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Election Rally Ban: चुनावी रैलियों पर लगाम ही अंतिम विकल्प, कोरोना संक्रमण नहीं ले रहा थमने का नाम
Election Rally Ban: एक ओर जहां संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर समस्त राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियां जोरों-शोरों से कर रही हैं।
Election Rally Ban: कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर तेज़ी बढ़ रहे हैं। बीते दिन देश में नए कोरोना संक्रमित मामलों की संख्या 50,000 के आंकड़े को पार कर गई है। वहीं उत्तर प्रदेश में भी सक्रिय कोरोना संक्रमित मामलों की संख्या 3,173 के आंकड़े पर पहुंच गई है। बीते कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में भारी इजाफा देखा गया है।
एक ओर जहां संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर समस्त राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियां जोरों-शोरों से कर रही हैं।
हालांकि प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले के अनुरूप उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की समस्त बड़ी चुनावी रैलियों और "लड़की हूँ लड़ सकती हूँ" मैराथन पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है।
हालांकि पूर्व में कई विशेषज्ञों ने बढ़ रहे कोरोना मामलों के मद्देनजर चुनावी रैलियों पर रोक लगाने के साथ ही आगामी चुनावी को स्थगित करने की भी सलाह दी थी, लेकिन सलाह मात्र के अतिरिक्त इसपर कोई भी निष्कर्ष निकलकर सामने नहीं आया।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी पूर्व में उनकी पत्नी डिंपल यादव के कोरोना परीक्षण सकारात्मक आने के पश्चात रैलियों पर रोक लगा दी थी।
चुनावी रैलियों पर रोक लगाना बेहद आवश्यक
प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा के अलावा कई अन्य दल भी ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां कर रहे हैं तथा इन रैलियों में लाखों की भीड़ इकट्ठा होना एक आम बात है। ऐसे में बिना की दिशा-निर्देशों और एहतियात के रैलियों में प्रतिभाग करने वाले लोगों के द्वारा संक्रमण के व्यापक रूप से फैलने के आसार सामने आ रहे हैं। इस बात की पुष्टि चुनावी रैलियों के पूर्व और चुनावी रैलियों के बाद आ रहे कोरोना संक्रमण मामलों के आंकड़े कर रहे हैं।
ऐसे में चुनाव बेशक ज़रूरी हो सकता है लेकिन इन चुनावी रैलियों के चलते संक्रमण को दावत देना सीधे तौर पर आम जन की ज़िंदगी से खिलवाड़ करने जैसा है।
आगे और भी कई ऐसी रैलियां प्रस्तावित हैं जिनमें लाखों की भीड़ इकट्ठा होने का पूर्ण अंदेशा जताया जा रहा है। अगर देश और प्रदेश के वर्तमान हालतों को देखते हुए भी ऐसी रैलियां आयोजित होती हैं तो निश्चित तौर पर यह आम जन की ज़िंदगी को जोखिम में डालने वाली बात होगी।
ज़ाहिर हैं कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, देश के प्रधानमंत्री और अन्य बड़े नेताओं की रैलियों में लाखों लोगों की भीड़ एकत्रित होना आम बात है। ऐसे में समस्त दलों को आवश्यक रूप से समझदारी भरा कदम उठाना चाहिए।
चुनाव की तारीख स्थगित करने का निर्णय और प्रक्रिया भले ही लम्बी हो सकती है लेकिन राजीतिक दलों की रैलियों पर रोक लगाने और भीड़ इकट्ठा ना करने का निर्णय सभी दलों का व्यक्तिगत है, जिसपर विशेष रूप से विचार करने की आवश्यकता है। यदि रैलियों पर रोक लगती है तो ज़ाहिर है कि कोरोना संक्रमण के मामलों में भी कमी देखी जा सकती है।