं जिन्हें खांसी, सांस में तकलीफ और तेज बुखार जैसे कोरोना के लक्षण थे और जब जांच कराई तो रिपोर्ट निगेटिव आई बाद में संक्रमित पाए गए। ख़ास बात तो ये कि कोरोना वायरस टेस्ट का गोल्ड स्टैण्डर्ड माने जाने वाले आरटीपीसीआर टेस्ट में इस तरह की निगेटिव रिपोर्ट आ रही हैं। कई मामलों में तो मरीज की हालत ज्यादा खराब होने पर भी नेगेटिव रिपोर्ट आ रही हैं।
चीन के विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमितों में 30 फीसदी फॉल्स निगेटिव भी हो सकते हैं। कई देशों में डॉक्टरों ने अंदेशा जाहिर किया है कि फॉल्स निगेटिव की तादाद ज्यादा भी हो सकती है।
इस बार नया पैटर्न
इस तरह की फाल्स नेगेटिव टेस्ट रिपोर्ट कोरोना महामारी में शुरू से ही आ रही हैं। पिछले साल बड़ी संख्या में ऐसे केस आने पर सरकार ने 25 अक्टूबर को एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें कहा गया था कि कोरोना के लक्षण वाले मरीजों में यदि नेगेटिव रिपोर्ट आती है तो उनकी और क्लिनिकल जांच जैसे कि सीटी स्कैन आदि किया जाना चाहिए ताकि पता चल सके कि वाकई में कोरोना का केस है या 'कोरोना जैसा' केस है। पिछले साल ऐसे फाल्स नेगेटिव केस कम थे लेकिन इस बार इनकी संख्या काफी ज्यादा है।
क्या हैं वजहें
- कोरोना की जांच के लिए पॉलीमेरेज चेन रिएक्शन यानी आरटी-पीसीआर तकनीक अपनाई जा रही है। इसके जरिए संक्रमण की शुरुआत में सांस में मौजूद वायरस कणों को पकड़ा जाता है। अमेरिकी के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) का कहना है कि कई बार जब कोई निगेटिव पाया जाता है तो इसका मतलब ये हो सकता है कि सैंपल लेते वक्त संक्रमण शुरू नहीं हुआ हो। ऐसी स्थिति में आपको जांच तो यह बता देगी कि आप संक्रमित नहीं हैं लेकिन संबंधित बीमारी के लक्षण मौजूद हो सकते हैं।
- सैंपल लेते वक्त नाक के बहुत भीतर से स्वाब लेना होता है। इसके लिए स्वॉब को नाक में कई बार घुमाना भी होता है ताकि सैंपल सही तरीके से आ जाए। ये काम ढंग से नहीं किये जाने पर भी फॉल्स निगेटिव रिपोर्ट हो सकती है संक्रमण शुरू न हुआ हो।
- आरटीपीसीआर टेस्ट का सैंपल लेना, सैंपल को टेस्ट ट्यूब में सील करना और लैब में सैंपल के साथ रीजेन्ट्स को सही तरह से मिलाना – ये सब काम बहुत सावधानी से और शतप्रतिशत सही तरीके से किया जाना जरूरी है। अगर सैंपल ठीक से स्टोर नहीं किया गया है तब भी जांच रिपोर्ट गलत नतीजा दिखा सकती है।
- कोरोना वायरस टेस्ट की सैंपल खराब हो जाए तो आपकी टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आएगी। सैंपल को सही तापमान में नहीं रखने पर आरएनए सही से काम नहीं कर सकता।
- आरटीपीसीआर टेस्ट भले ही सबसे सटीक माना जाता है लेकिन इसकी सेंस्टिविटी भी 80 फीसदी के आसपास है। इसका मतलब ये है कि आरटीपीसीआर टेस्ट में 20 फीसदी फाल्स नेगेटिव की गुंजाइश रहती है।
- टेस्टिंग किट भी बहुत मायने रखती है। अमेरिका में सीडीसी को पिछले साल मार्च में आरटीपीसीआर टेस्टिंग किट वापस लेने पड़े थे क्योंकि रीजेंट में खराबी आने के कारण काफी ज्यादा फाल्स पॉजिटिव मामले आने लगे थे।
- एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस लहर में ज्यादा फाल्स नेगेटिव आने की वजह वायरस में आया बदलाव भी हो सकता है और इसके लिए जीनोम सीक्वेंसिंग से कुछ जानकारी मिल सकती है।
ज्यादा जोखिम
शोधकर्ताओं का कहना है कि जब तक पहले संक्रमित की पहचान होती है तब तक दूसरा व्यक्ति उससे संक्रमित हो चुका होता है। चीन के वुहान में मरीजों पर हुए अध्ययन में पता चला है कि अधिकतर ऐसे लोगों से संक्रमित हुए जो पूरी तरह स्वस्थ दिख रहे थे लेकिन संक्रमित थे। ऐसे साइलेंट कोरोना केस की वजह से अनजाने में ही ये मरीज लोगों के बीच कोरोना संक्रमण को फैला रहे हैं।
ऐसे कई केस रिपोर्ट हुए हैं जिसमें हल्के लक्षणों के साथ ही कोरोना के गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन डायग्नोस्टिक टेस्ट में कोरोना वायरस संक्रमण को खारिज कर दिया गया। ऐसे में मरीज में कोरोना के लक्षण होने के बावजूद और सीटी स्कैन में संक्रमण के साफ संकेत होने के बावजूद अगर स्वाब टेस्ट निगेटिव आता है तो मरीज को कोरोना के चिन्हित अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा सकता है।
क्या करें
अगर किसी व्यक्ति में कोरोना संक्रमण के लक्षण हैं जैसे कि गले में खराश, बुखार, खांसी, बदन दर्द, थकान, स्वाद और गंध महसूस न होना आदि तो आरटीपीसीआर जांच करवाएं। जांच रिपोर्ट अगर नेगेटिव आती है और लक्षण बने रहते हैं तो डाक्टर से मिल कर और भी जांच करवाएं। हो सकता है कि अन्य जांचों के साथ फेफड़े की सीटी स्कैन करवाई जाए क्योंकि उसी से पता चलता है कि फेफड़े में संक्रमण की क्या स्थिति है।